लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। लोकसभा का यह चुनाव 7चरणों में होगा जिसका पहला चरण 19 अप्रैल को है। इस दिन देश भर के कई राज्यों में मतदानहोगा। बहरहाल इस वक्त सभी दलों की नजर खासकर दलितों और मुस्लिमों के वोट पर टिकीहुई है। सभी दल दलितों के वोट को अपने पाले में खिंचने के लिए एड़ी चोटी का जोरलगा रहे हैं। लेकिन यहां बहुजन समाज को सबसे ज्यादा चौकन्ना रहने की जरूरतहै क्योंकि उन्हें अब यह तय करना है कि उनके लिए बेहतर पार्टी कौन सी है? और उनके हित कहां सबसे ज्यादा सुरक्षित है।बहुजनों की बात करने वाली बहुजन समाज पार्टी में या मनुवादी दलों में।
इसलिए बहुजन समाज के लोगों को सोच समझकर अपने हित में निर्णय लेना चाहिए जो उनके लिए आगेभविष्य की दिशा तय करेगा। साथ ही आने वालीपीढ़ियों के भविष्य को भी ध्यान में रखना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्यऔर हक-अधिकार सुरक्षित रहें और उनका भविष्य उज्जवल रहें। यहां पर बहुजन समाज केलोगों को मनुवादी, जातिवादी दलित विरोधी मानसिकता वाली पार्टियों के मकसद को समझना होगा। ताकि गलत सही का पहचान कर पाएं।
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सामाजिक परिवर्तन की महानायिका और बीएसपी की अध्यक्ष मायावतीअपनी किताब बहुजन समाज और उसकी राजनीति में बहुजन समाज के लोगों को मनुवादी राजनीतिक पार्टियों के असली चेहरे और उनके मुख्य उद्देश्य को लिखते हुए बताती हैं,
“इस देश में मनुवादी राजनीतिक पार्टियों का मुख्य उद्देश्य यहां मनुवादी व्यवस्था को टिकाए रखना है, क्योंकि इन पार्टियों को यह एहसास है कि जिस दिन बहुजन समाजके लोग इस देश की मनुवादी व्यवस्था को भली भांति समझ जाएंगे, उस दिन ये लोगमनुवादी समाज को सत्ता से बाहर कर देंगे और स्वयं सत्ता पर काबिज होकर फिर बहुजनसमाज को आत्मनिर्भर बना देंगे। इसी बात को ध्यान में रखकर सभी मनुवादी राजनीतिक पार्टियां , बहुजन समाज पार्टी के मुख्य उद्देश्य के तह में जाकर यह समझ चुकी हैं कि यह पार्टी बहुजन समाजको सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति के संघर्ष के माध्यम से इस देश की राजनीतिक सत्ता इनके हाथों में सौंपना चाहती है। इस मुख्य बात को समझ कर ही बहुजन समाज के लोगों को अपने शिकंजे में फंसाये रखने के उद्देश्य से इनके लिए सामाजिक एवं आर्थिकक्षेत्र में भिन्न-भिन्न तरीकों से तो जरूर बातें मनुवादी पार्टियों के लोग करते हैं, किंतु सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति लाने की बात कभी नहीं करते हैं। जैसे कांग्रेस पार्टी इन्हें इस क्षेत्र में न्याय देने तो भारतीय जनता पार्टी समरसता लाने तथा अन्य मनुवादी पार्टियां इंसाफ देने की बात करती हैं, अर्थात सभी मनुवादी राजनीतिक पार्टियों के सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में कहने के तौर तरीके जरूरअलग-अलग हैं। परंतु उनका कुल मिलाकर उद्देश्य एक ही है कि सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति की बढ़ती हुई बात को रोकना और मनुवादी व्यवस्था को टिकाए रखना है। जिससे मनुवादी राजनीति कपार्टियों के लोग केंद्र व प्रदेशों की सत्ता पर आपस में मिलकर काबिज बनें रहें।इससे बहुजन समाज को सावधान रहने की जरूरत है और इन्हें इस बात को भी समझना होगा कि जब तक इस देश में सामाजिक एवं आर्थिक गैर बराबरी बनी रहेगी तब तक इस क्षेत्र मेंन्याय, समरसता व इंसाफ़देने की बात करना केवल मनुवादियों का ढोंग ही होगा।”
मायावती के शब्द बहुजन समाज को समझने की जरूरत है और उनलोगों की पहचान करना हैं जो अम्बेडकरवाद का नकली मुखौटा पहनकर उनको गुमराह कर रहेहैं। इसका उदाहरण आप कांग्रेस शासित प्रदेश में दलितों कि स्थितिदेख कर समझ सकते हैं। जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी वहां पर दलित आदिवासीसमाज के लोगों की स्थिति बद से बदतर थी और यही हाल छत्तीसगढ़ में भी था। दलितोंके ऊपर आये दिन अत्याचार, शोषण और अन्याय होते थे और दलित समाज की बहन, बेटियों केसाथ आये दिन बलात्कार जैसे जघन्य अपराध होते थे। इन्हें कभी हत्या करके या कभीजिंदा जला दिया जाता था लेकिन ये तथाकथित मनुवादी और जातिवादी रोग से ग्रसित कांग्रेस पार्टी उनके लिए आवाज तक नहीं उठा सकती थी तो इनसे न्याय की उम्मीद करनातो बहुत दूर की बात है।
“एनसीआरबी कीरिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में दलितों पर अत्याचार की अपराध दर 45.50 है।” ऐसे ही बहुजन समाज पार्टी (BJP) और समाजवादीपार्टी (SP) जैसी मनुवादी जातिवादी दलित विरोधी मानसिकतावाली पार्टी है ।सपा के शासनकाल में दलित महिला को निर्वस्त्र करके घुमाया गयाथा आये दिन दलितों पर अत्याचार व शोषण होता था। मौजूदा सरकार (बीजेपी) में भी यहीहाल है। उत्तर प्रदेश में दलितों, महिलाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। और यदिहम आकंडों पर गौर करेंगे तो पाएंगे दलितों के ऊपर अत्याचार दिन ब दिन घटने की बजाएबढ़ रहें है। “राष्ट्रीय अपराधरिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट”के मुताबिक 2022 में SC-ST के खिलाफ अपराध के मामलोंमें इजाफा हुआ है। SC के खिलाफ कुल 57,582 और ST के खिलाफ अपराध के कुल 10,064 केस दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 13.1% और 14.3% ज्यादा हैं।
लेकिन एक नजर उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी केशासनकाल पर भी डालना जरूरी है क्योंकि यह पहली ऐसी पार्टी है जो दलितों की पार्टीके तौर पर स्थापित हुई वहीं इसने उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े सूबे में चारबार सरकार बनाई वो भी सर्व समाज की बात करते हुए। उत्तर प्रदेश में आज भी बहुजनसमाज पार्टी की चुस्त-दुरुस्त शासन व्यवस्था को याद करता है। बहनजी के शासनकाल मेंदलित आदिवासी अति पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के साथ साथ हर वर्ग के लोगोंका बराबर ख्याल रखा गया और उनके हक अधिकार सुरक्षित रहें। तभी उत्तर प्रदेश कीजनता खासकर दलित समाज के लोगों के साथ-साथ विरोधी दल भी बहुजन समाज पार्टी केशासनकाल को आज भी याद करता है और तारीफ करते नहीं थकता है। आज भी जब लोगों से पूछा जाता है कि उत्तर प्रदेश में किसकाशासन सबसे अच्छा था तो लोग गर्व के साथ कहते हैं कि शासन हो तो बहनजी के शासनकालजैसा। अब यह एक उदाहरण बना चुका है और इसका अपना एक इतिहास है।
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राजनीति में आयरन लेडी के नाम से शुमार बहन कुमारी मायावती ने बहुजन समाज के लोगों को बहुजन समाज पार्टी के उद्देश्य को समझने के लिए अपनीकिताब “बहुजन समाज और उसकी राजनीति में लिखा है कि,
“बहुजन समाज पार्टी का मुख्य उद्देश्य यहां सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति लाना हैइस उद्देश्य के तहत ही यह पार्टी इस देश में मनुवाद के आधार पर बनाई गई सामाजिक व्यवस्था को जो गैर-बराबर है जिसके कारण ही यहां आर्थिक गैर- बराबरी भी है इसेबदलकर समतामूलक समाज व्यवस्था बनाना चाहती है, जिसमें मानवता एवं इंसानियत हो। इस किस्म की सामाजिक व्यवस्था समाज के हित मेंहै जिससे यहां समाज में पनपी छुआछूत, ऊंच-नीच व जात-पात की खाई को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कियाजा सकता है। अर्थात ऐसी व्यवस्था जो ना तो किसी धर्म के खिलाफ होगी और ना ही किसी जातिके खिलाफ बल्कि देश के हित में ही होगीं।यही बात बहुजन समाज के लोगों को समझने की जरूरत है यदिबहुजन समाज अपने हक और अधिकार की सुरक्षा चाहते हैं अपने बच्चों के उज्जवल भविष्यकी कल्पना करते हैं और बहुजन समाज पर आये दिन हो रहे अत्याचार, शोषण और बलात्कार जैसे जघन्यअपराध को रोकना चाहते हैं तो उन्हें अपने लिए राजनीति में एक बहतर पार्टी कोसमर्थन देना होगा। जो उनके हित की बात करें। बहुजन महापुरुषों के विचारधारा को और भारतीय संविधान के उद्देश्यिका को आत्मसात करके राष्ट्र निर्माता बाबासाहेब अंबेडकरके सपनों का भारत भी बनाए।
लेखिका : दीपशिखा इन्द्रा
Reference – किताब – बहुजन समाज और उसकी राजनीति पृष्ठ नं-155 और 159,) NCRB – दलितों के अपराधसंबंधित आंकड़े)
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