बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को आड़े हाथ लिया। उन्होंने अखिलेश यादव को दलित विरोधी बताया। यहीं नहीं चीफ मायावती ने अखिलेश यादव को अपने गिरेबान मे झांकने की नसीहत भी दे डाली।
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इससे पहले BSP सुप्रीमों मायावती को लेकर अखिलेश यादव ने शनिवार को अपने बलिया दौरे के दौरान कहा था कि अगर मायवती इंडिया गठबंधन में शामिल हो गयी तो बाद में उनकी गारंटी कौन लेगा? मायावती पर भरोसे के संकट वाले अखिलेश यादव के इस बयान पर BSP सुप्रीमों मायावती ने कहा समाजवादी पार्टी के मुखिया जिनकी सरकार और नीतियाँ दलित विरोधी रही है वो बीएसपी पर तंज कसने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखे।
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वैसे बता दें कि ये उत्तरपदेश के दोनों विपक्षी पार्टियों के बीच जो सोशल मीडिया वॉर शुरू हुई है। उसमें अब यूपी की सियासत गर्माने लगी है। अखिलेश यादव, मायावती के ट्वीट के बाद थोड़े हल्के जरूर पड़े लेकिन उनकी बयान बाज़ी अभी भी जारी है।
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वहीं सोमवार को BSP सुप्रीमों मायावती ने एक के बाद एक 5 ट्वीट करके समाजवादी पार्टी की बखिया उधेड़ दी। उन्होंने लिखा 1. सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि BSP ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।
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अपने दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा, अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाते हुए BSP मायवती ने लिखा, वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं।
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जिनमें BSP यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।
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BSP सुप्रीमों मायावती ने समाजादी पार्टी द्वारा किसी अनहोनी को किए जाने की संभावना भी जताई। उन्होंने लिखा, “साथ ही, इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहाँ पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है।
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उन्होंने ऐसे हालात में BSP यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यही भी माँग है।
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