तमिलनाडु : मेलपाथी में दलित क्यों कर रहे अलग पोलिंग बूथ की मांग, किस जातिगत हिंसा का दे रहे हवाला ?

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सरकार और पुलिस की निष्क्रियता और उदासीनता ने हम दलितों के मनों में इस बात को बैठा दिया है कि अगर हमारे साथ फिर कोई जातिगत हिंसा होती है तो हमें सुरक्षा नहीं मिलेगी और ना ही अपराधियों को सजा मिलेगी। यही कारण है कि हम अलग पोलिंग बूथ की मांग कर रहें हैं क्योंकि यह चुनाव हमारे लिए दोबारा उसी पीड़ा से गुजरने का एक और कारण नहीं बन सकता।”

 

देश भर में चुनावों का माहौल है। सभी राजनीतिक पार्टियां जन-सभाओं से लेकर रैलियां करने में जुटी हैं। सबका बस एक लक्ष्य यह है कि कैसे भी सत्ता पर काबिज रहना है। लेकिन चुनावों में मतदान करने के लिए तमिलनाडु के मेलपाथी मे रहने वाले दलितों को संघर्ष करना पड़ रहा है। दरअसल, तमिलनाडु के मेलपाथी में 450 दलितों ने कलेक्टर के पास जाकर आवेदन दिया है कि उनके लिए चुनावों में अलग पोलिंग बूथ की व्यवस्था की जाए ताकि वह उच्च जातियों के साथ बिना किसी संघर्ष के मतदान कर सकें।

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दलितों ने क्यों की अलग मतदान केंद्र की मांग :

शुक्रवार 29 मार्च को विल्लुपुरम के मेलपाथी गांव में रहने वाले 450 दलितों ने कलेक्टर ऑफिस जाकर याचिका दी जिसमें लिखा कि मेलपाथी का मतदान केंद्र उच्च जाति के बहुल इलाके में स्थित हैं। साल 2023 में इसी इलाके के द्रौपदी अम्मन मंदिर में प्रवेश को लेकर ऊंची जाति के लोगों ने दलितों को दौड़ाया था उन पर शारीरिक हमला किया था और इतना ही नहीं जातिगत गालियों से अपमानित भी किया गया था। हमें डर है कि मतदान करने अगर हम जाएंगे तो ऊंची जाति के लोग फिर अपनी वही रणनीति अपनाएंगे और हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जाएगा। ऐसे में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होगी और हम ऐसा नहीं चाहते। इसलिए हमारे  लिए अलग मतदान केंद्र की व्यवस्था की जाए। और अगर ऐसा नहीं  किया जा सकता तो हमारे कलेक्टर ऑफिस पर वोट डालने की व्यवस्था की जाए।

 

 

एक साल पहले क्या हुआ था ?

समाचार संस्थान the new indian Express की रिपोर्ट के  मुताबिक एक स्थानीय दलित युवक ने बताया कि हम अलग बूथ इसलिए नहीं चाहते  की  हमें डर है बल्कि हमें अपने आत्म-सम्मान और गरिमा की रक्षा करनी है इसलिए हम अलग बूथ की मांग कर रहें हैं। एस साल पहले मेलपाथी में ही उच्च जाति के बहुल इलाके में मौजूद द्रौपदी अम्मन मंदिर में प्रवेश को लेकर हमारे रिश्तेदारों को ऊंची जाति वालों द्वारा पीछा किया गया। उनके साथ मारपीट की गयी। और गाली-गलौज भी कि गयी। जिसके बाद ऊंची जाति वालों ने हमें कृषि श्रमिकों के रूप में काम पर रखना भी बंद कर दिया है।

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उस घटना के अपराधियों को नहीं मिली सज़ा :

मीडिया से बात करते हुए दलितों ने बताया ने बताया एक साल पहले जो घटना घटी थी उसके लिए आज तक अपराधियों को अभी तक सजा नहीं मिली है। किसी को भी दलितों के साथ की गयी हिंसा और जातिगत भेदभाव के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया  है। इस मामले में सरकार और पुलिस की निष्क्रियता और उदासीनता ने हम दलितों के मनों में इस बात को बैठा दिया है कि अगर हमारे साथ फिर कोई जातिगत हिंसा होती है तो हमें सुरक्षा नहीं मिलेगी और ना ही अपराधियों को सजा मिलेगी। यही कारण है कि हम अलग पोलिंग बूथ की मांग कर रहें हैं क्योंकि यह चुनाव हमारे लिए दोबारा उसी पीड़ा से गुजरने का एक और कारण नहीं बन सकता।”

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क्या दलितों के अलग पोलिंग बूथ संभव हैं ?

जानकारी के मुताबिक दलितों ने अलग पोलिंग बूथ स्थापित ना करने के अलावा कलेक्टोरल में अपना वोट डालने की भी बात कही है। यही नहीं उन्होंने DRO को भी इस बात से अवगत कराया है कि उन्होंने कलेक्टर के पास याचिका दी है। वहीं अधिकारियों के मुताबिक एक अलग बूथ तब ही बनाया जा सकता है जब मतदाताओं की संख्या 1500 से अधिक हो। बहरहाल मीडिया से बात करते  हुए मेलपाथी के कलेक्टर पलानी ने कहा कि,  “हमनें मेलपाथी के पोलिंग बूथ को दलितों के लिए असुरक्षित चिह्नित किया है लेकिन वोटिंग वाले दिन दलितों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर पोलिंग बूथ पर CRPF कमिर्यों की विशेष सुरक्षा करवाई जाएगी। लाइव वेबकैम कास्टिंग, राज्य पुलिस बल और माइक्रो पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा, हमने ऊंची जाति के निवासियों को चुनाव के दिन दलितों के साथ झगड़ा करने पर गंभीर पुलिस कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

 

 

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