गुजरात : जातिसूचक गाली और प्रताड़ना से तंग आकर दलित प्रिंसिपल ने की आत्महत्या लोगों में आक्रोश

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गुजरात के अमरेली ज़िले से दलित प्रिंसिपल की आत्महत्या का मामला सामने आया है। दरअसल प्रिंसिपल ने जातिसूचक गालियों और प्रताड़ना से परेशान होकर 20 अक्टूबर शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गांव के सरपंच और शिक्षकों सहित 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। आखिर क्या है पूरा मामला विस्तार से जानते हैं।
क्या था पूरा मामला :

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20 अक्टूबर शुक्रवार को एक दलित प्रिंसिपल ने गुजरात के अमरेली जिले में ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना गुजरात के बगसरा तालुका के जूना जांजरिया गांव की है।
दलित प्रिंसिपल की पहचान कांति चौहान के रुप में हुई। शुक्रवार के दिन स्कूल समय पर कांति चैहान ने ज़हर खा लिया था जब इस बारे में उनकी पत्नी को पता लगा तो उन्हें जूनागढ़ अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

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आत्महत्या से पहले वीडियो में बताई आपबीती :

टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के अनुसार कांति चौहान ने जहर खाने से पहले एक वीडियों रिकॉर्ड किया था जिसमें उन्होंने गांव के सरपंच पर भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ गांव के लोगो को भड़काया गया बच्चों को भी उनके खिलाफ गलत बोला गया। सोशल मीडिया पर भी उनकी जाति और उनके बारे में गलत संदेश प्रसारित किए गए।

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कांति चौहान ने अपने संदेश में ये भी कहा कि वह निचली जाति से हैं और वह पढ़ाने का काम करते हैं उनसे यह अधिकार न छीना जाए। उनकी जाति को आधार बनाकर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। चौहान ने संदेश में यह भी कहा कि वह स्कूल जाने से डरते थे क्योंकि सरपंच द्वारा उन्हें मारने की धमकी दी गई थी।
प्रिंसिपल ने यह भी आरोप लगाया स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा राज्य सरकार जो अनुदान दिया करती थी उन पर यह अनुदान देने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

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दलित समुदाय का आक्रोशः

जब यह वीडियों संदेश वायरल हुआ तब दलित समुदाय के लोगो में आक्रोश उत्पन्न हो गया। 21 अक्टूबर को दलित समुदाय के लोग बगसरा थाने के बाहर जमा हो गए और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे। गिरफ्तारी न होने तक शव ले जाने से मना कर दिया। हालांकि पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया जिसके बाद उन्होंने शव ले लिया।

मृतक की पत्नी ने क्या कहा ?

प्रिंसिपल की पत्नी द्वारा घटना की जानकारी पुलिस को दी गई और उनकी पत्नी ने बताया कि यह मामला तब शुरु हुआ जब उन्होंने स्कूल समय से पहले ही 2 घंटे की अतिरिक्त कक्षा ले रहे थे। तब उस कक्षा में दो छात्र उपस्थित नहीं थे जब उन्होंने उन दोनों छात्रों को डांटा और उन्हें जल्दी कक्षा में आने के लिए कहा तो यह बात छात्रों के माता- पिता को अच्छी नहीं लगी कि एक दलित प्रिंसिपल उनके बच्चों को कैसे डांट सकता है। उन्होंने प्रिंसिपल पर अतिरिक्त कक्षा न लेने का भी दबाव बनाया।

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बरहाल, अमरेली के पुलिस उपाधीक्षक डीएसपी जेपी भंडेरी ने कहा है कि आईपीसी की धारा 306 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है।

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