चुनावों से पहले विपक्षी पार्टियों को मायावती की सलाह, “पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें”

Share News:

लोकसभा चुनावों को लेकर देश भर मे गठबंधन का दौर तेज़ हो गया है। जिसका सबसे ज्यादा असर बिहार में देखने को मिल रहा है। बीतें दिन जीतनराम मांझी  नीतीश कुमार के साथ गठबंधन तोड़ NDA में शामिल हो गए। जिसके बाद ओबीसी – सवर्ण गठबंधन की चर्चा तेज़ हो गई तो वहीं 23 जून को नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ चुनावों से पहले फिर एक बार बीएसपी सुप्रिमों मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

 

यह भी पढ़े : कर्नाटक : जातिवाद ने फिर ले ली दलित की जान, पढ़िए क्या थाी पूरी घटना

देश में जातीय द्वेष औऱ धार्मिक हिंसा का माहौल:

BSP सुप्रीमों मायावती ने ट्वीट कर कहा कि देश “महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक हिंसा आदि से ग्रस्त, देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं”

 

मायावती, अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी

 

यह भी पढ़े :जब मायावती पर जातिसूचक टिप्पणी कर बुरी तरह फंस गए थे महेंद्र सिंह टिकैत, पढ़िए क्या थी पूरी घटना

अपने गिरेबान में झांक कर देखें :

मायावती ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि 23 जून को पटना में नीतीश कुमार द्वारा जो बैठक आयोजित कि गई है। जिसमें तमाम विपक्षी नेताओं को बुलाया गया है यह उस कहावत को सही साबित करती है कि ’दिल मिले न मिले, हांथ मिलाते रहिए।’ उन्होंने आगे लिखा कि इन तमाम राजनीतिक पार्टियों को जनात में अपने लिए विश्वास जगाने से पहले अपने-अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए। ये राजनीतिक पार्टियाँ अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ’मुँह में राम बग़ल में छुरी’ आख़िर कब तक चलेगा?

 

यह भी पढ़े : गेंद छूने पर काट दिया दलित युवक की उंगली

इन पार्टियों में गंभीरता नहीं :  

BSP सुप्रीमों मायावती ने आगे कहा, कि “यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती है, किन्तु विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहाँ अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर व सही मायने में चिन्तित हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी?”

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *