“केजरीवाल ने 10 साल से दलित डिप्टी सीएम बनाने का वादा पूरा क्यों नहीं किया?”

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अरविंद केजरीवाल ने 10 साल पहले दिल्ली में दलित डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस वादे पर सवाल उठाते हुए कहा कि दलित समुदाय के साथ यह एक बड़ा धोखा है। चुनावी समय पर इस मुद्दे को उठाकर भाजपा ने आप सरकार की नीयत पर प्रहार किया है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर दिल्ली में आप की सरकार बनती है, तो मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री होंगे। यह घोषणा जंगपुरा में एक चुनावी जनसभा के दौरान की गई, जिसमें केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए दिल्ली की मुफ्त सुविधाओं की गारंटी दोहराई। उन्होंने कहा कि भाजपा अगर सत्ता में आई, तो दिल्ली के लोगों से मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा छीन लेगी। केजरीवाल ने दावा किया कि आप सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है।

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भाजपा का पलटवार: दलित वादे की याद दिलाई

केजरीवाल की इस घोषणा के बाद भाजपा ने पलटवार किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केजरीवाल ने 10 साल पहले एक बड़ा वादा किया था कि दिल्ली में दलित समुदाय से उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार के पास जेल जाने तक का समय था, लेकिन दलितों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का समय नहीं मिला। उन्होंने दिल्ली के दलितों को याद दिलाया कि कैसे उन्हें आप सरकार के वादों से बार-बार धोखा दिया गया।

दलितों के लिए योजनाओं का अभाव

दिल्ली में दलित समुदाय ने हमेशा राजनीति का केंद्र बिंदु बनाया है, लेकिन वास्तविक लाभ अभी तक उन तक पहुंचा नहीं है। आप सरकार ने मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा की योजनाओं से अपनी छवि चमकाने की कोशिश की, लेकिन दलित समुदाय के लिए विशेष योजनाओं का अभाव साफ दिखाई देता है। भाजपा ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल को घेरते हुए कहा कि उन्होंने दलित समुदाय को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया।

भाजपा पर भी सवाल: दलितों को क्या मिला?

हालांकि, भाजपा की तरफ से किए गए हमले को भी दलित समुदाय ने सवालों के घेरे में लिया है। दिल्ली के दलितों का कहना है कि भाजपा ने भी 20 राज्यों में सरकार होने के बावजूद दलित कल्याण के लिए कुछ खास नहीं किया। उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की बातें केवल भाषणों में दिखती हैं। भाजपा ने बार-बार दलित समुदाय को “पिछड़ेपन से उबारने” की बात की है, लेकिन उनकी सरकारों में जमीनी स्तर पर सुधार नहीं दिखता।

क्या दलित राजनीति बनी चुनावी हथकंडा?

दिल्ली की राजनीति में दलित समुदाय हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। आप ने सत्ता में आने के लिए 10 साल पहले दलित डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया गया। दूसरी तरफ, भाजपा भी दलितों को केजरीवाल सरकार के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, दोनों पार्टियों की दलित राजनीति केवल चुनावी फायदे तक सीमित लगती है।

दलितों की उम्मीदें: कौन करेगा असली काम?

अब सवाल यह है कि दिल्ली के दलित समुदाय की भलाई के लिए असली काम कौन करेगा? चुनावों के दौरान किए गए वादे कितने पूरे होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन फिलहाल दलित समुदाय दोनों पार्टियों से निराश नजर आता है। एक तरफ, आप सरकार की 10 साल की नाकामी है, तो दूसरी तरफ भाजपा की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं।

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निष्कर्ष

दिल्ली का चुनावी माहौल अब पूरी तरह से दलित राजनीति के इर्द-गिर्द घूम रहा है। केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान कर अमित शाह के तंज का जवाब देने की कोशिश की, लेकिन यह दलित समुदाय को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है। भाजपा ने केजरीवाल को घेरने की कोशिश की है, लेकिन अपनी सरकारों के प्रदर्शन पर सवालों से बच नहीं सकती। ऐसे में दिल्ली के दलितों को सिर्फ चुनावी वादों से संतुष्ट नहीं किया जा सकता। उन्हें असली विकास चाहिए, न कि राजनीतिक खेल का हिस्सा बनने की मजबूरी।

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