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संत रविदास पर राजनीति कर दलित-आदिवासियों का वोट इकट्ठा कर रही है कांग्रेस और भाजपा ?

 

नई दिल्ली – जिस तरह से मध्यप्रदेश में चुनाव नजदिक आ रहें है राजनीतिक हलचले भी तेज होती जा रहीं है। लेकिन इन सभी हलचलो में अहम भुमिका होती है तो वो है दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग क्योंकि इनकी आबादी देश में 85 प्रतिशत है। हर पार्टी के लिए ये अहम होते है। यह किसी भी सरकार को बना व हटा सकते है। वहीं अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होनें है और उससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी। ऐसे में सत्ता पक्ष औऱ विपक्ष को इन वर्गो को मनाना अहम हो जाता है, वहीं मध्यप्रदेश चुनाव से पहले राजनीतिक हलचले तेज नजर आ रही है। मध्यप्रदेश चुनाव में पक्ष और विपक्ष इन वर्गो को मनाने के लिए क्या कदम उठा रहां है आईए जानते है।

पीएम मोदी

भाजपा का मिशन मध्यप्रदेश 

पहली बात अगर सत्ता पक्ष की जाएं तो हाल ही में मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने संत रविदास मंदिर का भूमि पूजन किया है। जिसका भूमि पूजन करने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अगस्त को मध्यप्रदेश पहुंचे यहां उन्होंने सागर के बड़तूमा में संत रविदास मंदिर और स्मारक की आधारशिला रखी इस मौके पर पीएम ने कहा- जब हमारी आस्थाओं पर हमले हो रहे थे, हमारी पहचान मिटाने के लिए पाबंदियां लगाई जा रही थीं, तब रविदास जी ने मुगलों के कालखंड में कहा था- पराधीनता सबसे बड़ा पाप है। जो पराधीनता को स्वीकार कर लेता है, जो लड़ता नहीं है, उससे कोई प्रेम नहीं करता। साथ ही उन्होंने कहा था कि हमारे प्रयासों की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। देश में गरीब कल्याण की जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उनका लाभ दलित-आदिवासी-पिछड़े समाज को हो रहा है। पहले योजनाएं चुनावी मौसम के हिसाब से आती थीं।

संत रविदास मंदिर ऐसा बनेगा

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प्रदेश में 100 करोड़ की लागत से बनेगा संत रविदास मंदिर

बतादें कि प्रदेश की भाजपा सरकार संत रविदास मंदिर-स्मारक 11.29 एकड़ जमीन पर 100 करोड़ रुपए की लागत से बना रहीं है। इसकी दीवारों पर संत रविदास के दोहे और शिक्षाएं उकेरी जाएंगी। पूरा प्रोजेक्ट नागर शैली में होगा। कला वीथिका बनेगी। भक्त निवास के साथ कई अन्य चीजें भी बनेंगी यानी की भाजपा पुरी तरीके से विधानसभा चुनाव जितने के लिए रणनीति तैयार कर चुकी है।

 

कांग्रेस अध्यक्ष खरगें

कांग्रेस का मिशन मध्यप्रदेश

अब बात करते विपक्ष के दलित आदिवासी औऱ पिछड़ो को साधने के लिए क्या किया जा रहा है। भाजपा के बाद देश का सबसे बड़ा विपक्षीय दल भी इन वर्गो को अपने पाले में लाने की पुर जोर कोशिश कर रहा है। 22 अगस्त कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मध्य प्रदेश पहुंचे यहां उन्होंने बुंदेलखंड में बड़ा चुनावी दांव चल दिया है मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 14 अगस्त 2014 में भाजपा ने दिल्ली में संत रविदास मंदिर तोड़ने का काम किया था। साथ ही कहां कि मुख से तो रविदास व बाबा साहब का नाम बोलते हैं, लेकिन यह किसी मकसद से लेते हैं। इनका मकसद केवल वोट हासिल करना होता है।

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मंदिर के बदले शिक्षा

वहीं खरगें ने कहां कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो सागर जिले में संत रविदास के नाम से विश्नविद्यालय बनाया जाएगा। यानि एक तरफ भाजपा मंदिर के सहारे दलित वोट बैंक को जोड़ने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसके बदले शिक्षा वाला दाव रखा है। यानी मंदिर के बदले विश्वविध्यालय खोला जाएगा।

मध्यप्रदेश में जातिगत जनगणना

यह तो हुई संत रविदास जी पर राजनीति की बात जिस पर भाजपा कांग्रेस दौनो ने दाव चला है अब बात करते है कांग्रेस के उस नए दावें कि जो कि भाजापा के लिए चुनाव में मुशिबत बन सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष खरगें ने एक और नया दाव चला है और वो है जातिगत जनगणना यानि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो जातिगत जनगणना की जाएगी। वहीं अगर इस मुद्दे की बात की जाए तो दलित, आदिवासी एंव पिछड़े वर्गो को साधने के लिए एक अहम मुद्दा है। अगर कांग्रेस को इस मुद्दे से फायदा होता है यह दाव लोकसभा चुनाव में चलाया जा सकता है।

 

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सीएम नीतीश कुमार एवं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

अब तक कहां हुई जातीय जनगणना

वर्तमान में बिहार सरकार जातिगत जनगणना करा रहीं है ऐसे में यह मांग भी तेज हो गई है कि बाकि राज्य भी जातीय गणना कराएं इसके लिए आंदोलन भी हुए कुछ दिन पहले ही भीमआर्मी के भोपाल में हुए आंदोलन में भी इसकी मांग उठाई गई थी। यानि जाहिर सी बात है कि कांग्रेस का यह मुद्दा दलित आदिवासियो पिछ़ड़ो को साधने में काफी भूमिका निभा सकता है। वहीं तमाम विपक्षी दलों ने भी इसकी मांग उठाई है एसे में लोकसभा चुनाव में भी यह इंडिया गठबंधन का मुद्दा हो सकता है।

जातीय जनगणना क्या है?

भारत में जातिगत जनगणना की मांग दशकों पुरानी है इसका मक़सद अलग-अलग जातियों की संख्या के आधार पर उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण देना और ज़रूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना होता है। जातिगत जनगणना से लोगों के उनकें आर्थिक स्थति का आकंलन निकाला जाता है। किस परिवार में कितने लोग है और वह कितने पिछड़े हुए है। जिसके बाद सरकार द्वारा उनके उत्थान के लिए योजनाएं बनाई जाती है। इससे देश की आबादी के बारे में तो पता चलेगा ही, साथ ही इस बात की जानकारी भी मिलेगी कि देश में कौन सी जाति वर्ग में कितनी गरीबी है।

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