राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सूरीनाम के अपने समकक्ष चंद्रिकाप्रसाद संतोखी से मुलाकात करते हुए उन्होंने रक्षा, कृषि, सूचना-प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मज़बूत करने के फैक्टर्स पर चर्चा किया गया। इसके साथ ही, दोनों पक्षों द्वारा स्वास्थ्य और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर […]
Editorials
Dalit Times Exclusive Editorial Articles from various renouned intellectuals,social workers and guest writers.
दलित महिला जो बनी संस्कृत भाषा की पहली दलित स्कॉलर
कुमुद पावड़े, एक प्रखर भारतीय दलित एक्टिविस्ट थीं। जिन्होंने दलित समुदाय के संघर्षों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सन 1938 में, नागपुर में एक दलित परिवार में जन्मी कुमुद, जो संस्कृत भाषा कि पहली दलित महिला बनीं। संस्कृत एक ऐसी भाषा जिसपर, आरंभ से ही केवल उच्च जातियों का एकाधिकार माना जाता रहा है, उस […]
आइए जानते हैं पूना पैक्ट समझौता लागू करने के पीछे क्या था पूरा मामला?
पूना समझौता जिसे पूना पैक्ट के नाम से भी जाना जाता है, जोकि 24 सितंबर 1932, को शाम पांच बजे यरवदा जेल पूना में महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के बीच समझौता हुआ था। जिसके परिणामस्वरुप इस समझौते में डॉ. अंबेडकर को कम्यूनल अवॉर्ड में दिए गए पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ना पड़ा और […]
क्यों बन रहा हैं ओबीसी आरक्षण एक बड़ा मुद्दा?
ओबीसी आरक्षण बचाओ काफी समय से चर्चाओं में है, जिसे लागू करने की बात कई सालों से चल रही है। बताया जा रहा है, कि पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि, राज्य में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं होंगे। जबकि विपक्षी दलों ने योगी […]
इस प्रधानमंत्री ने मायावती को बताया था “लोकतंत्र का चमत्कार” ?
कई बार आपने पढ़ा या सुना होगा “जब आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो केवल एक आदमी शिक्षित होता है लेकिन एक स्त्री के शिक्षित होने से पूरी पीढ़ी शिक्षित होती है।“ ठीक उसी तरह राजनिति की कमान अगर एक स्त्री के हाथ में है तो न केवल लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा बल्कि उसकी बुनियाद […]
क्या थी “बहिष्कृत हितकारणी सभा” जिसके पहले अधिवेशन ने बाबा साहेब अंबेडकर को कर दिया था निराश ?
बाबा साहेब अंबेडकर ने दलित वर्गों के अधिकारों के लिए अजीवन लड़ाई लड़ी, वे अकेले ऐसे योद्धा थे जिन्होंने कभी इस लड़ाई से हार नहीं मानी। बाबा साहब ने विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कई डिग्रियां लेकर वे वापस भारत लौटे। भारत आने के बाद डॉ. आंबेडकर ने अछूतों के उद्धार के लिए […]
दलित समाज से आने वाले मिलिंद काम्बले को जानते हैं आप ? जो भारत के दलित उद्यमियों को अपनी काबिलियत दिखाने के लिए दे रहे हैं मंच
पद्मश्री मिलिंद काम्बले एक ऐसे समाज सेवक हैं, जिन्होंने दलित वर्ग के लोग के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की और आज वे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। मिलिंद काम्बले भारत के जाने – माने बिजनेस मैन हैं, जिनकी कड़ी मेहनत ने भारत के दलित उद्यमियों को बिजनेस उभारने का मंच दिया है। महाराष्ट्र […]
बाबा साहब अंबेड़कर ने क्यों कहा कि मैं बौद्ध धर्म को इसलिए पसंद करता हूं क्योंकि?
दलितों के हितैषी बाबा साहब अंबेड़कर समता, समानता, स्वतंत्रता, सामाजिक भाईचारा के पक्षधर थे। मानवता को सर्वोपरी मानने वाले बाबा साहब बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। डॉ. आंबेडकर ने 12 मई 1956 को कहा था कि जब मैं बौद्ध धर्म को अपनाने की बात करता हूं तो मुझसे दो सवाल पूछे जाते हैं कि मैं […]
दलितों को प्रोत्साहित करने वाले दलित बिजनेस मैन चंद्रभान प्रसाद
लेखक व उद्यमी देश में दलित विषयों पर बेबाक लेखन व टिप्पणी के लिए चंद्रभान प्रसाद एक जाना पहचाना नाम है। वे हिन्दी, अंग्रेजी अखबारों में लेखन व अक्सर टी.वी. पर शोषित वर्ग के हितों पर अकाट्य बहस करते नजर आते है। कई नामी पुस्तकों के रचियता भी है आप भारत में डायवर्सिटी के कर्णधार, […]