जब मायावती पर जातिसूचक टिप्पणी कर बुरी तरह फंस गए थे महेंद्र सिंह टिकैत, पढ़िए क्या थी पूरी घटना

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सोशल मीडिया पर मायावती और महेंद्र सिंह टिकैत को लेकर एक किस्सा सुनाया जा रहा है। किस्सा मज़ेदार भी और बेहद जरूरी भी क्योंकि यह किस्सा जातिवाद पर प्रहार करता है और बताता है कि जब उस वर्ग का व्यक्ति जिन्हे ऊंच का नीच का भेद रखने वालों ने कभी ऊंचे पद पर नहीं बैठने दिया जब वो उच्च पद पर बैठता है तो वो हर उस बुराई को खत्म कर देना चाहता है जो कभी उसने और उसके जैसे सैकड़ों लोगो ने ब्राह्मणवादी समाज में देखी है।

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बहरहाल, अपने किस्से पर वापस आते हैं औऱ आपकों बताते हैं कि आखिर क्यों मायावती ने महेंद्र सिंह टिकैत को किसी भी हालत में गिरफ़्तार करने का फरमान जारी किया था। दरअसल बात साल 2008 का है जब मायावती उत्तरप्रदेश में पूर्णबहुमत की सरकार चला रही थी। वहीं किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत उस दौर में किसानों के लोकप्रिय नेता हुआ करता थे। उस दौर में हर छोटी-बड़ी, संबंधित या असंबधित मुद्दों पर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा खाप-पंचायत और किसानों का आंदोलन आम बात थी। और ये वहीं बात थी जिसे महेंद्र सिंह टिकैत की विरासत कहा जाता था। अपनी इसी विरासत के चलते बात-बात पर टिकैत राज्य और केंद्र सरकार को घुटनों पर ला देते थे।

2008 में बिजनौर में खाप पंचायत को संबोधित करते महेंद्र सिंह टिकैत (image : jansatta)

 

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इसी चीज़ को लेकर महेंद्र सिंह टिकैत को घमंड हो गया। उन्हें ऐसा लगने लगा कि वो मंच से किसी को भी कुछ भी कह सकता हैं औऱ किसी में हिम्मत नहीं की वो उनका बाल भी बाका कर सकें। उनकी ये आदत हो चली थी कि  वो मंच से सबको गरियाते थे और कोई भी राजनेता पलट कर उनका विरोध नहीं करता था। फिर क्या था 2008 में ही उत्तरप्रदेश के बिजनौर में अपनी ताक़त और बेअंदाज़ी के सुरूर में लिप्त टिकैत ने मंच से यूपी की त्तकालीन मुख्यमंत्री मायावती को लेकर जातिसूचक शब्द बोल दिए।

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महेंद्र सिंह टिकैत की इस हरकत ने संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन तो किया ही था साथ ही उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री और एक दलित नेता का भी अपमान किया था। ये बात जब मुख्यमंत्री मायवती तक पहुंची तब तक ये देश के सबसे बड़े तबके का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता के सम्मान औऱ दलित वर्ग की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी थी। फिर क्या था मायावती ने पुलिस को सीधा फरमान सुनाया कि किसी भी हालत में महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ़्तार किया जाए। देश में ये पहली बार था जब महेंद्र सिंह टिकैत पर कोई नेता टिप्पणी करने से भी डरता था उस दौर में एक दलित मुख्यमंत्री ने प्रदेश की पूरी पुलिस महेंद्र सिंह टिकैत के पीछे लगा दी थी।

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मायवती द्वारा महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ़्तार करने के फ़रमान की जानकारी जब टिकैत के समर्थकों को पता चली तो सभी समर्थकों ने टिकैत के घर तक जाने वाली सड़क को ही जाम कर दिया। जनसत्ता की एक रिपोर्ट बताती है कि मुख्यमंत्री मायावती ने पूरी पुलिस फोर्स को टिकैत की गिरफ्तारी के लिए लगा दिया था। टिकैत के समर्थकों और पुलिस के बीच करीब तीन दिनों तक टकराव रहा इस बीच कई हवाई फायरिंग भी हुई। लेकिन टिकैत पुलिस के हाथ नहीं आए। लेकिन मायावती भी कहाँ हार मानने वाली थी उन्होंने भी ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया और पुलिस को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि चाहे जो हो जाये टिकैत को पकड़ना ही है।

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हालांकि इस बाद में पश्चिम यूपी के कुछ नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद टिकैत ने गिरफ़्तारी नहीं दी लेकिन सरेंडर किया। टिकैत ने इस दौरान मायावती को लेकर कहे गए जातिसूचक शब्दों को वापस लिया औऱ मायावती को अपनी बेटी बाताया। इसके बाद उन्हें कोट से ज़मानत भी मिल गई। इसके बाद यूपी में मायावती के मुख्यमंत्री रहते फिर कोई खाप पंचायत नहीं हुई। इस तरह मायावती ने जातिवादी सोच के खिलाफ़ एक और युद्ध में फतेह हालिस कर ली थी।

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