मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ के तहत आयोजित सामूहिक विवाह में अपना नाम देने वाली युवतियों का शादी से पहले वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाने की बात सामने आई है, जिसमें शामिल होने वाली अधिकांश युवतियां दलित और आदिवासी हैं। वहीं शादी से पहले दुल्हनों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने की बात को लेकर अब बवाल खड़ा हो गया है।

मध्यप्रदेश में होने वाले इस सामूहिक विवाह को लेकर स्थानीय कांग्रेस विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम ने मेडिकल टेस्ट के नाम पर वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाने का विरोध किया और प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।
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इस मामले के संबंध में कहा जा रहा है कि इस तरह सामूहिक विवाह से पहले जिन लड़कियों, युवतियों का वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया है उनमें अधिकांश युवतियां दलित और आदिवासी हैं। साथ ही युवतियों, लड़कियों का वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट की बात सामने आने के बाद कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है वहीं, बीजेपी के नेता इन टेस्ट को सही करार दे रहे हैं।

आपको बता दें कि, डिंडौरी जिले के गाड़ासरई कस्बे में शनिवार को जिला प्रशासन ने ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ के तहत 219 जोड़ों का विवाह कराया मगर, इस सामूहिक विवाह समारोह में शादी के लिए आई कुछ लड़कियों-युवतियों के नाम लिस्ट में नहीं मिले। इसके बाद सामने आया कि प्रेग्नेंसी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कारण उन्हें विवाह समारोह में शामिल नहीं किया गया।
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मध्यप्रदेश में हुए इस सामुहिक विवाह को लेकर पूर्व मंत्री ओमकार मरकाम का कहना है कि यदि सरकार ने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में ऐसे टेस्ट करने को लेकर यदि कोई नियम बनाया है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। वहीं इस मामले को लेकर आम जानता ने भी प्रशासन पर सवाल दाग दिए हैं।
दरअसल जनता का कहना है कि, दलित और आदिवासी 200 युवतियों का इस तरह अपमान किए जाने पर भी आख़िर क्यों महिला आयोग चुप, मानवाअधिकार आयोग, एसटी कमीशन और राष्ट्रपति मुर्मु चुप हैं।
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