दलित समुदाय से आने वाली मना मंडलेकर कैसे बनीं एक आयरन गर्ल जानिये उनके संघर्ष की कहानी

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मना मंडलेकर मध्यप्रदेश के हरदा जिले के आलमपुर गांव की रहने वाली हैं।वह अपने गांव की पहली ग्रेजुएट लड़की हैं। मना मंडलेकर लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाती हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मना मंडलेकर कहती हैं कि लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना उनके लिए पेशा नही बल्कि उनके लिए ये एक मुहिम है। जानते हैं मना मंडलेकर के संघर्ष की कहानी।

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आपकों बता दें कि मना मंडलेकर गांव गांव कराटे के ट्रेनर्स तैयार करती हैं और लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देती हैं। मना ने अपने कौशल और प्रतिभा से तकरीबन 171 ट्रेनर तैयार किए हैं और 76,000 लड़कियों को ट्रेनिंग दी है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मना कहती हैं कि “मुझे सबसे ज़्यादा खुशी तब होती है जब कोई लड़की इस ट्रेनिंग की वजह से अपना आत्मविश्वास पाती है और किसी भी मुश्किल का सामना कर पाती है। लोग मुझे ‘आयरन गर्ल’ के नाम से जानते हैं”।

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मना नाम क्यों रखा गया?

दैनिक भास्कर से बात करते हुए मना मंडलेकर ने यह भी बताया था कि कई बार लोग उनसे उनके नाम “मना” के बारे में पूछते हैं। तो उन्होंने इस नाम के पीछे की दिलचस्प कहनी के बारे में बताया। उन्होने बताया कि उनकी चार बहने और दो भाई हैं और वह पांचवें नंबर की सबसे छोटी बहन हैं। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने आगे बताया कि “जाहिर सी बात है कि हम पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं तो घर में यही सोच थी कि बेटा जन्म ले। चार बहनों के बाद मेरा जन्म हुआ। जब मेरा जन्म हुआ तो परिवार ने कहा कि अब बच्चा नहीं चाहिए। इसलिए मेरा नाम ‘मना’ रख दिया गया”।

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गरीब परिवार से संबंध

मना मंडलेकर बेहद गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पिता खेती बाड़ी का काम करते थें। लेकिन इनके पिता की अपनी जमीन नहीं थीं। पिता पेट पालने के लिए दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे। मना मंडलेकर की माता जी भी बकरियां चरातीं थीं। माता पिता जितना कमाते थे उससे बस दो टाइम का खाना नसीब हो पाता था।

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बाल विवाह का सामना

दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए मना मंडलेकर ने कहा कि तीन बहनों का बाल विवाह हुआ, मेरी भी शादी की बात होने लगी,मेरी तीन बड़ी बहनों का नाबालिग रहते ही शादी हो गई। उन्होंने केवल पांचवी-छठी तक ही पढ़ाई की। स्कूल में पढ़ाई के समय ही घर-परिवार में बात होने लगती कि लड़की सयानी हो गई है अब हाथ पीले कर देने चाहिए। मुझसे बड़ी बहन की शादी 18 वर्ष पूरे होने पर हुई। उसने ससुराल जाकर पढ़ाई पूरी की। अब तो वो पोस्ट ग्रेजुएट है। लेकिन उसकी शादी के बाद मेरी शादी की बात भी होने लगी। आसपड़ोस के लोग भी कहते कि लड़की जात है ज्यादा पढ़-लिखकर क्या ही करेंगी। घर में रहो, कामकाज सीखो। कुल मिलाकर ससुराल जाने की ही ट्रेनिंग दी जाती। ससुराल में कैसे रहना है, सास-ससुर की सेवा करनी है, पति की देखभाल करनी है, यही बताया जाता।

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विवाह से डर :

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक रमना मंडलेकर ने बताया कि मेरी सहेलियों का भी बाल विवाह हो चुका था। वो शादी के बाद जब मायके लौटीं तो उन्हें देखकर डर गई। उनकी कहानियां सुनकर और डरी। मैं शादी से डरने लगी। मुझे लगता कि मेरी शादी होगी तो पति मुझे भी मारेगा-पीटेगा। शराब पीकर आएगा और गालियां देगा। मेरी भी जिंदगी इनकी जैसी हो जाएगी। मैंने मां-पापा को कह दिया कि मुझे शादी नहीं करनी है।

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शिक्षा के लिए संघर्ष :

मना मंडलेकर ने शिक्षा हासिल करने के लिए भी काफी संघर्ष किया था। उनके गांव में आठवी तक ही स्कूल है। मना ने आठवी कक्षा तक शिक्षा हासिल कर ली लेकिन जब वह नौवी कक्षा में दाखिले की बात उन्होंने अपने माता पिता से की तब उन्हें कहा गया कि उनकी भी अब शादी कर दी जाएगी और उनके परिवार वाले नौवी कक्षा में दाखिला दिलाने के लिए तैयार नहीं थे। उनकी बहनों ने उनकी मदद की। फिर उनके माता पिता ने उनका दाखिला नौवीं कक्षा में करवा दिया।

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बाल विवाह का फरमान :

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक अपने जीवन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया था कि “वह पांच किलोमीटर दूर पैदल नौवीं क्लास में पढ़ाई के लिए जाती। इतने पैसे नहीं थे कि कोई ऑटो या सवारी कर लूं। आते-जाते लड़के परेशान करने लगे। हमारी सोसाइटी ऐसी है कि लड़की अकेली जा रही है, पैदल जा रही है तो लड़के परेशान करेंगे ही करेंगे।
“मैं निकल रही होती तो लड़के कमेंट्स करते। ताने मारते। घर पर बताती तो पढ़ाई छुड़वा दी जाती जबकि बड़ी मुश्किल से परमिशन मिली थी तो डर से घर पर नहीं बताया।
लेकिन बात कब तक छुपती। घर पर आकर कुछ लोगों ने बता दिया कि लड़की के साथ ऐसा हो रहा है। उसे बाहर क्यों जाने दे रहे हो। कुछ हो गया तो लड़की से शादी कौन करेगा तब तय हुआ कि लड़की शादी कर दी जाए”। “मुझे भी बाल विवाह के लिए फरमान सुना दिया गया। बता दिया गया कि किससे आपकी सगाई है और शादी कब होने वाली है।

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MANA MANDLEKAR. INTERNATIONAL KARATE PLAYER

जान दे दूंगी :

स्कूल जाना बंद करवा दिया गया। घर में खाना बनाना सीखना, खेतों में काम करना, मवेशियों को चारा देना यही सीखना होता। ससुराल में भी जाकर यही सब करना था। तो मैं जिस मोड़ से बाहर निकली थी, वापस उसी मोड़ पर आ गई”। जब मुझे लगा कि सचमुच मेरी शादी हो जाएगी तो सिहर उठी। मुझे लगा कि नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। मैंने सुसाइड नोट लिखा कि अगर मेरी शादी हुई तो विवाह के मंडप में ही जान दे दूंगी। माता पिता को लगा कि लड़की कहीं सच में न मर जाए तब उन्होंने शादी टाली। फिर भी उन्होंने पढ़ने की अनुमति इस शर्त के साथ दी कि भागकर किसी लड़के से शादी नहीं करना। मैं शादी से कांप रही थी, भला किसी लड़के के साथ क्यों ही भागती।

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कॉलेज  में लड़कियों को पहली बार कराटे करते देखा :

संघर्षो का सामना करते हुए मना मंडलेकर ने 12वीं कक्षा तक अपनी पढ़ाई पूरी कर ली फिर जब वह कॉलेज में गईं तो उन्होंने पहली बार लड़कियों को कराटे सीखते देखा। इस बारे में बात करते हुए मना मंडलेकर कहती हैं कि “मैंने जीवन में पहले बिल्कुल सामने से कभी किसी को कराटे खेलते नहीं देखा था। फिल्मों में ही कराटे के बारे में जाना-देखा था। मैं तो यही समझती कि लड़के ही कराटे करते हैं लेकिन लड़कियां भी ये कर सकती हैं क्या?
मैंने पहली बार किसी महिला को ट्रैक सूट में देखा। उन्हें कराटे करता देख मुझे भी मन कराटे सीखने का हुआ। मैंने कहा कि मुझे भी कराटे सीखना है। इस तरह कराटे शुरू किया। बाद में कराटे मेरा पैशन बनता गया। जब रितेश तिवारी कोच के रूप में मिले तो कराटे ही मेरे जीवन का उद्देश्य बन गया”।

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पहली बार कराटे में नेशनल:

दैनिक भास्कर से बात करते हुए मना ने कहा कि“जब मैंने पहली बार कराटे में नेशनल खेला तो सिल्वर मिला। मुझे खुशी थी कि मेडल जीत सकती हूं। जब मुझे ब्लैक बेल्ट मिला तो जिले के डीएम ने पार्टी दी। गांव के सरपंच को पता चला तो उन्होंने पूछा कि तुम क्या करती हो कि कलेक्टर तुम्हें बुलाते हैं। गांव के बीच से निकल तुम वहां कैसे पहुंच गई। मेरे घर पर भी पता नहीं था कराटे क्या है। कई दिनों तक पेरेंट्स को जानकारी नहीं थी कि मैं कराटे करती हूं। मैं कराटे में आगे बढ़ती गई। कई नेशनल व इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेले। तिनका संस्था की ओर से खिलाड़ियों ने 283 नेशनल और 64 इंटरनेशनल मेडल जीते हैं”।

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तिनका सामाजिक संस्था की शुरुआत:

दैनिक भास्कर से बात करते हुए मना ने कहा कि “मैं बड़ी प्लेयर बन जाऊंगी, बडे़ टूर्नामेंट खेलूंगी, नाम होगा लेकिन गांव की लड़कियों के जीवन में क्या बदलाव होगा। मुझे लगा कि गांव की लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस प्रोग्राम होना चाहिए। दूसरी लड़कियों के लिए रास्ता बनाना ही जीवन का लक्ष्य बना लिया। अपने गांव में क्लासेज खोली और ट्रेनिंग देना शुरू किया।आसपास के गांवों में जाती और लड़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखाती”। “मेरे कोच एक मुहिम के तहत लड़कियों को कराटे सिखा रहे थे। उनका मानना था कि लड़कियां फिजिकली मजबूत होंगी तो किसी भी परिस्थिति का सामना कर पाएंगी। लड़कियां लड़कों के डर से पढ़ाई न छोड़ें, स्कूल न छोड़ें, सपने न छोड़ें। कोच फ्री में सिखाते। इन चीजों ने इसकी प्रेरणा दी क्यों न इस मुहिम को बड़े स्तर पर ले जाया जाए। इस तरह 2017 में ‘तिनका’ सामाजिक संस्था की शुरुआत की”।

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कोच के बारे में क्या बताया?

दैनिक भास्कर से बात करते हुए मना मंडलेकर अपने कोच के बारे में बताया कि “हम सबने मिलकर खेल के माध्यम से जेंडर इक्वेलिटी पर काम शुरू किया। हम चेन बनाने लगे। कोच ने हमे सिखाया, हमने दूसरों को सिखाया और ट्रेनर तैयार किए। स्कूल-कॉलेज में, हॉस्टल में जाती और बच्चों को प्रशिक्षण देती। उनके बीच से फिर कुछ ट्रेनर चुनते। ये ट्रेनर फिर अपने गांव जाते और लड़के-लड़कियों को कराटे सिखाते”। तिनका सामाजिक संस्था मध्यप्रदेश के 19 जिलों में काम कर रही है। भोपाल, खंडवा, इंदौर, हरदा सब जगह बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है। अलग-अलग स्टेट में भी सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम होते हैं। दिल्ली, हरियाणा सहित 7 राज्यों में ये प्रोग्राम किए गए हैं।

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सचिन तेंदुलकर से मुलाकात:

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार मना ने बताया कि “मैं अपनी मुहिम में लगी रही। यूनिसेफ की टीम हमारे गांव आई और दुनिया को इसके बारे में बताया। मेरा संघर्ष और कामयाबी देख सचिन तेंदुलकर इतने प्रभावित हुए कि वो हमारे गांव आलमपुर आए। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में मुझे उनके साथ पैनल में अपनी स्टोरी शेयर करने का मौका मिला। सचिन सर ने कहा कि यहां से गांव लौटोगी तो लोग तुम्हें ही रोल मॉडल मानेंगे। उनकी बात सही साबित हुई”।

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