तमिलनाडु : दलित परिवार के साथ मारपीट और जातिसूचक गालियाँ देने के आरोप में पुलिस कर्मियों पर FIR दर्ज

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चेन्नई: दलित परिवार के साथ मारपीट औऱ जाति आधारित गालियाँ देने के खिलाफ़ मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस को सब-इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। बता दें कि पुलिस कर्मियों पर 2016 में तिरुवन्नामलाई जिले में चेंगम स स्टैंड के पास अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित एक व्यक्ति, उसकी पत्नी और बेटे को सार्वजनिक रूप से बेरहमी से पीटने और जाति को लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप है।

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सब-इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिस वालों पर FIR :

 

न्यायमूर्ति जीके इलानथिरायन ने तिरुवन्नामलाई एसपी को एसआई मुरुगन और कांस्टेबल नम्मलवार और विजयकुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। बता दें कि दलित परिवार के मुखिया राजा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश पारित किया है। अदालत ने यह भी कहा कि मामले की जांच 12 सप्ताह के भीतर पूरी कि जाए।

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कार्यवाही के निर्देश :

अदालत ने एसपी के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का आदेश दिया है। वहीं कार्यवाही पूरी होने तक उन्हें सेवा से निलंबित रखा है।

 

बता दें कि न्यायाधीश ने तमिलनाडु के गृह सचिव को प्रत्येक पीड़ित को 50,000 रुपये का मुआवजा देने को कहा है। साथ ही दोषी पुलिस कर्मीयों से राशि की वसूली करने का आदेश दिया है।

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क्या थी घटना :

घटना 22 जुलाई, 2016 की है जब चेंगम के पुराने बस स्टैंड पर परिवार के सदस्यों के बीच मामूली झगड़ा हुआ था। इस दौरान पुलिस ने बीच में हस्तक्षेप किया और परिवार के सदस्यों के साथ बेरहमी से मारपीट की। दी न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पुलिस वाले महिला का ब्लाउज फाड़ने की हद तक चले गये थे। शिकायत दर्ज कराने और वरिष्ठ अधिकारियों को याचिका देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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अदालत ने आदेश में लिखा :

 

अदालत में एडवोकेट टी अरोकिया दास, पीड़ित दलित व्यक्ति राजा की ओर से पेश हुए। उनके बयान के आधार पर न्यायाधीश ने आदेश में पूरी घटना को दर्ज किया।

 

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आदेश में लिखा गया कि याचिकाकर्ता ने विज्ञापन द्वारा खुद पर हमले का विरोध किया लेकिन आरोपियों ने उनके साथ हाथापाई की और लाठी से उन पर बेरहमी से हमला किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोपियों ने पीड़ित की पत्नी की जैकेट फाड़ दी। और लोगो के सामने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग उनकी मदद के लिए आगे आए, पुलिस कर्मियों ने उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने की धमकी दी।

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