पश्चिम बंगाल में दलित-आदिवासी महिलाओं के साथ हैवानियत पर क्या साधी जा रही चुप्पी ? पढ़िए पूरी खबर

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पश्चिम बंगाल की संदेशखाली की घटना ने एक हफ्ते से तूल पकड़ा हुआ है, लेकिन ना तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर अभी तक कोई स्टेटमेंट दी है और न ही पुलिस ने अभी तक टीएमसी नेता शाहजहाँ शेख को गिरफ्तार किया है….

Sandeshkhali news : पश्चिम बंगाल के 24 परगना के संदेशखाली में दलित-आदिवासियों महिलाओं के शरीर को नोचा जा रहा है। उनकी अस्मिता के साथ खेला जा रहा है। ये सब उस राज्य में हो रहा है जिसकी कमान एक महिला मुख्यमंत्री के हाथों में हैं। यहीं नहीं दलित- आदिवासी महिलाओं ने उनके साथ शारीरिक अत्याचार का आरोप जिस पर लगाया है वो पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी का नेता शाहजहाँ शेख (shah jahan sheikh) है।

हैरत की बात ये है कि ममता बनर्जी जो की खुद एक महिला है वो अपने राज्य में महिलाओं के सम्मान को भी सुरक्षित नहीं रख पा रही है। उनके नेताओं के द्वारा ही संदेशखाली की दलित-आदिवासी महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसा घिनौना कुकर्म किया जा रहा है। वहीं पीड़ित महिलाओं का कहना ये भी है कि उनके साथ बलात्कार के साथ-साथ उनकी जमीन पर जबरन कब्ज़ा भी किया जा रहा है।

मामला कब सामने आया :

सोशल एक्टीविस्ट योगिता भयाना और राजनीतिक विश्लेषक कुश अंबेडकरवादी लगातार सोशल मीडिया पर बंगाल की इस घटना को लेकर लिख रहे है। योगिता भयाना के कई X पोस्ट से इस मामले को समझा जा सकता है। 10 फरवरी को उन्होंने एक पोस्ट किया जिसमें संदेशखाली की दलित-आदिवासी महिलाएं अपनी आपबीती बता रही है। एक पीड़ित महिला की मीडिया कर्मी से बातचीत को कोट करते हुए योगिता अपने X पोस्ट में लिखती है, “ टीएमसी नेता अपने गुंडो के साथ हमारे घर आता है। कहता है “बाहर आओ, हम तुम्हारे साथ सामूहिक बलात्कार करेंगे” भीड़ उसके गेट के पार से उसका हाथ खींचते हुए चिल्लाई वो भी महिला के पति और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में ! पश्चिम बंगाल 24 परगना की यह संदेशखाली है,जहाँ गुंडा शाहजहां शेख का राज चलता है,उसके गुंडे महिलाओं को उठाते है,रात भर उनके साथ बलात्कार करते मन भरने पर सुबह छोड़ देते है !!

 

संदेशखाली में तिलतिल मर रही है दलित आदिवासी महिलाएं :

 लगभग एक हफ्ते से पश्चिम बंगाल के 24 परगना के संदेशखाली में दलित-आदिवासी महिलाएं अपने साथ हो रहे अत्याचार को साबित करने के लिए लड़ रही है। एक तहफ पश्चिम बंगाल पुलिस महिलाओं के साथ बलात्कार की बात को इंकार कर रही है वहीं महिलाएं चीख चीख कर इस बात को कह रही है कि उनके साथ टीएमसी नेता शाहजहां शेख द्वारा शारीरिक हिंसा की गयी। समाचार एजेंसी ANI से पीड़ित महिलाओं ने बताया कि, TMC नेता शाहजहां शेख और उसके ‘गिरोह’ ने उनका यौन उत्पीड़न करने के अलावा, जमीन के बड़े हिस्से पर बलपूर्वक कब्जा भी कर लिया !!

संदेशखाली की एक अन्य महिला ने समाचार एजेंसी ANI को बताया की, “पुलिस द्वारा बलात्कार को साबित करने के लिए हमसे मेडिकल रिपोर्ट मांगी जा रही है…गांव की महिलाएं कैसे आगे आकर कह सकती हैं कि उनके साथ बलात्कार हुआ है ! मेरे साथ बलात्कार नहीं हुआ है पर अन्य महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है !! ”

 एक अन्य महिला कहती है कि “24 परगना, पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के साथ एक वस्तु की तरह व्यवहार किया जा रहा है, लोकखिर भंडार योजना में 500 से 1000 रुपये तक की जो बढ़ोतरी हुई है। क्या ये शुल्क हमें उस गुंडे को संतुष्टिप्रदान करने के लिए दिया जा रहा है।

जांच पर उठ रहे सवाल :

बता दें कि पश्चिम बंगाल में इस घटना ने एक हफ्ते से तूल पकड़ा हुआ है, लेकिन ना तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर अभी तक कोई स्टेटमेंट दी है और ना ही पुलिस ने अभी तक टीएमसी नेता शाहजहाँ शेख को गिरफ्तार किया है। वहीं पुलिस की जांच पर भी सवाल उठ रहें हैं। एक तरफ पुलिस का कहना है कि महिलाओं की तरफ से रेप/बलात्कार जैसी कोई भी सूचना नहीं दी गयी है लेकिन मीडिया के सामने लगातार महिलाएं टीएमसी नेता शाहजहाँ शेख पर आरोप लगा रही है कि उसने, उनके साथ बलात्कार किया है। यहीं नहीं खबर पुलिस पर आरोप लगाए जा रहे है कि पुलिस की तरफ से पीड़ित महिलाओं पर टीएमसी नेता शहाँजहां शेख पर बलात्कार के आरोपों को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक कुश अंबेडकरवादी ने सोशल मीडिया X पर लिखा, “ पश्चिम बंगाल में जंगलराज शुरू हो चुका है।संदेशखाली में ममता बनर्जी की पुलिस ने 50 रेप पीड़ित दलित महिलाओं की गिरफ्तारी करवानी शुरू कर दी है! अपराधी मुस्लिम है इसलिए दलित नेताओं ने मुँह में दही जमा ली है और फिर कहते है दलित उनसे छिटक क्यों रहा है। शर्म करो ममता बनर्जी”

महिला आयोग और अनुसूचित जाति आयोग ने लिया एक्शन :

संदेशखाली में दलित-आदिवासी महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर महिला आयोग और अनुसूचित जाति आयोग भी एक्शन में हैं। अनुसूचित जाति आयोग की एक सदस्य पीडित महिला से मिली और उसकी आपबीती सुनी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने ममता बनर्जी को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “देश ममता बनर्जी को माफ नहीं करेगा। उनमें ममता नहीं बची है। ये सब उस राज्य में हो रहा है जहाँ मुख्यमंत्री खुद एक महिला है। आप आंकड़े नहीं बताना चाहती, आप नहीं चाहती की अनुसूचित जाति की जिन महिलाओं के साथ जो ये उत्पीड़न हो रहा है उसकी रिपोर्ट भी दर्ज हो।“ उन्होंने आगे कहा कि मैं राष्ट्रपति से मांग करती हूँ की वो यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाए वरना यहाँ हमारे लोग सुरक्षित नहीं रह पाएंगे। 

वहीं इस पूरे मामले पर फेक न्यूज़ फैलाने की भी खबर सामने आ रही है। NCW (national commission Of Women) के नाम पर news 18 बंगाली ने अपने चैलन पर एक खबर चलाई थी की संदेशखाली पहुंचे NCW के डेलीगेशन को पीड़ितों से शारीरिक यातना की कोई शिकायत नहीं मिली है।  हालंकि इस खबर को NCW ने खुद नकारा है। NCW ने सोशल मीडिया X पर बताया कि, “एनसीडब्ल्यू संदेशखाली मामले में सटीक और जिम्मेदार मीडिया कवरेज की कमी से चिंतित है। हमारी जांच समिति ने पाया कि पश्चिम बंगाल में पीड़ितों को स्थानीय पुलिस द्वारा उन्हें बाहर आने और यौन/शारीरिक उत्पीड़न की घटनाओं की रिपोर्ट करने से रोका जा रहा है।“ 

 BSP सुप्रीमों मायावती ने संदेशखाली की महिलाओं के लिए क्या कहा:

BSP सुप्रीमों मायावती ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “ पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हाल ही में महिला उत्पीड़न आदि की उजागर हुई घटनाओं को लेकर वहाँ जारी तनाव व हिंसा अति चिन्तनीय। राज्य सरकार इस मामले में निष्पक्ष होकर दोषियों के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करे ताकि ऐसी घटनाओं की आगे यहाँ पुनरावृति ना हो सके। वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीड़ित महिलाओं से मुलाकात करने के बाद दिल्ली लौटीं और यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। ईरानी ने कहा, ममता बनर्जी टीएमसी के गुंडों संरक्षण दे रही हैं। बीते मंगलवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस संदेशखाली पहुंचे और पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की। महिलाओं ने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई और न्याय की गुहार लगाई। बोस ने सीनियर पुलिस अधिकारियों से मामले पर चर्चा कर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्यपाल जब संदेशखाली पहुंचे तब टीएमसी कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया था ।

 

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