कर्नाटक में दलित समुदाय की महिला वनजाक्षी आर ने कैसे हासिल किया ग्राम पंचायत का पद जानिये उनके बारे में

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दलित समुदाय की वनजाक्षी आर कॉफी स्टेट में मजदूरी का काम करती थी, लेकिन अब उन्होंने हासन जिले में ग्राम पंचायत अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होकर महिला सशक्तीकरण की नई मिसाल कायम की है, खासकर अपने समाज की महिलाओं के लिए….

कर्नाटक में एक दलित महिला वनजाक्षी आर ने संघर्षों का सामना करते हुए अपनी कड़ी मेहनत और लगन से ग्राम पंचायत का पद हासिल किया है। कर्नाटक में जातिगत भेदभाव इतना चरम पर है कि दलित महिला की सफ़लता पर वोक्कालिंगा के सदस्यों ने संवैधानिक प्रावधानों से संभव हुई उनकी जीत पर उन्हें बधाई नहीं दी। जानिए दलित महिला के संघर्ष की कहानी।

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कॉफी स्टेट में मजदूरी :

कर्नाटक की एक दलित साहसी महिला ने सामाजिक क्रांति ला दी है। दरअसल इस दलित महिला का नाम वनजाक्षी आर है और इनकी उम्र 40 साल है। वनजाक्षी आर कॉफी स्टेट में मजदूरी करती थीं, लेकिन वनजाक्षी आर ने अब हासन जिले में ग्राम पंचायत अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होकर महिला सशक्तीकरण की नई मिसाल कायम की है।

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द फेडरल को क्या बताया :

वनजाक्षी आर ने “द फेडरल” को बताया कि “अब जब मुझे अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, तो मेरा लक्ष्य ग्रामीणों के लिए काम करना है ताकि वे सरकारी योजनाओं के तहत अच्छे घर और पीने का पानी प्राप्त कर सकें और उन्हें आधार और राशन कार्ड सहित आधिकारिक दस्तावेज प्राप्त करने में मदद कर सकें। सफलता हासिल करने के बाद भी वनजाक्षी आर ने सवर्णों द्वारा जातिगत भेदभाव का सामना किया।

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मित्र ने क्या कहा ?

वनजाक्षी आर की मित्र सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी अत्तिहल्ली ने उनके बारे में कहती हैं कि अब वह 2021 से ग्राम पंचायत की सदस्य हैं, जब उनकी लोकप्रियता के कारण, उन्हें अपने गांव के लगभग 400 मतदाताओं में से 200 से अधिक वोट मिले थें।

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वनजाक्षी आर, अपनी जीत की जश्न मनाते हुए इमेज क्रेडिट फेडरेल

चुनाव स्थगित किया :

होंगदाहल्ला में ग्राम पंचायत अध्यक्ष का पद दलितों के लिए जब आरक्षित हुआ तब उस इलाके में एकमात्र योग्य महिला वनजाक्षी आर ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था चुनाव की तारीख 8 फरवरी तय की गई थीं। बैठक मे वनजाक्षी और दूसरे सदस्य ही मौजूद थे। सदस्यों के आने के लिए समय भी दिया गया लेकिन वह आने में विफल रहे इसलिए चुनाव को 12 परवरी के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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उच्च जाति की महिला का समर्थन नहीं मिला :

दलित समुदाय का होने के कारण वनजाक्षी आर को उच्च जाति की महिला का समर्थन नहीं मिला इस बात से वह काफी दुखी हुई “वनजाक्षी ने आँसू बहाए क्योंकि वह अपनी जाति के कारण दूसरों का समर्थन अर्जित नहीं कर सकती थी। अपने आंसू रोकते हुए उन्होंने निर्वाचन अधिकारी से कहा, “मुझे आधिकारिक रूप से ग्राम अध्यक्ष के रूप में घोषित किया जाना था, लेकिन मेरे साथी सदस्यों के असहयोग के कारण इसमें बाधा उत्पन्न हुई”।

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जीत का जश्न नहीं मनाया :

बैठक के सदस्यों ने वनजाक्षी आर पर आरोप लगाया कि वह एक दलित है इसलिए वे लोग बैठक में शामिल नहीं हुए। स्थानीय तहसीलदार के हस्तक्षेप के बाद, 12 फरवरी को फिर से बैठक आयोजित की गई और अन्य पांच सदस्यों की की उपस्थिति में उनकी जीत की घोषणा की गई। गांव में जातिगत समीकरण ऐसे हैं कि तब भी वोक्कालिगा के सदस्यों ने संवैधानिक प्रावधानों के कारण संभव हुई उनकी योग्य जीत का जश्न नहीं मनाया।

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जातिगत भेदभाव का सामना :

वनजाक्षी ने कहा, ‘वे मुझे अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होते नहीं देख सके और मुझे बधाई देने के लिए आगे नहीं आए। यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है। लेकिन मैंने अब तक उन्हें पूरा सहयोग दिया है। वनजाक्षी ने एक दलित महिला के रूप में अपनी भूमिका और अन्य सदस्यों पर इसके संभावित प्रभाव पर विचार किया। “क्योंकि मैं एक दलित महिला हूं, वे मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। मैंने भेदभाव का सामना किया है। लेकिन मैंने दृढ़ संकल्प के साथ इसे दूर किया है। “ग्राम पंचायत ने 2.5 वर्षों के दौरान वोक्कालिगा समुदाय के तीन अध्यक्षों को देखा है। अब एससी समुदाय का कार्यकाल ढाई साल के लिए है और वे इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।

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स्थानीय नेता ने क्या कहा ?

स्थानीय नेता रामे गौड़ा ने कहा कि उनकी जीत संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज के उत्पीड़ित, गरीब और कमजोर वर्गों के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर देती है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि वनजाक्षी अब अध्यक्ष हैं

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