अब “अ” से “अछूत” नहीं “अ” से “अंबेडकर” पढ़िए..

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कहते है कि लिपियों का आविष्कार विद्वानों ने नहीं, चित्रकार और मूर्तिकारों ने किया। भारत में ही नहीं, दुनिया की किसी भी सभ्यता में लिपि के निर्माण के पहले चित्र और मूर्तियों का निर्माण हुआ। ये मूर्तिकार और चित्रकार कौन थे?  हिंदी भाषा के लेखक हरिनारायण ठाकुर बताते हैं कि “भारतीय संस्कृति और शास्त्रों ने इन्हें शूद्र कहा है। जितने भी कामगार अथवा शिल्पकार हैं,  भारत में उन्हें शूद्र श्रेणी में रखा गया।“

 

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जब हम हिंदी भाषा की बात करते हैं, तो इसके अंतर्गत खड़ीबोली के साथ-साथ वे तमाम बोलियां, उप-भाषाएं और लोकभाषा आ जाती हैं, जिन्हें हिंदी क्षेत्र में बोला और समझा जाता है। इस अध्ययन में संस्कृत को भी रखा जा सकता है, क्योंकि इसमें लिपि के साथ-साथ शब्द और शास्त्र का भी संबंध है। भाषा और लिपि के संबंध में यह धारणा है कि यह विद्वानों की चीज है। लेकिन यह धारणा भ्रामक है। भाषा का अर्थ ही है– भाष अर्थात् बोलना।

 

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यह आमजनों के बोलचाल की भाषा से बनी है। लेकिन अब भाषा बदल रही है, साहित्य बदल रहा है औऱ बदल रहें हैं इनके अर्थ भी। मसलन अब तक जो हम अपने बच्चों को A से Apple और B से ball पढ़ाते आए हैं अब इस A,B,C,D के अर्थ भी बदल चुकें हैं। ये कारनामा किया है सम्यक प्रकाशन ने। सम्यक ने अंग्रेजी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को एक अलग दलित आइकन के रूप में प्रस्तुत किया है। जिसमें A का मतलब अंबेडकर और B का मतलब बुद्धा से है।

 

क्या है सम्यक प्रकाशन?

 

सम्यक प्रकाशन दलित जीवन और उसकी समस्‍याओं पर लेखन को केन्‍द्र में रखकर पुस्तकों का सम्पादन करता है। दलितों को हिंदू समाज व्‍यवस्‍था में सबसे निचले पायदान पर होने के कारण न्याय, शिक्षा, समानता तथा स्वतंत्रता आदि मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया। उन्‍हें अपने ही धर्म में अछूत / अस्‍पृश्‍य माना गया। सम्यक प्रकाशन  दलित जातियों से आए रचनाकारों का आम जनता तक अपनी भावनाओं, पीडाओं, दुख-दर्द, लेखों, कविताओं, निबन्धों, जीवनियों, कटाक्षों, व्यंगों, कथाओं आदि का माध्‍यम है।

 

सम्यक प्रकाशन

 

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वे दलित लेखकों और दलित साहित्य को एक मंच प्रदान करने की कोशिश कर रहे है। अब तक, संगठन ने दलित-बहुजन लेखकों की कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जो नए कार्यों और अंग्रेजी अनुवादों का मिश्रण हैं और जो युवा वयस्कों के उद्देश्य से ऐतिहासिक कथा का काम करता है। इसी कड़ी में हाल ही में सम्यक प्रकाशन ने दलित वर्णमाला का शुभ आरम्भ किया है. सम्यक प्रकाशन ने विश्व पुस्तक मेले में इस पर बात करते हुए कहा था कि बहुजनों की आने वाली पीढ़ि के लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि उनके नायक कौन हैं।

 

 

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इसलिए सम्यक प्रकाशन ने यह पहल की हैं कि अब बचपन में A से aplle और A से ambedkar और B से Buddha पढ़े। हालांकि ये सिर्फ बहुजनों के लिए नहीं हैं। जो भी चाहे वह बहुजन वर्णमाला से हमारे देश के नायकों से परिचित हो सकता है। इस वर्णमाला से 26 बहुजन नायकों को लोगो से परिचित करवाया जाएगा।

 

बहुजन वर्णमाला में क्या है ?

 

इस बहुजन वर्णमाला में A का अर्थ अम्बेडकर है। वह अंबेडकर जो भारत में दलित अधिकार और सामाजिक समानता के लिए लड़ने वालों में एक अग्रणी नेता थे साथ ही भारतीय संविधान के निर्माता भी है.

इसमें B का अर्थ है बुद्ध। वहीं तथागत बुद्ध जिनके नाम से आज अंतराष्ट्रीय सतर पर भारत शांति के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। वहीं इसमें C , 14वीं सदी के दलित कवि चोखामेला के लिए है।

 

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बहुजन वर्णमाला में N, 19वीं सदी की केरल की महिला नांगेली के लिए है, जिसने अपनी छाती ढकने वाली निचली जाति की महिलाओं पर कर का विरोध करने के लिए अपने स्तनों को काट दिया। J,  सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और विचारक ज्योतिराव फुले के लिए है। Q ,”दलित, समलैंगिक और गर्व” के लिए है।

वहीं S का प्रयोग  सावित्री बाई फुले के लिए किया गया है। जो भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए है। मुख्यधारा की वर्णमाला से हटकर इस बहुजन वर्णमाला में हर एक शब्द के आल्फाबेट के लिए उन बहुजन नायकों के नाम चुनें हैं जो सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।

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