महान सामाजिक सुधारक राजर्षि शाहू जी महाराज के स्मृति शताब्दी वर्ष के अवसर पर 27 अप्रैल 2023 को दिल्ली में राजर्षी शाहू महाराज की शताब्दी के उपलक्ष्य में संयुक्त समिति की ओर से कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में ” राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन” का आयोजन किया गया।
राजर्षि शाहू जी महाराज के स्मृति शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ में मुख्य अतिथियों में डी. राजा (पूर्व सांसद महासचिव, भाकपा), डॉ हरीश वानखेड़े (सहायक प्रोफेसर, जेएनयू), डॉ. सूरज मंडल (एसोसिएट प्रोफेसर डीयू), विल्सन पी. (सांसद डीएमके), शबनम हाशमी (सामाजिक कार्यकर्ता, दिल्ली), अधिवक्ता बिंदु अम्मिनी (दलित कार्यकर्ता), डॉ. मिलिंद अवाद (जेएनयू, दिल्ली में सहायक प्रोफेसर), राजेश रंजन (पूर्व सांसद, जाप), डॉ. ध्यानेश्वर मुले (पूर्व राजदूत, विदेश मंत्रालय, भारत), राजेंद्र पाल गौतम (विधायक, आप दिल्ली) आदि शामिल थे। इन सभी महान विभूतियों ने ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ में समाज में दलित अल्पसंख्यकों के हित में बात की समाज में चल रही राजनीतिक मुठभेड़ की बात की और अपने विचार साझा किए।

इस कार्यक्रम में शामिल अतिथि राजेश रंजन (पूर्व सांसद, जाप) ने बड़ी ही बेबाकी से दलितों के मुद्दों पर बात की, उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज में कभी अमीरों की बेटी के साथ रेप की घटना क्यों नहीं होती, क्यों हमेशा गरीब की बेटी के साथ ही दुष्कर्म और हत्या के मामले सामने आते हैं। आगे पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू ने सदन में उपस्थित सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, अब बदलाव की ज़रूरत है और हम सभी को मिलकर अब दलितों के हित में आवाज़ उठानी होगी।

वहीं ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने समाज के निम्न तबकों की समस्याओं और ग्रामीण क्षेत्रों के दलित निम्न वर्गों की बात करते हुए कहा कि आज भी दलितों के हालात दुरुस्त नहीं है। साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने अपने वक्तव्य में ‘मैन स्ट्रीम मीडिया’ और ‘भ्रष्ट राजनीतिक पार्टियों’ पर भी तंज कसते हुए निशाना साधा।
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वहीं, आम आदमी पार्टी के पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्रपाल गौतम ने कहा कि वंचित वर्गों को न्याय दिलाकर शाहू महाराज ने उस समय की सनातन संस्था से लोहा लिया। साथ ही ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ में शामिल प्रोफेसर सूरज मंडल ने कहा, ”मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए, वंचित समुदाय को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देना ही शाहू महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

प्रोफेसर मिलिंद अवध ने भी अपने वक्तव्य में कहा, “डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने शाहू महाराज की सामाजिक न्याय की नीतियों को लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। जिसका उदाहरण है भारतीय संविधान। शाहू महाराज की शिक्षा नीति के ठीक उल्टा है वर्तमान नई शिक्षा नीति। मनुस्मृति के अनुसार समाज में ऊँच-नीच पैदा करने के इस षड़यंत्र को विफल करना चाहिए। इस बैठक में कुछ प्रस्ताव पारित किए गए, जो इस प्रकार हैं।
आपको बता दें कि, सामाज सुधारक राजर्षि शाहू महाराज मराठा के भोंसले राजवंश के राजा थे, जिनका शासनकाल 1894 – 1900 तक रहा। राजर्षि शाहू महाराज को एक वास्तविक लोकतान्त्रिक और सामाजिक सुधारक माना जाता था। अत: कालान्तर 6 मई, 1922 को उनकी मृत्यु हो गई। शाहू जी महाराष्ट्र के इतिहास में एक अमूल्य मणि थे, जिन्होंने निचली जातियो के हित में अमुल्य काम किया और साथ ही जाति और पन्थ के बावजूद सभी को प्राथमिक शिक्षा देने का नियम लागू किया, जो कि उनकी सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक थी।

इस बैठक में कुछ प्रस्ताव पारित किए गए। जो निम्न हैं-
(1) राजर्षि शाहू महाराज की शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा पर छह प्रतिशत खर्च अनिवार्य होना चाहिए और समान निःशुल्क शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए। शिक्षा में आरक्षण लागू हो और नई शिक्षा नीति में निजीकरण के एजेंडे को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसपर रोक लगे। (2) लोग विरोध करते हैं कि देश में शोषणकारी जाति व्यवस्था मौजूद है, सर्वेक्षणों से किस जाति के आंकड़े सामने नहीं आते हैं। हर हालत में जाति को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। (3) ओबीसी जातियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए। (4) छत्रपति शाहू महाराज ने अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाहों की सुरक्षा और प्रोत्साहन के लिए कानून पारित किए। वर्तमान सरकार अंतर्जातीय और अंतर्धार्मिक विवाहों को प्रोत्साहित करना चाहिए। (5) अर्थव्यवस्था के निजी क्षेत्र में। आरक्षण लागू होना चाहिए। इस समय, ये भी निर्णय लिया गया कि सभी संगठन संयुक्त रूप से दिल्ली सहित अन्य राज्यों में शाहू जयंती सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें।
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राजर्षि शाहू जी महाराज के स्मृति शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय सम्मेलन’ की ‘योजना समन्वय समिति’ में समन्वयक गिरीश फोंडे, डॉ. अमृता कुमारी, वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन, एडवोकेट नितिन माने, सामाजिक कार्यकर्ता कुश अंबेडकरवादी, पत्रकार समर राज, धीरेंद्र तिवारी, सत्यम मिश्रा, मुमताज शेख, इंजमाम सहित समन्वय समिति के अन्य सदस्यों ने पिछले माह के कार्यक्रम की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के दौरान कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का स्पीकर हॉल भरा रहा, लोग एक एक वक़्ता की बातें सुन रहे थे, शाहूजी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकर, सामाजिक न्याय के प्रति और अधिक समर्पण दिखा रहे थे।
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