बाबा साहब को पहले क्यों नहीं मिला भारत रत्न? वजह जान लीजिए..

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आज 31 मार्च है आज ही के दिन बाबा साहब अम्बेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था लेकिन सवाल ये है की बाबा साहब को ये सम्मान उनकी मृत्यु से 34 साल बाद क्यों दिया गया? बाबा साहब को 1990 में ये सम्मान दिया गया था? ऐसा क्यूं था आइए जानते हैं।

बाबा साहब ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का संविधान बनाने की जिम्मेदारी तब अपने कंधों पर उठाई थी जब ज्यादातर लोग इस काम को लगभग नामुमकिन मान चुके थे। लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने ये अजूबा करके दिखाया और 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया। इसके 6 वर्ष बाद तक बाबा साहब समाज सुधार का कार्य करते रहे।

 

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लेकिन इस बीच में या इसके बाद भी लगातार 1977 तक कांग्रेस की सरकार सत्ता में रही लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ की उन्हें खयाल आया हो की बाबा साहब को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए,वहीं दूसरी तरफ 1955 में ही जवाहर लाल नेहरू ने खुद को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया था और उनसे पहले 1954 में ही सीवी रमन और सी राजगोपालाचार्य को ये सम्मान दिया गया था।

लेकिन कभी भी ऐसा समय नहीं आया या मौका नहीं आया जब बाबा साहब को भारत रत्न देने की कोशिश कांग्रेस ने की हो,तो क्या ये मान लिया जाए की कांग्रेस बाबा साहब को नजरंअदाज करना चाहती थी ? या कांग्रेस को ये डर था कि अगर भारत रत्न दिया गया तो कहीं बाबा साहब की छवि और उनका ओहदा उनसे बड़ा ना हो जाए?

 

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अगर ऐसा नहीं था तो क्या वजह थी कि बाबा साहब को भारत रत्न मानने के लिए 1990 तक इंतजार किया गया ? हालांकि नीला कॉट पहनने वाला ये मसीहा भारत रत्न का सम्मान दिए जाने से पहले ही बहुत बड़ा था, क्योंकि जो शख्स तीन पीएचडी की डिग्री अपने पास रखता हो जो शख्स दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक में पढ़ा हो। जिसे दुनिया भर में सिंबल ऑफ नॉलेज  के प्रतीक के रूप में जाना जाता हो वो तो “विश्वरत्न” हुआ न ।

क्योंकि बाबा साहब ने संविधान बनाकर जो सम्मान करोड़ों भारतीयों को दिया,  संविधान की ताकत दी और उन्हें ये बताया कि उठो, पढ़ो और आगे बढ़ो संविधान तुम्हारे साथ है। बाबा साहब विश्व रत्न हैं जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का संविधान बना देते हैं,जो अपने कलम की ताकत से हजारों साल की ऊंच नीच को खत्म करने की ताकत दे देते हैं ये अपने आप में अजूबा है।

 

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इसलिए बाबा साहब को भारत रत्न न दे कर हो सकता है सरकारों को ये लगता हो की हम उनकी अहमियत और कद को कम कर सकते हैं लेकिन जिसने देश को लोकतंत्र दिया हो,और बोलने का अधिकार दिया उसका कद कही बड़ा है। वो भारत के “रत्न” उसी दिन बन गए थे जब उन्होंने गुंगों को ज़ुबान दी थी और बिना हाथ और पैर वालों को हाथ और पैर दिए थे ये बाबा साहब का कद था जो हमेशा रहेगा।

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