भारत के अगले CJI बीआर गवई ने क्यों कहा, ” अगर दलित नहीं होता तो आज सुप्रीम कोर्ट में जज भी नहीं होता”

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई ने एक इंटरनेशनल कार्यक्रम में अपने दलित होने पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि, “अगर मैं दलित नहीं होता तो आज मैं सुप्रीम कोर्ट का जज भी नहीं होता।” यह बात जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने न्यूयॉर्क बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कानून के छात्रों को एक सवाल के जवाब में कही। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम में जस्टिस बीआर गवई ने कॉलेजियम व्यवस्था और अपने बॉम्बे हाईकोर्ट के अनुभवों का ज़िक्र भी किया।

दलितों के लिए शीर्ष पदों पर पहुंचना आरक्षण से ही संभव :

कार्यक्रम में कानून के छात्रों और वकीलों ने जस्टिस बीआर गवई से एक सवाल पूछा कि उनके जीवन पर विविधता, समावेश और समानता का क्या प्रभाव रहा। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ” अगर मैं दलित नहीं होता तो आज की तारीख में मैं सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं होता” उन्होंने आगे कहा कि,”आज के समय में भारत में हाशिये के समुदाय जो सरकारी शीर्ष पदों पर पहुंच रहें हैं उसमें आरक्षण और सकारात्मक कार्यवाही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आरक्षण को लेकर वह आगे कहते है कि, “यदि सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक प्रतिनिधित्व के तहत अनुसूचित जाति के शख्स को इसका लाभ नहीं दिया गया होता तो शायद वह दो साल बाद पदोन्नत होकर इस पद पर पहुंचते।”

खुद को उदाहरण बताकर कॉलेजियम पर क्या बोले :

जस्टिस बीआर गवई ने कार्यक्रम में कॉलेजियम पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम दलित जज समुदायों को न्यायधीशों की बेंच में रखना चाहता था और इसका मैं एक उदाहरण हूँ। आरक्षण और कॉलेजियम की मिली जुली बातचीत में उन्होंने अपने हाईकोर्ट के अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि, बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बनने के पीछे भी यही एक कारक था। वह आगे कहते हैं कि जब 2003 में मुझे बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाया गया था तब हाईकोर्ट में में अकेला दलित जज था।

कौन हैं जस्टिस गवई :

14 नवंबर 2003 में जस्टिश बीआर गवई को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। वह 11 नवंबर 2005 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में एडिशनल जज रहे। उसके बाद उन्हें 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज बना दिया गया था। वह इस पद पर 24 मई 2019 तक रहे। इसके बाद 2022 में उन्हें पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट लाया गया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम का हिस्सा हैं और वर्तमान कॉलेजियम के स्वीकृत 34 न्यायाधीशों में शामिल हैं। बता दें वह 23 नवंबर 2025 को रिटायर होंगे।

सुप्रीम कोर्ट में कितने दलित जज :

वर्तमान में देश के सबसे बड़ी न्यायिक व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट में 3 दलित जज है। इनमें बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिश बीआर गवई ( जस्टिश भूषण रामकृष्ण गवई) , कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे पी बी वराले (प्रसन्ना बालचंद्र वराले) और तीसरे न्यायाधीश जो दलित समुदाय से आते है वो हैं सी टी रविकुमार। बतातें चले कि मई 2025 में जस्टिश बीआर गवई CJI डी वाई चंद्रचूड़ के बाद भारत के अलगे CJI ( chief justice of india)  होंगे।

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