पिछले हफ्ते तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार मंत्री उदयनिधि के बयान की खूब चर्चाएं हुई। किसी ने इसे ‘सनातन’ धर्म के अपमान से जोड़ा तो किसी ने उदयनिधि के बयान को सही ठहराया। दरअसल, उदयनिधि ने 2 सितंबर को एक कार्यक्रम में कहा, “सनातन धर्म लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बांटने वाला विचार है, इसे खत्म करना मानवता और समानता को बढ़ावा देना है।”
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इस बयान से पता चलता है कि उदयनिधि दलितों और वंचितों के खिलाफ होने वाले अन्याय को लेकर चिंतित हैं। उन्हें दलितों और आदिवासियों की चिंता है। लेकिन ‘टीएनयूईएफ’ (TNUEF), ‘वानाविल ट्रस्ट’ (Vanavil Trust) सर्वे की मानें तो तमिलनाडु में दलितों के खिलाफ भेदभाव चरम पर है। दलित परिवारों को अत्याचार, भेदभाव के साथ- साथ उन्हें कई सरकारी योजनाओं से भी वंचित रखा गया है। इसके अलावा अन्य दक्षिणी राज्यों, तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार की घटनाएं लगातार सामने आ रही है।

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पढ़िए पूरी रिपोर्ट….
27 % आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित :
तमिलनाडु के आठ जिलों में फैले चार घुमंतू जनजाति समुदायों से संबंधित 1,458 परिवारों का ‘वानाविल ट्रस्ट’ के द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इन समुदायों की शिक्षा और सरकारी योजनाओं तक पहुंच काफी कमी है। ‘वानाविल ट्रस्ट’ सर्वेक्षण के मुताबिक इन परिवारों के 27% बच्चों का स्कूल में नामांकन नहीं है। वहीं 53% बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल जाते हैं। लेकिन इन बच्चों ने सहपाठियों और शिक्षकों द्वारा अपने स्कूल में भेदभाव का सामना करने की सूचना दी, जिसके कारण कई बच्चों ने कक्षा 12वीं समाप्त होने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी।
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सर्वेक्षण के मुताबिक इन 1,458 परिवारों में से, 1,118 परिवार ऐसे है जिनमें एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई की हो। वहीं 1,275 परिवारों में 12वीं कक्षा तक की शिक्षा हासिल करने वाला एक भी परिवार नहीं था, और 1,378 परिवारों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसने स्नातक किया हो। इस सर्वे 703 परिवारों ने कहा कि उनकी उच्च शिक्षा संस्थानों तक पहुंच नहीं है। इसी तरह, कुल 807 परिवारों ने कहा कि उनके पास या तो स्कूल तक पहुंच नहीं है। और यदि स्कूल तक पहुंच बन भी जाए तो भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

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12वीं कक्षा में पढ़ने वाले दलित छात्र और उसकी बहन के साथ स्कूल में मारपीट:
तमिलनाडु के नेल्लई जिले के वल्लियूर स्थित कॉनकॉर्डिया गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं कक्षा में छात्र चिन्नादुरई पढ़ते हैं। चिन्नादुरई की उम्र 17 वर्ष हैं। चिन्नादुरई और उसकी 14 वर्षीय बहन पर उनके आवास पर कुछ लड़कों ने धारदार हंसिया से हमला कर दिया। हमला करने वाले लड़के कोई आम लड़के नहीं थे। बल्कि उसके स्कूल साथी थे। जो उच्च जातियों से होने का रौब चिन्नादुरई पर दिखाते थे।
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दरअसल, छात्र चिन्नादुरई को निचली ‘जाति’ से होने के कारण उसके साथियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता था। जिसकी शिकायत बच्चों ने अपने माता-पिता से की। इस पर छात्र चिन्नादुरई की मां ने स्कूल प्रशासन से शिकायत की कि मध्यवर्ती जाति के छात्र उसके बच्चे से पैसे लेते हैं और उसे उनके लिए खाद्य पदार्थ और यहां तक कि तंबाकू खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। दलित छात्र के परिवार की शिकायत पर स्कूल प्रशासन ने आरोपी छात्रों को डांटा। इससे नाराज़ होकर छात्रों ने उसके घर जाकर दलित छात्र पर जानलेवा हमला कर दिया और बीच-बचाव करने पहुंची उसकी बहन पर भी हंसिया से हमला कर दिया।
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इस घटना के विरोध में सड़क जाम करने के दौरान पीड़ित के एक रिश्तेदार की हृदय गति रुकने से मौत हो गई जिससे तनाव और ज्यादा बढ़ गया।
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इस मामले में पुलिस ने छह नाबालिग लड़कों को पकड़ा :
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार तीन नाबालिग स्कूल के छात्र हैं, जबकि अन्य तीन उनके साथी हैं। सिगरेट खरीदकर लाने से मना करने पर आरोपियों ने पीड़ित से मारपीट की थी। पुलिस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोपी छात्रों पर केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है।
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तमिलनाडु में संवैधानिक पदों पर बैठे ‘सरपंच‘ के साथ भी भेदभाव -: टीएनईयूएफ की रिपोर्ट :
टीएनईयूएफ रिपोर्ट की मानें तो तमिलनाडु में दलित समुदाय के 22 सरपंचों को छुआछूत का सामना करना पड़ रहा है। यह छुआछूत इतना बड़ा है कि उन्हें ‘कुर्सी’ से दूर रखा गया। वह सरपंच है इसलिए उन्हें कुर्सी तो मुहैय्या कराई जाएगी लेकिन दलित होने की वजह से उन्हें कुर्सी पर बैठने नहीं दिया जाएगा है। इसके अलावा, उच्च जातियों का इतना दबदबा है कि उन्हें ध्वजारोहण और सरकारी दस्तावेज तक देखने पर रोक है।
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दलित समुदाय सरकारी योजनाओं के पात्र होते हुए भी वंचित :
‘वानाविल ट्रस्ट’ सर्वेक्षण के मुताबिक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘एमजीएनआरईजीएस’ (MGNREGS), मुख्यमंत्री व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना ‘सीएमसीएचआईएस’ (CMCHIS), मुफ्त भूमि पट्टे जारी करने और प्रधान मंत्री आवास योजना जैसी 10 से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ दलित समुदायों की पहुंच तक है ही नहीं, इसका अध्ययन करने पर पता चलता है कि अधिकांश परिवार पात्र होते हुए भी इन योजनाओं से लाभान्वित नहीं होते।
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सर्वेक्षण से पता चलता है कि इन जनजाति समुदाय में सबको योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। जैसे मुफ्त भूमि पट्टे जारी करने वाली योजना का लाभ कुल 1,458 परिवारों में से 267 परिवारों को ही लाभ हुआ है। वहीं, केवल 71 परिवारों को एमजीएनआरईजीएस योजना का लाभ मिला, 71 परिवारों को जन धन योजना का लाभ, 112 परिवारों को ‘पीएमएवाई’ (PMAY) से तो वहीं 201 को ‘सीएमसीएचआईएस’ (CMCHIS) योजना से लाभ हुआ था।
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शिक्षा और सरकारी योजनाओं तक पहुंच के अलावा सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश परिवारों के पास पीने का स्वच्छ पानी, शौचालय, बिजली और बेहतर स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है।
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ये सभी आंकड़े बताते हैं कि तमिलनाडु में दलितों की स्थिति अच्छी नहीं है। बल्कि दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। दलितों और आदिवासियों की आबादी के मामले में तमिलनाडु देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, 21% दलित और आदिवासी आबादी तमिलनाडु में रहती है।
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बीते सप्ताह दक्षिण के अन्य राज्यों महाराष्ट्र और तेलंगाना से दिल दहलाने वाली घटना सामने आई :
तमिलनाडु के साथ-साथ दक्षिण की अन्य राज्यों में भी दलितों और आदिवासियों के साथ उत्पीड़न मामले में बड़ा इजाफा हुआ है। बीते सप्ताह तेलंगाना में एक अमानवीय घटना सामने आई। बकरी चोरी के आरोप में एक दलित युवक को कुछ लोगों ने उल्टा लटका दिया और उनके साथ मारपीट की।

घटना मंचिरियाल जिले के मंदामरि इलाके की है जहां बकरी चोरी के संदेह में शख्स और उसके दोस्त को शेड में उल्टा लटका दिया गया और उन पर हमला किया गया।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंदामारी के कोमुराजुला रामुलु, उनकी पत्नी स्वरूपा और बेटा श्रीनिवास अंगदी बाजार इलाके में रहते हैं। उनकी बकरी गायब हो गई जिसके बाद चरवाहे और उसके दलित दोस्त को बकरी चुराने के संदेह में शेड में
बुलाया। इसके बाद दोनों को उल्टा लटका दिया और उन पर हमला किया। इतना ही नहीं नीचे आग भी जला दी गई जिसका धुआं उनके चेहरे पर लग रहा था। दोनों चिल्लाते रहे और नीचे उतारने की गुहार लगाते रहे लेकिन आरोपियों ने उन्हें नहीं छोड़ा।
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पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेजा
किरण की पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं, बेल्लमपल्ली एसीपी सदैया और एसएसआई चंद्र कुमार ने घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच की।
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बेल्लमपल्ली एसीपी सदैया के मुताबिक, घटना बीते शुक्रवार (एक सितंबर ) की है। शनिवार (दो सितंबर) को इसकी शिकायत मिली जिसके बाद एससी/एसटी अधिनियम और आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि तीन आरोपियों रामुलु, उनकी पत्नी स्वरूपा और बेटे श्रीनिवास को गिरफ्तार कर लिया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
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तेलंगाना जैसी अमानवीय घटना मुंबई में भी :
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक गांव में बकरी और कुछ कबूतर चुराने के संदेह में छह लोगों ने चार दलित पुरुषों को कथित तौर पर एक पेड़ से उल्टा लटका दिया और लाठियों से पीटा। आरोपी में से एक व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया। वीडियो तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, कई सवाल उठे। कई नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को अमानवीय कृत्य करार दिया। जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस हरकत में आई।

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वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस ने एक आरोपी को धरदबोचा
अहमदनगर पुलिस के अधिकारी ने मीडिया से कहा कि घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने हमले के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जबकि पांच अन्य फरार हैं।
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अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की पहचान युवराज गलांडे, मनोज बोडाके, पप्पू पारखे, दीपक गायकवाड़, दुर्गेश वैद्य और राजू बोरेज के रूप में की गई है। इसके साथ ही धारा 307 (हत्या का प्रयास), 364 (अपहरण) और भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। और पीड़ित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
संवाददाता : ज़मीर हसन, दलित टाइम्स (हैदराबाद से)
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