हंटर कमिशन से शिक्षा और नौकिरयों में आरक्षण की मांग के पीछे महात्मा फुले ने क्या तर्क दिया था ? पढ़िए   

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महात्मा फुले ने दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए हैं। महात्मा फुले सभी वर्गो के लोगो को शिक्षा प्रदान करने का समर्थन करते थे और वह भेदभाव, जातिगत भेदभाव, छुआछूत के खिलाफ थे। ज्योतिबा फुले चाहते थे कि समाज का हर वर्ग शिक्षित हो खासतौर से महिला शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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महिलाओं की दशा सुधारने के लिए ज्योतिबा फुले ने महिलाओं के लिए विद्यालय की भी स्थापना की थी और इसे देश का पहला महिला विद्यालय भी कहा जाता है। इस विद्यालय में उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले अध्यापिका के तौर पर कार्य करती थीं । ज्योतिबा फुले ने समाज की रुढ़ीवादी धारणाओं की फिक्र न करते हुए अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर किया। लोगो ने इसका विरोध किया यहां तक कि उन पर पत्थर भी फेंके उन्हें अपशब्द भी कहे इसके बाद भी वह रुके नहीं और आगे बढ़ते गए।

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हंटर कमिशन से मांगा दलितों, शोषितों के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण :

 

शिक्षा के माध्यम से महात्मा फुले समाज में परिवर्तन लाना चाहते थे लोगों को जागरूक कर उनमें समानता का भाव भरना चाहते थे। शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिबा फुले ने हंटर कमीशन का भी समर्थन किया।

इस आयोग को 19 अक्टूबर 1882 के दिन सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में प्रस्तुत किया गया था इसलिए इस कमीशन को हंटर कमीशन कहा जाता है। हंटर कमीशन को “भारतीय शिक्षा आयोग” के नाम से भी जाना जाता है। इस आयोग के माध्यम से आज के दिन ही ज्योतिबा फुले ने सभी के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की मांग रखी थी।

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महात्मा फुले ने कहा निचली जाति से हो शिक्षक :

 

उन्होंने इस आयोग के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रति भी अपने विचार व्यक्त किए। उनका ऐसा कहना था कि प्राथमिक शिक्षा उच्च शिक्षा की तुलना में जरुरी होती है क्योंकि प्राथमिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति की पहली जरुरत है। ज्योतिबा फुले ने यह भी कहा कि ब्रिटिश सरकार को आम जनता जो कर अदा करती थी ब्रिटिश सरकार उस राजस्व की सहायता से प्राथमिक शिक्षा के लिए किसी भी तरह के संसाधन प्रदान नहीं करती थी।

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महात्मा फुले यह भी चाहते थे कि शिक्षकों का निचली जाति से चयन किया जाएं ताकि उन्हें भी रोजगार के अवसर मिल सके और प्राथमिक शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तुलना में ज्यादा वेतन मिलें। ज्योतिबा फुले ने यह भी कहा था कि देश में शिक्षित पुरुषों की संख्या कम है वह दिन दूर नहीं जब शिक्षित पुरुषों की संख्या बढ़ जाएगी।

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महात्मा फुले के अनुसार प्राथमिक शिक्षा की दो बुनियादी जरुरते थी। पहली कुशल शिक्षक और दूसरी अच्छा पाठ्यक्रम। फुले ने कहा कि प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शिक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए उसे एक कुशल और प्रशिक्षित शिक्षक होना जरुरी है।

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