लोकसभा चुनावों में अखिलेश का “PDA” फॉर्मूला कितना कारगर ? विपक्षियों ने बताया..

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। ओपी राजभर ने कहा  है कि जब 5 साल तक अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे तब उन्हें दलितों,पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की याद क्यों नहीं आई?

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दरअसल  समाजवादी पार्टी प्रमुख  अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी छवि को भावी नेता के रुप में बेहतर दिखाने के लिए पीडीए साइकिल यात्रा की शुरुआत की है। पीडीए यात्रा को माध्यम बनाकर ही सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब वह 5 साल तक मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने दलितों के लिए कुछ नहीं किया तो अब क्या करेंगे?

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पीडीए फॉर्मूला क्या है?

अखिलेश यादव  ने  21 जून 2023 बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि पीडीए मूल रूप से पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक के शोषण, उत्पीड़न व उपेक्षा के खिलाफ उठती हुई चेतना व समान अनुभूति से जन्मी उस एकता का नाम है, जिसमें हर वर्ग के वे सब लोग भी शामिल हैं, जो मानवता के आधार पर इस तरह की नाइंसाफी के खिलाफ हैं. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब इससे जुड़ें।

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पीडीए फॉर्मूला कितना कारगर ?

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पीडीए यात्रा को माध्यम बनाकर केवल एक बड़ा वोट बैंक हासिल करने की जुगत में है। उनका मकसद केवल अपने वोटर्स को साधना है।

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ओपी राजभर का बयान:

ANI उत्तराखंड/यूपी मीडिया रिपोर्ट, के मुताबिक ओपी राजभर ने अपने बयान में यह भी कहा कि उनकी पीडीए यात्रा जीतने का नारा नहीं देगी। बल्कि दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हक छीनने का नारा देने वाली है। यह पीडीए यात्रा केवल उनके अपने मकसद के लिए है और एक बड़ा वोट बैंक हासिल करना ही उनका मकसद है। जब अखिलेश यादव 5 साल तक मुख्यमंत्री रहे तब तो उन्होंने दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया। बल्कि समुदाय को मिलने वाला 27%  सभी लाभ केवल अपने समुदाय को दिए।

अब फिर से वह दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने की योजना बना रहें हैं। अब उनके पास कोई शक्ति नहीं है उत्तरप्रदेश तो पहले ही उनसे दूर हो चुका है और दिल्ली तो बहुत दूर की बात है।

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देखा जाए तो समाजवादी पार्टी मुस्लिम और यादव के लिए जानी जाती है। लेकिन अब समाजवादी पार्टी गैर यादव ओबीसी और दलितों में अपनी पैठ बनाने के लिए पीडीए फॉर्मूला को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए इस्तेमाल कर रही है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर अखिलेश यादव का यह पीडीए फॉर्मूला 2024  के लोकसभा चुनाव के लिए कितना कारगर साबित होता है।

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