औद्योगिकरण और सामाजिक, आर्थिक विकास पर डॉ आंबेडकर की राय ??  जानिए

Share News:

भारत के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महु में हुआ था। बाबा साहेब ने बीए, एम॰ए॰, पीएचडी, एलएलडी, एमएस०सी०,डीएस॰सी और बैरिस्टर-एट-लॉ की शिक्षा प्राप्त की थी। आंबेडकर जी प्रमुख भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे। बाबा साहेब दलित समुदाय से थे वह केवल दलितों और अछूतों के नेता नहीं थे बल्कि उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किया था।

यह भी पढ़े :मध्यप्रदेश में दलित अत्याचार की वो घटनाएं जो प्रशासन पर सवाल खड़े करती है

बाबा साहेब आंबेडकर ने भारत में विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी काम किया था। 1940 के दशक मे ही बाबा साहेब ने देश के लिए विद्युतीकृत करने की योजना बना ली थी 1943 में बाबा साहेब इलेक्ट्रीक पॉवर नीति समिति के अध्यक्ष थे। 1945 तक बाबा साहेब और उनकी टीम ने भारत में बिजली की समस्याओं का अध्ययन किया। बाबा साहेब ने राष्ट्रीय स्तर पर बिजली विकास को स्थापित करने के लिए प्रांतो और राज्यों का अनुसरण किया। उनका मानना ​​था कि केंद्रीकृत प्रणाली ही सस्ती और अधिक मात्रा में बिजली दे सकती है जिसके माध्यम से ही औद्योगीकरण  की सफ़लता और सामाजिक और आर्थिक विकास संभव है।

यह भी पढ़े :अशोक विजय दशमी के बारे में क्या यह बात जानते हैं आप?

 

DR BHIM RAO AMBEDKAR

 

दिल्ली के सम्मेलन में बाबा साहेब आंबेडकर ने क्या कहा था?

 

25 अक्टूबर 1943 को दिल्ली की एक बैठक में बाबा साहेब ने लोगों से यह सवाल किया कि, ”…हम भारत में सस्ती और प्रचुर मात्रा में बिजली क्यों चाहते हैं? इसका उत्तर उन्होंने यह दिया कि सस्ती और प्रचुर बिजली के बिना भारत के औद्योगीकरण का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता। एक और सवाल, औद्योगीकरण क्यों आवश्यक है? के जवाब में बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा कि “हम औद्योगीकरण से लोगों को गरीबी के शाश्वत चक्र से बचाने के सबसे अचूक साधन के रूप में चाहते हैं, जिसमें वे फंस गए हैं।”

यह भी पढ़े :गुजरात : जातिसूचक गाली और प्रताड़ना से तंग आकर दलित प्रिंसिपल ने की आत्महत्या लोगों में आक्रोश

भारत मे बिजली विकास के प्रयास के मामले में समिति के सामने अनेक मुद्दे थे जैसे बिजली का स्वामित्व निजी हाथों में होगा या सरकारी?  बिजली केंद्र सरकार के हाथों में होगी या राज्य सरकार के हाथों में ? बिजली को लोगों तक सस्ती और अधिक मात्रा में पहुंचाने के लिए सबसे प्रभावी तरीका क्या होना चाहिए ?

यह भी पढ़े :यूपी: दलितों को लेकर किये जाने वाले दावे और वादे ठंडे बस्ते में क्यों रह जाते है ?

जबकि आज़ादी से पहले बिजली निजी क्षेत्र के कब्ज़े में थी और  उस समय विकेंद्रीकृत मॉडल का पालन किया जाता था। समिति ने यह फैसला लिया कि भारत में बिजली को प्रभावी रुप से आपूर्ति प्रदान करने के लिए उस समय की सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग करके एक राज्य उद्यम के रूप में सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। फिर 1948 में विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू हुआ था। 1950 में इस योजना के दौरान ग्रमीण उद्योगों को समर्थन प्रदान करने के लिए गांव के विद्युतीकरण पर ध्यान दिया गया।

यह भी पढ़े :यूपी : जालौन में दलित महिला की हत्या मामले में परिवार को 5 साल बाद मिला न्याय

क्या है वर्तमान स्थिति ?

 

1973 में ग्रामीण विद्युतीकरण बढ़कर केवल 6%, 1991 में 30% और 2001 में 43% ही रहा और विद्युतीकरण की आपूर्ति घाटे में रही। 2001 में आधी से अधिक आबादी के पास पूर्ण रुप से बिजली की पहुंच नहीं थी इसलिए सरकार ने ग्रिड और ऑफ ग्रिड दोनों तकनीकों की सहायता से लोगों तक अधिक मात्रा में बिजली पहुंचाने के लिए ग्रामीण बिजली आपूर्ति प्रौद्यौगिकी मिशन शुरु किया ।

यह भी पढ़े :पानी लेने गई दलित बच्ची के साथ पुजारी की अभद्रता, जातिसूचक गालियाँ देकर भगाया

इसके बाद 2003 मे बिजली अधिनियम पारित हुआ और बिजली आपूर्ति में नीतिगत सुधार किए गए। सभी घरों तक बिजली की पहुंच को सुनिश्चित किया गया। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए मुफ्त कनेक्शन की सेवा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण प्रयास शुरु किया। बाबा साहेब आंबेडकर को भारत को विद्युतीकृत  करने में 75 साल लग गए। बाबा साहेब आंबेडकर को आज भी संविधान निर्माता के रुप में याद किया जाता है। बाबा साहेब आंबेडकर ने देश के आर्थिक, बुनियादी ढांचे में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि यह दुर्दशा है हमारे समाज की डॉक्टर आंबेडकर जैसे महान नेताओ के योगदान के बाद भी भारत में कई ग्रामीण घरों में रोशनी नहीं होगी।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *