बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की वो 22 प्रतिज्ञायें जिनको लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ा है विवाद

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नागपुर में दीक्षा भूमि में 15 अक्टूबर 1956 को डॉ. आंबेडकर ने साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग दिया था और इस मौके पर 22 प्रतिज्ञाएं की थीं…

22 pledges of Dr. Ambedkar : आज 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, जिसे पूरे देशभर में मनाया जा रहा है। ऐसे में कल 21 जनवरी से ही सोशल मीडिया पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की बौद्ध धर्म अपनाते समय की गयी 22 प्रतिज्ञाओं पर विवाद छिड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर पहले 22 जनवरी 22 प्रतिज्ञाएं हैशटैग चलाने की अपील कई लोगों द्वारा की गयी थी, मगर उसके बाद कई दलित-पिछड़े बुद्धिजीवियों ने ऐसा न करने की अपील की थी, कि राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर दलित युवाओं को भड़काकर उन्हें फंसाने का काम न करें। गौरतलब है कि नागपुर में दीक्षा भूमि में 15 अक्टूबर 1956 को डॉ. आंबेडकर ने साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग दिया था और इस मौके पर 22 प्रतिज्ञाएं की थीं।

बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाओं पर दलित बुद्धिजीवी और चिंतक सूरज कुमार बौद्ध वितंडा खड़ा न करने की अपील करते हुए कहते हैं, ‘मेरा समाज के साथियों से अनुरोध है कि बाबासाहेब का नाम लेकर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर अमर्यादित टिप्पणी न करें। राम मंदिर अत्यंत ही संवेदनशील मुद्दा है। अतः मासूम युवाओं को भड़काकर उन्हें केस-मुकदमों में न फंसाएं।बोधिसत्व बाबासाहेब के अनुयायी धम्म की राह पर चलते हैं। वे प्रतिक्रियावादी नहीं होते हैं। मेरा आपसे अनुरोध है कि समाज के युवाओं को रिएक्शनरी न बनाएं। ‘22 जनवरी 22 प्रतिज्ञाएं’ हैशटैग बंद करें। अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में मासूम युवाओं को भड़काना गलत बात है। इसे बंद कीजिए।’

सूरज कुमार बौद्ध की तरह तमाम बुद्धिजीवियों ने दलित-पिछड़े जाति के युवाओं को न भड़काने की अपील की है। आइये जानते हैं क्या हैं अंबेडकर की वो 22 प्रतिज्ञायें जिन पर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया :

1- मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा

2- मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा

3- मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा

4- भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ

5- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ

6- मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा

7- मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा

8- मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा

9- मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ

10- मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा

11- मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुरण करूँगा

12- मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा

13- मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा

14- मैं चोरी नहीं करूँगा

15- मैं झूठ नहीं बोलूँगा

16- मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा

17- मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा

18- मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा

19- मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है, क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ

20- मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है

21- मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा)

22- मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा

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