9 घंटे तक दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों के चक्कर काटती रही उत्तराखंड की सपना, किसी ने नहीं किया एडमिट-कैंसर रोगी की चली गयी जान

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उत्तराखंड से आए मरीज की दिल्ली की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने ले ली जान, कैंसर पीड़ित पति को लेकर 9 घंटों तक दिल्ली के तीन अस्पतालों के चक्कर काटती रही पत्नी, किसी ने नहीं किया एडमिट तो मरीज गयी गयी जान…

Medical negligence : राजधानी दिल्ली से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यह घटना ना केवल इंसानियत को शर्मसार करती है बल्कि सवालों के कटघरे में खड़ा करती है उन तमाम लोगों को जो चीख चीख कर अस्पतालों में सुविधा होने के ढोल पीटते हैं और जब बात जमीनी स्तर की आती है तो इन वादों की पोल खुलती है। मालूम होता है कि उन झूठे लोगो के सारे वादे झूठे हैं। हर बात की परत-दर-परत हर सतह के नीचे सिर्फ झूठ और मक्कारी है।

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भारत की राजधानी दिल्ली में एशिया के दो सबसे बड़े अस्पताल हैं। एक सफदरजंग और एक एम्स लेकिन फिर भी उत्तराखंड से आई एक महिला ने अपने जीवन जीने का सहारा खो दिया। कारण किसी भी अस्पताल ने उसके कैंसर से पीड़ित पति को एडमिट करने से मना कर दिया। जानकारी के मुताबिक, महिला अपने पति को पूरे 9 घंटो तक इस अस्पताल से उस अस्पताल लेकर भटकती रही लेकिन कहीं बैड न होने के कारण तो कहीं ऑक्सीजन न होने का हवाला देकर उसके बीमार पति को एडमिट नहीं किया गया। इलाज के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाए तो वो एक हादसा कहलाती है लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जब किसी मरीज की जान जाती है तो इस त्रासदी पर चुप्पी साध जाते हैं स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, हेल्थ सेक्रेट्री और स्वास्थ्य मंत्री और वो तमाम डॉक्टर जो मरीजों को देखने के लिए अस्पताल से मोटी फीस लेते हैं।

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मामला चार दिन पुराना है जब सिस्टम की लापरवाही से एक मरीज ने बिना इलाज के दम तोड़ दिया। करीब दो हफ्ते पहले सपना नाम की एक महिला अपने कैंसर से पीड़ित पति को उत्तराखंड से लेकर दिल्ली इस आस में आई थी कि यहाँ बेहतर इलाज मिलेगा लेकिन हुआ कुछ उल्टा ही। पीड़िता के मुताबिक वो अपने पति  को लेकर तीन-तीन सरकारी अस्पतालों में गईं, लेकिन कहीं भी उनके पति को एडमिट नहीं कियी गया। बहरहाल बताते चले की अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है।

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पीड़ित महिला की माने तो,  16 मार्च को उसने अपने पति पुनीत को दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान (DSCI) अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बाद 28 मार्च को अस्पताल के लोगों ने उसके पति को AIIMS या GB पंत अस्पताल में रेफर किया। कारण ये बताया गया कि वहाँ ICU नहीं है। महिला के मुताबिक,” हम रात करीब 8 बजे एम्स पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे अटेंड नहीं किया। हमें बताया गया कि एम्स के पास बेड और वेंटिलेटर नहीं है, इसलिए भर्ती नहीं कर सकते।”

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यह पूरे सिस्टम की मौत है :

इसके बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल जाने को कहा गया। वहां भी कुछ नहीं हुआ। मैंने पति को एडमिट करने की मिन्नतें की, लेकिन अस्पताल ने मना कर दिया गया। फिर मैं जीबी पंत अस्पताल पहुंची, वहां भी कुछ नहीं हुआ। घंटों दौड़ती रही और कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो वापस पति को DSCI लेकर पहुंची जहां 30 मार्च की सुबह सिस्टम की लाचारी ने मेरे पति की जान ले ली।’ पीड़ित महिला अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित है कि आगे की जिंदगी कैसे चलेगी क्योंकि उसके जीवन की एक अकेली आस उसका पति सिस्टम की नाकामी की भेंट चढ़ गया है। महिला ने उसके साथ हुए इस हादसे को उसके पति की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की मौत बताया है।

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