बैतूल में महज एक सप्ताह में दो आदिवासी युवाओं से बर्बरता, बंद का ऐलान कर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हजारों आदिवासियों ने निकाली विरोध रैली

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आदिवासियों की मांग है कि प्रताड़ना का शिकार हुए युवकों को मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये दिया जाए और जो आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाये…

Betul news : मध्य प्रदेश के बैतूल में एक के बाद एक दो आदिवासी युवाओं के साथ दरिंदगी की घटनायें सामने आने के बाद आदिवासी समाज बहुत आक्रोशित है, अब लोगांं ने इसके खिलाफ आवाज उठाना भी शुरू कर दिया है। कल 16 मार्च को आदिवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ समाज के हजारों लोगों ने एकत्रित होकर बंद का आह्वान किया था, जिसमें हजारों हजार आदिवासी शामिल हुए।

गौरतलब है कि मोहन यादव शासित मध्य प्रदेश के बैतूल में आदिवासी समाज के दो युवाओं पर मात्र एक हफ्ते के भीतर प्रताड़ना की दो खबरें सामने आनी हैं। एक में बजरंग दल का पदाधिकारी शामिल है, जिसमें उसे गंदी-गंदी गालियां दी जाती हैं, फिर माफी मांगने के बावजूद मुर्गा बनाया जाता है और पीटा जाता है। वहीं दूसरी घटना में एक आदिवासी युवक को पहले किडनैप किया जाता है और फिर एक कमरे में ले जाकर छत से नंगा करके लटका दिया जाता है। छत से नंगा लटकाने के बाद न सिर्फ आदिवासी युवा को बुरी तरह पीटा जाता है, बल्कि गंदी-गंदी गालियां भी दी जाती हैं। इन दोनों घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

इसी के विरोध में कल 16 मार्च को बैतूल में सर्व आदिवासी समाज ने बंद का आह्वान किया था और आक्रोश रैली भी निकाली, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारी आदिवासी जिला मुख्यालय पर एकत्रित होने के बाद आक्रोश रैली में शामिल हुए। आदिवासियों की मांग है कि प्रताड़ना का शिकार हुए युवकों को मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये दिया जाए और जो आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाये। विरोधस्वरूप बैतूल शहर में दोपहर तक बाजार की सभी दुकानें बंद रहीं। आदिवासी संगठन के युवाओं ने कुछ दुकानों को घूम-घूमकर बंद भी कराया। इसके बाद रैली निकालकर ओपन आडिटोरियम में सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान किसी अनहोनी के डर से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

मुआवजे और गिरफ्तारी की उठायी मांग
भारी संख्या में प्रदर्शन में शामिल आदिवासियों की संख्या को देख और प्रदर्शनकारियों के गुस्से के भय से पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये थे। पुलिस बल इतना ज्यादा तैना था कि बैतूल शहर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। आदिवासियों के इतने बड़े आंदोलन को लेकर आदिवासी नेता और जय आदिवासी संघ के के जिला अध्यक्ष संदीप धुर्वे कहते हैं, जिले में लगातार आदिवासियों को परेशान किया जा रहा है। जिन युवाओं को पूर्व में प्रताड़ित किया गया है, उन्हें एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए और जो आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए हैं उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाए। हाल ही में बैतूल में आदिवासी युवाओं के साथ बर्बरता की जो दो घटनाएं सामने आई हैं, उनमें से एक में आशीष परते नाम के युवक पर हमला किया गया था। उस पर मवेशी गाड़ियों से जबरन वसूली का आरोप लगाकर बुरी तरह पीटा गया। आशीष परते को नंगा करके छत से उल्टा लटका कर पीटा गया।

आदिवासी समाज की महिला नेत्री स्मिता राजा धुर्वे इन घटनाओं पर गुस्सा व्यक्त करते हुए कहती हैं, आदिवासी समाज की परंपरा है कि अगर किसी का अपमान होता है तो उसे देव पूजा देनी पड़ती है, इसलिए दोनों युवकों को सरकार को मुआवजा देना चाहिए। एक आदिवासी युवक को निर्वस्त्र कर और दूसरे को बजरंग दल के नेता द्वारा मारपीट की गई थी। इन दोनों घटनाओं में युवकों की बदनामी हुई है, इसकी क्षतिपूर्ति के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए।

इन घटनाओं को लेकर उग्र आदिवासियों ने न केवल बंद किया, बल्कि बैतूल जिले के पांचों विधायकों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की। बैतूल में आदिवासी उत्पीड़न के बढ़ते मामलों और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली पर रोष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बैतूल के पांचों विधायकों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए गृह विभाग को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके तहत सबसे पहल गृह विभाग ने बैतूल एसपी सिद्धार्थ चौधरी का तबादला किया था।

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