Latest News

कैलिफ़ोर्निया में ब्राह्मणवाद के खिलाफ अंबेडकरवादियों की बड़ी जीत, जानिए क्या है पूरी खबर

कैलिफ़ोर्निया में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक बिल पारित करने की बात सामने आई है, बताया जा रहा है कि इस बिल को पारित करने से कई बड़ी जातिगत समस्या दूर हो जाएंगी। बता दें कि यह बिल सीनेटर आइशा वहाब द्वारा प्रस्तावित किया गया है, जो अमेरिकी राज्य में दलितों के ख़िलाफ जातिगत भेदभाव को ख़त्म कर देगा। साथ ही राज्य की सीनेट न्यायपालिका समिति ने भी इसे मंजूरी दे दी है।

also read :  Ambedkarite Buddhist Women and their everyday life in India: A study across changing time

बीते मंगलवार को राज्य की सीनेट न्यायपालिका समिति ने कानून के पक्ष में मतदान किया और इसे विचार के लिए अगली समिति को भेज दिया गया है। यदि जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने का यह बिल पारित हो जाता है, तो कैलिफोर्निया जातिगत पूर्वाग्रह से मुक्त तथा राज्य को भेदभाव विरोधी कानूनों में जोड़कर रखने वाला देश का पहला राज्य बन सकेगा।

 

सीनेटर आइशा वहाब कहती हैं, “हमने एक तंत्रिका पर प्रहार किया है और भेदभाव के एक ऐसे रूप को उजागर किया है, जिसके बारे में कई लोगों को पता भी नहीं था।” (एपी आर्काइव)

 

यह भी पढ़े :  जानिए कैसे मिली बिरसा मुंडा को ‘भगवान’ की उपाधि?

आपको बता दें कि, राज्य की विधायिका के लिए चुनी गई पहली मुस्लिम और अमेरिकी सीनेटर आयशा वहाब ने पिछले महीने यह बिल पेश किया था। वहीं, इस कानून का विरोध करने वालों ने आइशा वहाब को प्रस्ताव पेश करने के बाद जान से मारने की धमकी दी।

 

यह भी पढ़े :  बहन जी का ये कदम भाजपा के लिया खतरा बनेगा।

सीनेटर आयशा वहाब ने अपने वक्तव्य बताया कि “हमने जातिगत भेदभाव को एक ऐसे रूप को  उजागर किया है, जिसके बारे में कई लोगों को पता भी नहीं था, परंतु जातिगत भेदभाव पीढ़ी दर पीढ़ी आघात का कारण बनता जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि   भारत की हिंदू जाति व्यवस्था, जो हजारों साल पुरानी है, वही समाज में एक कठोर वंशानुगत व्यव्था को जन्म देती है। सीनेटर आयशा वहाब ने प्राचीन भारतीय वर्णव्यवस्था पर बात करते हुए बताया कि तथाकथित उच्च-जाति की शुद्धता में विश्वास पर, दलितों के साथ सबसे निचले पायदान पर भेदभाव किया जाता रहा है और यहां तक कि उन्हें ​​​​हिंसा का सामना करना पड़ता है।

यह भी पढ़े :     किसने दिलवाया बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न ?

जबकि इस बारे में कार्यकर्ताओं का कहना है कि जाति-आधारित भेदभाव ने दक्षिण एशियाई डायस्पोरा को संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंचाया है। जाति जन्म या वंश से संबंधित लोगों का एक विभाजन है और जाति व्यवस्था के सबसे निचले तबके के लोग, जिन्हें दलित कहा जाता है, कैलिफोर्निया और उसके बाहर कानूनी सुरक्षा के लिए ज़ोर दे रहे हैं। वहीं अमेरिकी कंपनियों में जातिगत भेदभाव बिल के समर्थकों का कहना है कि आवास में दलितों को पक्षपात से बचाना जरूरी है।

 

 

यह भी पढ़े :  जानिए कैसे मिली बिरसा मुंडा को ‘भगवान’ की उपाधि?

शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में भी जहां वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं, सीनेटर आयशा वहाब ने अपने वक्तव्य बताया कि विरोधियों ने प्रस्तावित कानून को “असंवैधानिक” कहा और साथ ही यह भी कहा कि यह गलत तरीके से हिंदुओं और भारतीय मूल के लोगों को लक्षित करेगा। वहाब ने इसके जवाब में मंगलवार को ज़ोर देकर कहा कि बिल “किसी विशेष समुदाय या धर्म को लक्षित नहीं करता है।” 2016 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया भर में कम से कम 250 मिलियन लोग अभी भी एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और प्रशांत क्षेत्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रवासी समुदायों में जातिगत भेदभाव का सामना करते हैं।

यह भी पढ़े :  दलित और पसमांदा छात्रों के साथ शिक्षण संस्थानों में होता है भेदभाव ?

दलितों के साथ जो ‘अनुचित’ व्यवहार हो रहा है, उसको लेकर कैलिफोर्निया निवासी और वकील राखी इसरानी ने समिति के सामने गवाही दी और कहा “इस कानून के तहत निष्पक्षता और समान सुरक्षा के लिए मेरे समुदाय के अधिकारों का असंवैधानिक खंडन है।” उन्होंने आगे कहा “अगर इस विधेयक को अपनाया जाता है, तो जाति एकमात्र भेदभाव कानून श्रेणी होगी जो चेहरे पर तटस्थ नहीं है। जब तक जाति को स्पष्ट रूप से नहीं जोड़ा जाता है, यह उन लोगों के लिए बहुत मुश्किल होगा, जिनके साथ भेदभाव किया गया है और कानूनी उपाय तलाशना भी ऐसे हालात में बहुत मुश्किल होगा।”

 

 

यह भी पढ़े :  दलित चेतना के अग्रदूत “बाबा साहेब अंबेडकर”

राखी इसरानी ने जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने को लेकर ज़िक्र करते हुए बताया कि ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ द्वारा भारतीय अमेरिकियों के 2020 के सर्वेक्षण में पाया गया कि 5 प्रतिशत सर्वेक्षण उत्तरदाताओं ने जातिगत भेदभाव की सूचना दी थी, जबकि 53 प्रतिशत विदेश में जन्मे हिंदू भारतीय अमेरिकियों ने कहा कि वे एक जाति समूह से संबद्ध हैं, केवल 34 प्रतिशत अमेरिका में जन्मे हिंदू भारतीय अमेरिकियों ने कहा कि वे भी ऐसा ही करते हैं। हालांकि, अमेरिका में 1,500 दक्षिण एशियाई लोगों के 2016 के समानता लैब्स सर्वेक्षण में 67 प्रतिशत दलितों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने अपनी जाति के कारण गलत व्यवहार किया वहीं, समिति के सदस्यों ने इस मामले में कहा कि वे विरोधियों की चिंताओं को समझते हैं, लेकिन कानून को स्थानांतरित करने के इच्छुक हैं।

 

यह खबर TRT WORLD website से लिया गया है,  हमनें इसें सिर्फ अनुदित किया है।  

*Help Dalit Times in its journalism focused on issues of marginalised *

Dalit Times through its journalism aims to be the voice of the oppressed.Its independent journalism focuses on representing the marginalized sections of the country at front and center. Help Dalit Times continue to work towards achieving its mission.

Your Donation will help in taking a step towards Dalits’ representation in the mainstream media.

  Donate

Share News:
Dalit Times
Total Articles: 340
Website: https://dalittimes.in

Leave a Comment.

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *