“यदि भारत की धरती पर फ़ुले न पैदा होते तो डॉ अंबेडकर के पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता” ये बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इस बात को खुद बाबा साहेब अंबेडकर ने उस वक्त कहा था जब उन्होंने राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले के जीवन और मिशन का गहराई से अध्ययन किया था। वैसे कहा ये भी जाता है कि अम्बेडकर के रूप में फुले की वो भविष्यवाणी सच सबित हुई थी जो उन्होंने अपने सामाजिक आंदोलन के उत्तरार्द्ध की थी।
लेकिन क्या थी वो भविष्यवाणी जो ज्योतिबा राव फुले ने की थी और क्यों अम्बेडकर ने कहा कि अगर फूले पैदा न होते तो अम्बेडकर के पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता?
हम सब जानते हैं कि ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत के पहले नायक थे जिन्होंने शूद्रों, अतिशूद्रों, महिलाओ और किसानों के लिए संघर्ष किया। फुले वो नायक थे जिन्होंने सामाजिक लोकतंत्र का सपना देखा था। उनकी नस-नस में समता और स्वतंत्रता बसती थी। तर्क करना उनका सबसे बड़ा हथियार था। इसी के बूते फुले हर चीज़ को तर्क और न्याय की कसौटी पर इस कदर कसने लगे मानो यही उनका पेशा हो। फुले ने शुद्रों और अतिशूद्रों के साथ साथ महिलाओं को भी उनके अधिकारों के लिए जागृत किया था जिसकी शुरूआत उन्होंने अपने घर से यानी अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को शिक्षित करने से की।
उन्होंने भरतीय समाज को आधुनिक बानने के लिए 24 सितंबर 1873 को “सत्य शोधक समाज” की स्थापना की थी। उनका यह कदम सामाजिक न्याय के लिए शुरू की गयी यात्रा में मील का पत्थर साबित हुआ। जब फुले का ये सामाजिक आंदोलन आधा सफल हो चला था तब फुले ने इस आंदोलन के अतीत का आकलन किया और वर्तमान को समझने के बाद एक भविष्यवाणी की।
उन्होंने कहा, “जब शूद्रों, अतिशूद्रों, कोल, भीलों के बच्चे जिनको ब्राह्मणों ने नीच, शूद्र, अछूत कहकर दुत्कारा है। धीरे-धीरे समुचित ज्ञान, शिक्षा प्राप्त करेंगे तो एक दिन उन्हीं के मध्य से महान व्यक्ति का प्रादुर्भाव होगा, जो हमारी समाधि पर पुष्प वर्षा करेगा और हमारे नाम पर हर्ष और विजय की घोषणा करेगा। जब थोड़े लोग ऊंच और ज्यादा लोग नीच कहे जायेंगे, तो नीचे वाले स्वाभिमान जागने पर संगठित होकर ऊंचे वालों को नीचे उतारेंगे, तब अशान्ति अवश्य होगी और ऊंचे वाले अपनी ऊंचाई कायम रखने के लिए हिंसा का सहारा लेंगे, परन्तु जनमत के सामने उनका हिंसा का हथियार उन्हीं के विनाश का कारण बनेगा।”
राष्ट्रपिता ज्योतिबा राव फुले की भविष्यवाणी शत-प्रतिशत सच साबित हुई और महाराष्ट्र के अछूत शूद्र यानि महार जाति में ही डॉ. अम्बेडकर का जन्म हुआ। जिन्होंने राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले के जीवन और मिशन को जानने के बाद ये घोषणा की कि “यदि भारत की धरती पर फूले न पैदा होते तो डॉ. अम्बेडकर के पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता।” डॉ अम्बेडकर की इस घोषणा से प्रेरित होकर मूलनिवासी बहुजन समाज राष्ट्रपिता फुले की समाधि पर आज पुष्प वर्षा कर रहा है। (डॉ.अंबेडकर जीवन और मिशन, लेखक-दयाराम, पेज न.15)
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।