डॉ. अम्बेडकर के इस कानून ने सभी जातियों की महिलाओं को दिया था समान अधिकार..पढ़िए

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बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। बाबा साहेब अंबेडकर अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। दलितों के कल्याण के लिए  उन्होंने अनेक काम किए थे। बाबा साहेब अंबेडकर ने दलितों के साथ हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके अलावा उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। आपकों बता दें कि बाबा साहेब अंबेडकर ने महिलाओं के हित के लिए आज ही के दिन 11 जनवरी को  हिंदू कोड बिल पर बॉम्बे में सिद्धार्थ कॉलेज संसद के दूसरे सत्र को संबोधित किया था।

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तलाक का अधिकार नहीं:

हमारा भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ था। उस समय आज़ाद भारत में भी पुरुषों और महिलाओं को तलाक लेने का अधिकार नहीं था। पुरुष दूसरा विवाह कर सकते थे लेकिन विधवाओं को दूसरा विवाह करने की आज़ादी नहीं थी। यहां तक कि महिलाओं को संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। फिर बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान के सफल निर्माण के बाद हिंदू कोड बिल पेश किया।

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हिंदू कोड बिल क्या था?

 

हिंदू कोड बिल को बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान सभा के सामने 11 अप्रैल 1948 को पेश किया था। इस बिल का मुख्य उद्देश्य संपत्ति से जुड़े कानूनों को और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करना था जो पुरुष और महिला दोनों पर समान रुप से लागू होते हैं। इसके अलावा हिंदू कोड बिल अल्संख्यकों, विवाह,तलाक और गोद लेने के लिए नए कानून बनाना था। महिलाओँ के प्रति बाबा साहेब अंबेडकर की चिंता हिंदू कोड बिल में साफ झलकती है।

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हिंदू कोड बिल में शामिल पांच कानून:

• हिंदू विवाह अधिनियम
• विशेष विवाह अधिनियम
• हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम
• गोद लेना दत्तकग्रहण अल्पायु -संरक्षता अधिनियम

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हिंदू कोड बिल का विरोध:

बाबा साहेब अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल सभी जातियों की महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाया था। इस परिणाम यह हुआ कि इस बिल का विरोध न केवल ब्राह्मणवादी पुरुषों ने किया बल्कि उन महिलाओँ ने भी इस बिल का विरोध किया जो पितृसत्ता को बनाए रखने के पक्ष में थीं।

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BABA SAHEB AMBEDKAR, IMAGE CREDIT BY SOCIAL MEDIA

 

संपत्ति में बराबर का अधिकार:

हिंदू कोड बिल के तहत यह साफ कहा गया था कि यदि बिना वसीयत किए मृत हिंदू पुरुषों और महिलाओं की संपत्ति के बंटवारें के संबंध में कानूनों को व्यवस्थित किया जाएगा। यह विधेयक मृत पुरुष की विधवा, बेटे और बेटी को उसकी संपत्ति में बराबर का अधिकार देता है।

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तीन सूरतों में विवाह खत्म:

हिंदू कोड बिल सांस्कारिक और सिविल दो तरह के विवाह को मान्यता देता था। इसमें एक से अधिक विवाह करने पर प्रतिबंध था। इस विधेयक तहत तीन सूरतों में विवाह को तोड़ने के प्रावधान थे। पहला, विवाह को शून्य घोषित करवाना, दूसरा, विवाह को अवैध घोषित करवाना और तीसरा, विवाह का विघटन। लेकिन विवाह को अदालत द्वारा अवैध घोषित करने पर उस विवाह से प्राप्त संतान की वैधता प्रभावित नहीं होगी।

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सात आधारों का प्रावधान:

हिंदू कोड बिल के तहत विवाह विच्छेद के लिए सात आधारों का प्रावधान किया गया है।
1 परित्याग 2 धर्मांतरण 3 रखैल रखना या रखैल बनना 4 असाध्य मानसिक रोग 5 असाध्य व संक्रामक कुष्ठ रोग 6 संक्रामक यौन रोग व 7 क्रूरता।

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अम्बेडकर थे दलितों के नेता ??

हमेशा से डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर को सिर्फ़ दलितों का नेता कहकर उन्हें सीमित किया गया है। कभी कभी उन्हें पिछड़ों का नेता भी कहा जाता है। लेकिन हमें ये समझने की ज़रूरत है डॉ. अम्बेडकर ने हमेशा देश हित की बात की है। उन्होंने संविधान में हर किसी को एक समान अधिकार दिए है। इसलिए उन्हें सिर्फ दलितों का नेता कहना गलत होगा।

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संसद के दूसरे सत्र को संबोधित:

आपको बता दें कि बाबा साहेब अंबेडकर ने 1950 में आज ही के दिन 11 जनवरी को हिंदू कोड बिल के समर्थन में सिद्धार्थ कॉलेज संसद के दूसरे सत्र को संबोधित किया था। बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि इस विधेयक को कट्टरपंथी या क्रांतिकारी बताना गलत है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक रूढ़िवादी प्रथाओं का विरोध नहीं करता है, बल्कि प्रगति के नए तरीकों को मंजूरी देता है।

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नागरिक संहिता:

बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि सरकार को पूरे देश के लाभ के लिए एक नागरिक संहिता तैयार करने का प्रयास करना चाहिए। उनका कहना था कि देश की एकता के लिए यह विधेयक फायदेमंद है जो समान कानूनों का सेट हिंदू सामाजिक और धार्मिक जीवन को नियंत्रित करें।

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सुनहरा ताबूत भेंट किया गया:

आपकों बता दें बाबा साहेब अबेडकर को इस दिन बॉम्बे एससी फेडरेशन द्वारा संविधान की एक प्रति सें युक्त सुनहरा ताबूत भेंट किया गया था। उन्होंने कहा कि उन पर मुस्लिम समर्थक और ब्रिटिश समर्थक नेता का ठप्पा लगा दिया गया है। उन्हें आशा थी कि इस कार्य से हिंदुओं को उन्हें बेहतर ढंग से समझने और यह दिखाने में मदद मिलेगी कि उन पर लगाए गए आरोप कैसे झूठे थे। अंबेडकर को केवल किसी विशेष वर्ग या जाति की महिलाओं के हितों की चिंता नहीं थी। वे सभी जातियों व वर्गों की महिलाओं के हितों का संरक्षण चाहते थे।

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