अशोक विजय दशमी के बारे में क्या यह बात जानते हैं आप?

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24 अक्टूबर का दिन आंबेडकरवादियों और बौद्ध धम्म मानने वालों के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन आंबेडकरवादी और बौद्ध अशोक विजयदशमी मनाते हैं। अशोक विजयदशमी वह दिन है जब सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध पर विजय प्राप्त करने के दस दिन बाद हिंसा का मार्ग छोड़कर बौद्ध धम्म की दीक्षा प्राप्त की। पूरे नगर में यह दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया था।

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जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म अपनाया तब उन्होंने बौद्ध स्थल की यात्राएं करना भी शुरु की थी। गौतम बुद्ध के जीवन को जानने और अपने जीवन को कृतार्थ करने के लिए सम्राट अशोक ने शिलालेख, हजारों स्तूपों, धम्म स्तम्भों का निर्माण भी करवाया था। इस धार्मिक  परिवर्तन से देश की जनता काफी खुश हो गई थी और उन्होंने सभी स्मारकों को सजाया था और दीपोत्सव भी किया था।

यह महोत्सव 10 दिन तक चलता रहा और दसवें दिन सम्राट अशोक ने राजपरिवार के साथ बौद्ध धम्म अपना लिया था। बौद्ध धर्म अपना लेने के बाद सम्राट अशोक ने प्रण लिया था कि वह अब शस्त्रों के सहारे नहीं बल्कि अहिंसा और शांति के साथ लोगों के दिलों पर विजय प्राप्त करेंगे। इसलिए संपूर्ण बौद्ध जगत इस दिन को सम्राट अशोक विदय दशमी के रुप में मनाता है।

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ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मणों ने इस त्यौहार पर कब्जा कर लिया था और अशोक विजय दशमी को विजय दशमी के रुप मे मनाने लगे। विजय दशमी का यह पर्व राम की विजय का पर्व माना जाता है इसलिए इस पर्व को लोग दशहरा के रुप में भी मनाते हैं।

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दशहरे से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक से लेकर कुल 10 शासक थे और मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक जिनका नाम बृहद्रथ मौर्य था जिनकी हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी थी। इसके बाद पुष्यमित्र शुंग ने “शुंग वंश” की स्थापना की। पुष्यमित्र शुंग ब्राह्मण से थे।

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जिस दिन शुंग वंश की स्थापना हुई उस दिन इस समाज के लोगों ने बड़ा उत्सव मनाया था। यह दिन अशोक विजय दशमी का दिन था  लेकिन शुंग वंश के लोगो ने अशोक विजय दशमी में से  अशोक शब्द को हटाकर इसे विजय दशमी के रुप में स्थापित कर दिया। इस उत्सव में उन्होंने मौर्य वंश के 10 राजा के अलग पुतले न बनाकर एक पुतला बनाया और उसके दस सर बना दिए और उनका दहन कर दिया।

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2500 साल बाद सम्राट अशोक की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 14 अक्टूबर 1956 को अशोक विजयदशमी के ही दिन बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 5 लाख अनुयायी के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। इस दिन नागपुर की दीक्षा भूमि में  बाबा साहेब आंबेडकर ने अपने अनुयायी को 22 प्रतिज्ञाएं  दिलाई जो 22 प्रतिज्ञाएं इस प्रकार हैं:-

  1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा ।
  2. मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
  3. मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.।
  4. मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ ।
  5. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ ।
  6. मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा.।
  7. मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा ।
  8. मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा ।
  9. मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ ।
  10. मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा ।
  11. मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा ।
  12. मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.।
  13. मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.।
  14. मैं चोरी नहीं करूँगा ।
  15. मैं झूठ नहीं बोलूँगा ।
  16. मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा।
  17. मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा ।
  18. मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा.।
  19. मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ।
  20. मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.।
  21. मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा).
  22. मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा ।

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