PHD स्केम पर अब आज़ाद ने संभाला मोर्चा, वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ Viva दोबारा करवाने की मांग उठायी

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JNU में चल रहे पीएचडी वाइवा विवाद में भीम आर्मी चीफ चंद्रा शेखर आज़ाद ने भी अब मोर्चा संभाल लिया हैं उन्होंने ट्वीट कर मामले की निंदा करते हुए कहा कि JNU के द्रोणाचार्यों द्वारा P.H.D प्रवेश परीक्षा में OBC-SC-ST छात्रों को viva में कम अंक देकर एडमिशन से वंचित रखना निंदनीय है। JNU प्रशासन वीडियो रिकार्डिंग के साथ फिर से viva कराये। ताकि ऐसे जातिवादी प्रोफेसरों पर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित हो।

उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा,यदि बहुजन छात्रों के साथ न्याय नहीं हुआ तो न्याय के लिये हम आंदोलन करेंगे। आखिर कब तक द्रोणाचार्य एकलव्य का अगूंठा काटते रहेंगे। बहुत दिन हुआ पर अब हम ये अन्याय होने नही देंगे। जय भीम।

बता दे कि JNU में एक आदिवासी लड़की जो लिखित परीक्षा में पास होकर वाइवा देती है और वहा उसे 30 मे से 1 -5 नंबर दे कर उसके विश्वविधालय बाहर कर दिया जाता हैं और ये तब हुआ जब JNU जैसा संस्थान आदिवासी छात्रों को आरक्षण देता हैं और सुविधाए उपलब्ध कराता हैं ये सोचने वाली बात
पिछले 70 साल से ये सवर्ण हर ऊपरी जगह में 90% से ज्यादा बैठे हुए है और यही स्वर्ण हैं जो दलित और आदिवासी छात्रों को आगे आने को मौका ही नहीं देते।

जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष आइशी घोष ने भी ट्वीट कर जेएनयू एंट्रेंस वाइवा-वॉयस में जो हो रहा है, उसे बेनकाब करने की जरूरत है। हाशिए के वर्गों से आने वाले छात्रों को 30 में से 1 या 2 के रूप में चिह्नित किया गया है।जेएनयू प्रशासन को जवाब देने की जरूरत है कि ऐसा क्या कारण है कि वे ऐसी भेदभावपूर्ण नीतियां अपना रहे हैं?

बाबा साहब अंबेडकर ने समाज से जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सालो लम्बी लड़ाई लड़ी हैं लेकिन ये समाज के कुछ ऊपरी जाति के लोग आज भी अपनी मनुवादी मानसिकता से बाहर नहीं आ सके हैं और जिसकी वजह से सालो बाद भी दलितों को और पिछड़ी जातियों को इसका सामना करना पड़ रहा हैं समाज के छोटे से छोटे काम में और शिक्षा के क्षेत्र में भी और देश के बड़े बड़े संस्थान में भी।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

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