वरुण और मेनका गांधी 1996 से पीलीभीत पर भाजपा का परचम लहराया है, लेकिन इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाय प्रदेश सरकार में लोकनिर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है। पीलीभीत लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा…
LOKSABHA ELECTION 2024 : लोकसभा चुनाव के इस दौर में सभी पार्टियां तैयारियों में लगी हुई हैं। जोर शोर से चुनाव का प्रचार हो रहा है। अभियानों का आयोजन किया जा रहा है रैलियां निकाली जा रही हैं। उम्मीदवार अपने वोटरों को साधने के लिए तमाम तरह के वादे कर रहे हैं। लोकसभा चुनावों के समय एक ख़बर सामने आ रही है कि पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में पिछले 3 दशक से भी ज़्यादा अपना दबदबा कायम रखने वाले मां-बेटे यानी मेनका गांधी और वरुण गांधी इस बार इस सीट के चुनावी रण से बाहर हैं। वरुण गांधी का टिकट काटने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है।
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व्यक्तिगत जीवन :
जितिन प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 में उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में राजनेता जितेंद्र प्रसाद और उनकी पत्नी कांता प्रसाद के घर पर हुआ था। जितिन प्रसाद ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दून पब्लिक स्कूल से की। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम में ग्रेजुएशन किया। अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान, दिल्ली से एमबीए किया। जितिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद (बाबा साहिब) भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी और पी .वी. नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे। उत्तरप्रदेश कांग्रेस कमेंटी के प्रदेश अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
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राजनीतिक करियर :
जितिन प्रसाद के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2001 में हुई और उस दौरान वह भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव बने, उसके बाद सन् 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट शाहजहाँपुर से 14 वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी तथा इसमें उन्हें विजय भी प्राप्त हुई। साल 2008 में पहली बार जितिन प्रसाद को भारत सरकार ने केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया था। साल 2009 में जितिन प्रसाद ने 15 वीं लोकसभा चुनाव में धौरहरा से चुनाव लड़ा था और भारी मत से वह विजयी हुए थे।2009 से 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 2011 से 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 2012 से 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं।
पीलीभीत में कम प्रभाव :
अब वर्तमान में लोकसभा चुनाव में इस बार प्रदेश सरकार में लोकनिर्माण मंत्री जितिन प्रसाद पीलीभीत में भाजपा का परचम लहराने के लिए मैदान में उतरे हैं। हालांकि एक कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुशील कुमार गंगवार ने कहा कि, जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव है. अभी तक उन्हें यहां चुनावों के लिए भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। स्थानीय ग्राम प्रधान बाबूराम लोधी ने कहा, वरुण गांधी का पीलीभीत से बहुत पुराना और गहरा नाता है. यह नाता उस भावनात्मक पत्र में झलकता है जो उन्होंने सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद लिखा था।
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टिकट कटने के बाद वरुण गांधी ने क्या कहा ?
वरुण गांधी ने टिकट कटने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को एक भावनात्मक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके साथ उनका रिश्ता उनकी आखिरी सांस तक बरकरार रहेगा. मौजूदा सांसद ने कहा कि पीलीभीत के साथ उनका रिश्ता प्यार और विश्वास का है, जो किसी भी राजनीतिक नफे-नुकसान से कहीं ऊपर है।
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वरुण गांधी के करीबी लोग भाजपा के फैसले से खुश नहीं :
आपको बता दें कि वरुण गांधी 2009 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रुप में पीलीभीत से सांसद रहे। हालांकि जितिन प्रसाद का दावा है कि उन्हें पार्टी संगठन का पूरा समर्थन प्राप्त है। लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि वरुण गांधी के करीबी लोग भाजपा के इस फैसले से खुश नहीं है। प्रसाद के समर्थन में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक संजय गंगवार, बाबूराम पासवान, विवेक वर्मा और स्वामी प्रकाशानंद उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक थे।
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जिले के पूरनपुर क्षेत्र के सिख किसान बलवंत सिंह ने क्या कहा ?
जिले के पूरनपुर क्षेत्र के सिख किसान बलवंत सिंह ने कहा, वरुण गांधी टिकट कटने के बाद एक बार भी पीलीभीत नहीं आए हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए और पूरी संभावना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी शामिल नहीं होंगे. इससे निश्चित रूप से एक संदेश जाता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूरनपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली मतदाताओं के मन में संदेह दूर करने और जितिन प्रसाद के पक्ष में वोट डालने के लिए आयोजित की गई है। अब देखना यह है कि क्या पीलीभीत में जितिन प्रसाद भाजपा का परचम लहरा पाएंगे।
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