यूपी: दलितों को लेकर किये जाने वाले दावे और वादे ठंडे बस्ते में क्यों रह जाते है ?

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कुछ दिनों पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दलित समुदाय के लिए एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा है कि दलित यूपी में जहां भी रहेंगे उन्हें वहीं ज़मीन का पट्टा भी जाएगा। उन्होंने आगे महिला सुरक्षा की बात करते हुए कहा “बेटी-बहन की कोई जाति नहीं होती है।“ यदि महिलाओं की सुरक्षा में कोई सेंधमारी करता है तो उन्हें पाताल से भी ढूंढ कर निकाला जाएगा।

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लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यूं बीजेपी सरकार द्वारा दलितों और महिलाओं पर किए वादे जमीन पर नज़र नहीं आते। क्यों चुनाव आते ही ये मुद्दे गरमाने लग जाते हैं और क्यों चुनाव खत्म होने के बाद ये सभी दावे और वादे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं ?

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बीते मंगलवार ( 17 अक्टूबर)  को योगी आदित्यनाथ ने हापुड़ और बुलंदशहर जैसे शहरों में जनसभा को संबोधित किया । जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कई योजनाओं की घोषणा भी की। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी के 18 जिलों के अनुसूचित जाति, जनजाति समाज के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, यूपी में एससी, एसटी (SC,ST) समुदाय के आवास को कोई उनसे छीन नहीं सकता।

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सीएम योगी ने यह भी ऐलान किया कि दलित परिवार जिस जमीन पर रह रहें हैं उन्हें उसी जमीन पर पट्टा दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि, यदि उनका घर आरक्षित जमीन पर भी है तो उन्हें दूसरी जगह पर पट्टा दिया जाएगा।

 

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बहन बेटी की कोई जाति नहीं होती :

बुलंदशहर के ट्रांसपोर्टनगर में “नारी शक्ति वंदन सम्मेलन” का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि “बेटी बहन की कोई जाति नहीं होती है।“ यदि महिलाओं की सुरक्षा में कोई सेंधमारी करता है तो उन्हें पाताल से भी ढूंढ लेंगे। यानी सीएम योगी आदित्यनाथ कह रहे है कि यूपी में महिला चाहे दलित हो, आदिवासी हो, सवर्ण हो या पिछड़े समुदाय की हों उनकी सुरक्षा में कोई चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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लेकिन ये बातें कितनी कारगार साबित होंगी आइए इसकी जमीनी हकीकत देखने के लिए यूपी में दलितों औऱ महिलाओं के साथ हुई पहले की कुछ घटनाओं पर नज़र डालते हैं।

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मनीषा वाल्मिकी केस : 21 सितंबर 2021 को यूपी के हाथरस में बेटी मनीषा वाल्मिकी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया फिर उसकी हत्या कर दी गई और उसके परिवार को सूचित किए बिना उसका देह संस्कार कर दिया गया। इतना सब होने के बाद भी योगी सरकार ने कुछ नहीं किया पीड़ित के परिवार वालों ने भी योगी सरकार के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त किया। एक बार फिर योगी सरकार दलित परिवार को न्याय दिलाने में नकामयाब रही।

 

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उन्नाव केस : दिसंबर 2021 को उन्नाव में भी दलित लड़की का दुष्कर्म करके उसे मारकर आश्रम के पीछे गाड़ दिया गया था इस घटना ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे । चुनाव के दौरान रैलियों में योगी सरकार कानून व्यवस्था को लेकर बड़े दावे करती है और यूपी पुलिस अपराधियों को पकड़ने की बात करती है लेकिन फिर भी यूपी में लगातार दलितों और महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे हैं। उन्नाव की इस घटना ने एक बार फिर से ये बात साबित कर दी है युपी में आज भी महिलाएं असुरक्षित है।

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सोनभद्र मामला : उम्भा गांव में भी आदिवसियों की हत्या कर दी गई जिसकी वजह से वहां के आदिवासियों में यूपी सरकार के प्रति रंज है उनका यह कहना है कि सरकार बड़े वादे तो करती है पर उन पर खरा नहीं उतरती है। सोनभद्र की इस घटना से यह बात साबित होती है कि योगी सरकार दलितों की सुरक्षा और उनके हितों के लिए कार्य करने में आज भी असमर्थ है।

यूपी के चंदौली में गुंडों द्वारा दलितों के घर जला दिए गए महिलाओं के साथ बदसुलूकी भी की गई। इस तरह की घटनाएं यूपी सरकार की लापरवाही को उजागर करती है।

 

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यूपी में आए दिन दलित, आदिवासी के उपर अत्याचार की घटनाएं सामने आती रहती हैं। अखबारों के पन्नों पर दलित उत्पीड़न की खबरें सबसे ज्यादा होती हैं। इन मामलों में NCRB की रिपोर्ट योगी सरकार की पोल खोल रही है। NCRB रिपोर्ट के अनुसार यूपी उन राज्यों में शामिल है जहां दलितों और महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। यदि योगी सरकार महिला सुरक्षा को लेकर इतनी कठोर है तो फिर दलितों और महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं लगातार क्यों बढ़ती जा रही है?

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लेकिन सवाल फिर से वही है कि जब सीएम योगी जाति को भूल कर महिला सुरक्षा की बात करते हैं तो फिर आखिर क्यूं उनकी सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर किए गए वादे जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देते हैं? क्यों चुनाव आते ही ये मुद्दे गरमाने लग जाते है, आख़िर क्यों दलित सिर्फ़ एक वोट बैंक बनकर रह गए है जो चुनाव के समय ही याद आते है और चुनाव ख़त्म होते ही भुला दिये जाते है।

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