पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई पर दिल्ली से बिहार तक सियासी बवाल मचा है। आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में बहुजन समाज पार्टी से लेकर आईएएस एसोसिएशन तक उतर आए हैं। बसपा ने इसे नीतीश सरकार का दलित विरोधी कदम बताया है। वहीं, भाजपा के कुछ नेता आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर रहे हैं, तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जैसे नेता इसके समर्थन में हैं।
यह भी पढे़ : छत्रपति शाहू महाराज परिनिर्वाण दिवस: सामाजिक न्याय के पहले प्रतीक जिन्होंने सनातन संस्था से लोहा लिया
आपको बता दें कि, 15 साल बाद आनंद मोहन सिंह जेल से बाहर आ गए हैं, जो कि गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद थे। उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी। वहीं इस बीच बिहार सरकार ने जेल मॉड्यूल में संशोधन कर दिया, जिसके बाद वह जेल से बाहर आ गए।
यह भी पढे़ : दलित महिलाओं का शादी से पहले यहां हुआ प्रेगनेंसी टेस्ट” जानिए रिपोर्ट में
आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर उनके समर्थकों ने स्वागत की भव्य तैयारी की थी, लेकिन वह घर न जाने के बजाए वे सीधे पटना पहुंच गए, अब इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि, गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के जेल से बाहर निकलने पर जहां भव्य तैयारी की गई हैं वहीं, उनके समर्थकों ने रिहाई से पहले ही मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी।
आनंद के स्वागत में सहरसा की सड़कों पर बाइक और कारों का करीब 500 गाड़ियों का काफिला उतर आया, रास्ता जाम हो गया. उनके गांव में 30 हजार लोगों के लिए भोज की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम तय हुआ कि आनंद सहरसा जेल से छूटने के बाद सीधे अपने गांव पंचगछिया जाएंगे। इस दौरान उनके शक्ति प्रदर्शन की तैयारी थी।
यह भी पढे़ :छपरा के सारण जिले में लकड़ी लेने गई दलित बच्ची से दरिंदो ने किया गैंगरेप
रिहाई को लेकर अब चर्चा हो रही है कि, आखिर आनंद मोहन पटना क्यों गए? दबी जुबान से बताया जा रहा है कि रिहाई से पहले आनंद मोहन को पटना से जेडीयू के एक बड़े नेता ने कॉल किया। उन्होंने कहा कि रिहाई का उत्सव ना मनाएं और शांति से सब कुछ होने दें।
यह भी पढे़ :अंबेडकरवादी महिलाओं ने बौद्ध धर्म को सबसे बेहतर क्यों बताया ?
हालांकि आनंद की रिहाई को गलत बताते नीतीश सरकार पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। इस पर बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सरकार का पक्ष रखते हुए सफाई दी है, उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है। उनकी रिहाई भी जेल नियमों के मुताबिक ही हुई है।
*Help Dalit Times in its journalism focused on issues of marginalised *
Dalit Times through its journalism aims to be the voice of the oppressed.Its independent journalism focuses on representing the marginalized sections of the country at front and center. Help Dalit Times continue to work towards achieving its mission.
Your Donation will help in taking a step towards Dalits’ representation in the mainstream media.