कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 35 साल के दलित युवक ने जातीय उत्पीड़न से तंग आकर अपनी जान दे दी। दलित युवक को उसके ही ऑफिस में काम करने वाले साथियों द्वारा लगातार जातिसूचक शब्दों और जातिसूचक गालियाँ देकर प्रताड़ित किया जा रहा था। युवक का नाम विवेक राज है जो यूपी का रहने वाला था औऱ बेंगलुरु में एक कॉर्पोरेट ऑफिस में पिछले 10 सालों से काम करता था।
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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 3 जून को दलित युवक विवेक राज ने सुसाइड से पहले यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उसने अपने साथ हो रहे जातीय भेदभाव और उत्पीड़न के बारे में सिलसिलेवार ढंग से बताया था। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद विवेक राज ने सुसाइड कर ली थी। हालांकि ये वीडियो अब यूट्यूब पर उपलब्ध नहीं है। यूट्यूब ने इसे कम्यूनिटी गाइडलाइंस के चलते डीलीट कर दिया है।
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अपनी वीडियो में विवेक ने कहा कि “मुझे खेद है और मुझे गर्व भी है। सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र सिस्टम से लड़ना एक मुश्किल काम है। एक विशेष पृष्ठभूमि से आने वाले, कड़ी मेहनत से पढ़ाई करने, कड़ी मेहनत से आप में बदलाव आता है, आप एक इंसान के रूप में बेहतर होते हैं। आप दूसरों के प्रति दयालु बनने की कोशिश करते हैं। लेकिन दुनिया आप पर मेहरबान नहीं है।’
उन्होंने आगे कहा, “जैसा कि भगत सिंह ने कहा था, ‘अगर बहरों को सुनाना है, तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए’, मैंने वो आवाज बनाने की कोशिश की है… सिस्टम भ्रष्ट है। पैसे वाले, सत्ता वाले लोग आपको परेशान करेंगे, आपको परेशान करते रहेंगे लेकिन समस्या का समाधान नहीं करेंगे। जब आप कानूनी प्रणाली के माध्यम से लड़ने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें सबसे बेहतरीन वकील मिलेंगे। वे उत्पीड़न को छुपाने के लिए जितना संभव हो पैसा खर्च करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सिस्टम को सही या परिभाषित नहीं करते हैं।”
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विवेक राज Lifestyle international Pvt Ltd नाम की प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। विवेक ने अपने आखिरी वीडियो में उनके साथ कंपनी के दो सीनियर कर्मचारियों द्वारा जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव किया करने का आरोप लगाया है। विवेक ने इसकी शिकायत कंपनी के HR से भी की थी लेकिन शिकायत करने के बावजूद उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टा कपंनी ने विवेक को परेशान करना शुरू कर दिया। यहाँ तक की विवेक को इस्तीफा देने के लिए भी मजबूर किया गया।
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पुलिस ने विवेक की शिकायत के आधार पर 2 लोगों के खिलाफ़ मामला तो दर्ज़ किया है लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों आरोपियों को ज़मानत मिल गई है और उन्होंने FIR रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिका भी डाल दी है। वहीं मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है तो दूसरी तरफ़ कंपनी का कहना ये है कि वो पुलिस जांच में सहयोग कर रही है।
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बता दें कि विवेक यूपी के कप्तानगंज का रहने वाला था, उनके घर में सिर्फ उनके पिता राजकुमार है जिनकी उम्र 60 से ज्यादा है। घटना पर विवेक के पिता राजकुमार ने कहा ‘पुलिस में शिकायत दर्ज करने और सुसाइड के बीच उसने मुझे (3 जून को) कई बार फोन किया था। वह जिस स्थिति का सामना कर रहा था, उसके बारे में उसने कुछ भी नहीं बताया। उसने सिर्फ मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा। वो आगे कहते है कि मैंने 20 साल पहले अपनी पत्नी को खो दिया था। मेरा बेटा मेरे लिए सब कुछ था और मैंने उसकी शिक्षा के लिए वह सब कुछ किया जो मैं कर सकता था। अब, उसकी मौत के बाद मुझे जीवन भर अकेले रहना होगा।’
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वहीं विवेक द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायत पर जांच की बात करें तो बात Marathahalli पुलिस द्वारा शुरुआत में ना तो FIR लिखी गई ना ही कोई जांच की गई। ACP के दखल देने के बाद इस मामले में FIR दर्ज़ हो हुई थी। लेकिन तब तक जातीय प्रताड़ना से तंग आकर विवेक अपनी जान दे चुका था। अब इस पूरे मामले की जांच व्हाइटफील्ड पुलिस कर रही है। पुलिस ने धारा 34 (समान मंशा से कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य) धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और विवेक की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने धारा 3 (1) (आर) (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य को किसी भी स्थान पर अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या डराना) और 3 (1) (एस) (किसी भी सदस्य को गाली देना) के तहत मामला दर्ज किया था।
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हालांकि में लापरवाही करने वाले पुलिस अफसरों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पूरें मामले के सामने आने के बाद विवेक के एक दोस्त ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विवेक कॉलेज के दिनों में एक उज्ज्वल, मेहनती और प्रतिभाशाली छात्र था। विवेक ने National Institute of Fashion Technology, Bengaluru से पढ़ाई की। साल 2012 में हमारा ग्रेजुएशन पूरा हुआ था और विवेक ने इसके बाद से जॉब करना शुरू कर दिया था। जो विडियो विवेक ने शेयर किया वो दिल दहला देने वाला था। NIFT के पूर्व छात्र अब कॉर्पोरेट जगत में जातिगत भेदभाव के बारे में सोच कर और ज्यादा चिंतित हैं।’
और इस तरह जातिवाद के चलते एक और होनहार दलित व्यक्ति ने अपनी जान ले ली।
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