“मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है।” मारने वाला गोडसे याद है पर बचाने वाले पसमांदा महापुरुष नहीं .

राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति बनने के बाद पहली दफा 1950 ई. में मोतिहारी पधारे थे। सभा शुरू हुई तो रेल की पटरियों की तरफ से एक […]

बिहार के मोमिन जमात को आज भी इन्तजार है कय्यूम अंसारी जैसे नेता की

फख्र-ए-कौम अब्दुल कय्यूम अंसारी उस अजीम शख्सियत का नाम है जिससे बिहार ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के पिछड़े और दलित मुसलमानों को एक […]

नीतीश कुमार ने लिया फैसला मुसलमानों की भी होगी जाति आधारित जनगणना

बिहार में जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक में राज्य स्तर पर जातीय गणना के […]

सर सैयद अहमद खानः एक व्यक्ति दो राष्ट्र में हिरो ?AMU में आरक्षण कब ?

सर सैयद अहमद खान ने साल 1867 में मुहम्मडन एंग्लो-ओरियंटल स्कूल खोला साल 1920 में इस कॉलेज का नाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी रख दिया गया। […]

क्या है पसमांदा आंदोलन और क्यों लगाया जाता है ये नारा ”पिछड़ा-पिछड़ा एक समान, हिंदू हो या मुसलमान’’

पसमांदा  ‘पस’ फारसी का शब्द है, जिसका मायने पीछे होता है। ‘मांदा’ का अर्थ है छूट गया अर्थात् जो पीछे छूट गया, उसे ही पसमांदा […]