सुधीर चौधरी पर हेमंत सोरेन के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल और आदिवासियों के अपमान का आरोप, उठी गिरफ्तारी की मांग

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सुधीर चौधरी ने अपने शो में हेमंत सोरेन के बहाने पूरे आदिवासी समाज को आहत करने वाली भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके खिलाफ आदिवासी समाज में काफी रोष है और अब विपक्षी नेताओं ने भी आज तक एंकर की गिरफ्तारी के लिए आवाज बुलंद कर दी है…

Tribal live matter : एक्स हैंडल पर आज दिनभर #ArrestSudhirChaudhary ट्रेंड बना हुआ है। अब विपक्ष समेत आदिवासी समाज ने भी उनके खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है। झारखंड में एफआईआर दर्ज होने के बाद अब दिल्ली में भी सुधीर चौधरी पर मुकदमा दर्ज होने की खबरें सामने आ रही हैं।

गौरतलब है कि हेमंत सोरेने की गिरफ्तारी के बाद आज तक के प्राइम टाइम शो ब्लैक एंड व्हाइट प्रोग्राम में सुधीर चौधरी कहते सुनायी दे रहे हैं कि ‘हेमंत सोरेन को चार्टर प्लेन और सुविधायुक्त जिंदगी जीने की आदत लग गयी है, पर सीएम पद जाने के बाद हालात बदल गए हैं। अब उन्हें जंगल में आदिवासी की तरह रहना पड़ेगा। जैसे आदिवासी 30-40 साल पहले रहा करते थे। उनके लिए यह काफी मुश्किल होगा।’ सुधीर चौधरी की इस टिप्पणी के खिलाफ आदिवासी समाज में काफी रोष व्याप्त है और अब विपक्षी नेताओं ने भी उनकी गिरफ्तारी के लिए आवाज बुलंद कर दी है।

सुधीर चौधरी पर दर्ज एफआईआर में भी ये बात कही गयी है कि न्यूज प्रोग्राम में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है उससे ऐसा लग रहा है कि सुधीर चौधरी जातीय विद्वेष से ग्रसित हैं, जिनकी नजर में आदिवासियों का मतलब पिछड़ापन और जंगली होता है। उनके इस अभद्र टिप्पणी से पूरा आदिवासी समाज आहत है। हम लोग उनको बताना चाहते हैं कि आदिवासी समाज जंगली नहीं है। आज देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं जो देश के पूरे जूडिशियल सिस्टम की अभिभावक भी हैं।’

वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अपने एक्स हैंडल पर लिखते हैं, ‘एक तथाकथित बड़े चैनल के तथाकथित एंकर द्वारा एक अति सम्मानित लोकप्रिय आदिवासी नेता के लिए अपमानजनक बात कहे जाने पर उस चैनल का प्रबंधन यदि उस एंकर पर एफ़आइआर होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करता है तो ये समझना चाहिए कि ‘आदिवासियों’ के इस अपमान में उनकी नीति और सहमति भी शामिल है। क़ानून तो अपना काम करेगा लेकिन चैनल की भी तो कोई नैतिक ज़िम्मेदारी है या नहीं?’

प्रियंका गांधी सोशल मीडिया पर मांग करती हैं, ‘एक चैनल के एंकर ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी का उनकी आदिवासी पहचान के आधार पर जिस तरह अपमान किया है, वह अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय है। भारत की राष्ट्रपति, कई पूर्व मुख्यमंत्री, जज, किसान, अनगिनत अधिकारी, फौजी, नेता, मंत्री, कारोबारी और हमारे अनगिनत मेहनती और ईमानदार भाई बहन आदिवासी समाज से हैं। इस समाज की संस्कृति वो जीवन संस्कृति है जिसके उसूलों को आज पूरा विश्व अपना रहा है। जल-जंगल-ज़मीन का आदर करना, उसकी रक्षा करना, अपमानजनक नहीं, बल्कि प्रकृति को समझने की एक महान और गहरी सोच है।’

प्रियंका आगे लिखती हैं, शायद सरकार की चापलूसी में मीडिया संस्थान न्यूनतम लोकतांत्रिक नैतिकता भी खो चुके हैं, किसी एंकर द्वारा आदिवासियों, दलितों और वंचितों का खुलेआम अपमान करना हर स्तर पर गलत है। मानवीय गरिमा और आदिवासी अस्मिता का आदर करते हुए इन एंकर महोदय को आदिवासी समुदाय से माफ़ी माँगनी चाहिए।’

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल अपने एक्स हैंडल पर सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए लिखते हैं, ‘सुधीर तिहाड़ी बड़ा नफरती है। इसे दिक्कत है कि आदिवासी अच्छा जीवन क्यों जी रहे हैं। आदिवासी सबसे पुराने बाशिंदा हैं। उनकी जमीन के नीचे के रिसोर्स से, कोयले से 55% बिजली बनती है। लोहा उनकी जमीन के नीचे है. इज्जत करनी चाहिए आदिवासियों की। उनका हक देना चाहिए।’

ट्रायबल आवाज जोहार के नाम से एक्स हैंडल से लिखा गया है, ‘चौधरी और अरुण पूरी के विरूद्ध राजधानी दिल्ली के मॉरिस नगर थाना में SC ST एक्ट के तहत आदिवासी छात्रों द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया। अब देशभर में हर मिनट मुकदमा दर्ज होना शुरू हो चुके हैं। क्या प्रशासन अपना काम करेगा? सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी कब होगी?’

सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज मीणा सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हैं कि ‘झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को जब बिना आरोप साबित हुए कुर्सी से उठाकर गिरफ्तार किया जा सकता है तो सबूत के साथ एससी-एसटी एक्ट के तहत सुधीर चौधरी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सकता है? क्या एससी-एसटी एक्ट अमल में नहीं है? क्या देश में संविधान का राज नहीं है?’

कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं, ’20, 30, 40 साल पहले की तरह आदिवासी के तौर पर किसी जंगल में चले जायें’ यह मीडिया के एक एंकर ने एक प्रदेश के CM के लिए कहा, क्योंकि वो आदिवासी हैं। यह वही सोच है जिसको लगता है कि यह देश एक वर्ग की बपौती है और दलित, पिछड़े, आदिवासी इनसे कमतर हैं – जिन्हें जंगलों में रहना चाहिए।’

वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन कहते हैं, ‘आजतक के एंकर दिन रात समाज में नफ़रत घोलने का काम करते हैं और इनके निशाने पर दलित, आदिवासी समेत सभी वंचित समाज के लोग मुख्यतौर पर होते हैं। वंचित समाज के नेताओं के खिलाफ़ इनका ज़हर अरुण पुरी के निर्देश और सहमति के बिना नहीं हो सकता। सुधीर चौधरी के साथ अरुण पुरी भी दोषी हैं।’

आरजेडी प्रवक्ता कंचना यादव कहती हैं, ‘गोदी मीडिया जो मनु मीडिया है उसका असली दर्द…एक आदिवासी बड़ी और महंगी गाड़ियों में कैसे घूम सकता है? एक आदिवासी प्राइवेट प्लेन में कैसे बैठ सकता है? एक आदिवासी के पास पैसा कैसे हो सकता है? आदिवासी बंगलों में क्यों रहता है, जंगल में क्यों नहीं रहता? यह मत समझना कि यह मनु मीडिया बोल रहा है, यह बीजेपी का एक अनऑफिशियल और ऑफिशियल से भी बड़ा प्रवक्ता बोल रहा है। सुधीर चौधरी के अनुसार आदिवासियों को जीने का हक ही नहीं है।’

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