दक्षिणी भारत के राज्य आंध्रप्रदेश के मदाकासिरा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है। जो आपको ये सोचने पर विवश कर देगा कि आज़ादी के 75 साल बाद भी हमारा देश आज किस गर्त में हैं। दरअसल ये हम इसलिए कह रहे है क्योंकि मदाकासिरा जिले में एक पिता को अपने बेटे के शव को 40 किलोमीटर दूर तक मोटरसाइकिल से ले जाना पड़ा। उसे सरकारी अस्पताल से शव वाहन देने से मना कर दिया गया।
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क्या थी पूरी घटना :
घटना 17 अक्टूबर की है जब मदाकासिरा जिले में दलित किसान को अपने 4 साल के बेटे के शव को मोटरसाइकिल से मदाकासिरा के सरकारी अस्पताल से श्री सत्य साईं जिले के अपने गांव हनुमंतुनी पल्ले तक मोटरसाइकिल पर लाना पड़ा। इस घटना ने फिर एक बार हमारी खराब व्यवस्था और प्रशासन की पोल खोल दी है।
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दलित व्यक्ति के बेटे रूशी को चार दिन से तेज बुखार था। रुशी के पिता लिंगप्पा एक किसान है और दलित समुदाय से आते हैं। 17 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 5 बजे के करीब तेज तापमान की वजह से उनके बेटे को मिर्गी का दौरा प़ड़ गया। लिंगप्पा उसे तुरंत 40 किलोमिटर दूर एम्बुलेंस में मदाकासिरा के सरकारी अस्पताल ले गए। अस्पताल पहुँचने से पहले एम्बुलेंस कर्मियों ने उसे ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम पर रखा लेकिन अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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नहीं मिला शव वाहन :
मृतक बच्चे के पिता लिंगप्पा ने एम्बुलेंस कर्मियों से उनके बेटे के शव को घर तक ले जाने को कहा लेकिन एम्बुलेंस कर्मियों ने यह कहकर टाल दिया कि शवों को 108 एम्बुलेंस में ले जाने की अनुमति नहीं है जिसकी वजह से उन्हें अपने बेटे के शव को मोटरसइकिल पर ले जाना पड़ा।
इस घटना के संबंध में स्वास्थ्य सेवा के जिला समन्वयक थिप्पेंद्र नाइक ने कहा कि यह घटना बिल्कुल सच है कि श्री लिंगप्पा ने अपने बेटे के शव को एम्बुलेंस कर्मियों से ले जाने को कहा था लेकिन एम्बुलेंस कर्मियों ने शव को ले जाने से मना कर दिया।
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“डॉक्टर नाइक” ने कहा कि जब किसान के घर का दौरा करने के लिए मदाकासिरा के राजस्व अधिकारी गए तो उन्होंने कहा कि वह अपनी इच्छा से अपने बेटे के शव को घर लेकर आए हैं। वहीं प्रेस रिडकर की रिपोर्ट के मुताबिक “डॉक्टर नाइक” ने बताया है कि मदाकासिरा जिले के किसी भी अस्पताल में कोई शव वाहन नहीं है। बहरहाल, डीएमएचओ कृष्णा रेड्डी का कहना है कि इस पूरी घटना को कलेक्टर के सामने ले जाया गया है।
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