सवर्ण जाति के लोग हुए दिलीप मंडल से फिर से नाराज़…जानिए पीछे की पूरी वजह

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ट्वीटर पर #दिलीपमंडलभिखारीहै जैसा एक नकारात्मक ट्रेंड चल रहा है। ये दिलीप मंडल के एक ट्वीट पर जातीवादी गिरोह की प्रतिक्रिया है जिसे दो दिन पहले दिलीप मंडल ने ट्वीटर पर लिखा था। दिलीप मंडल ने लिखा था, “अरे भिखमंगों। शर्म करो। 30% माँग रहे हो। 15% तो आबादी नहीं है तुम लोगों की। जाति जनगणना हुई तो हो सकता है आबादी ही 10% ही निकले। इसी लिए तो जाति जनगणना से डरते हो। दक्षिणा ले लेकर आदत हो गई है माँगने वाली। #EWSआरक्षण30प्रतिशत_करो”

 

पूरा मामला क्या था पहले वो जान लेते हैं। दरअसल, देश में EWS वर्ग के लिए आरक्षण को 30 फिसदी करने की मांग की जा रही है। ट्वीटर पर वो लोग भी इसे सपोर्ट कर रहें जिन्हें शायद असल मुद्दे का ज्ञान भी नहीं है। हमारे देश में फिलहाल 60 फिसदी आरक्षण की व्यवस्था है जो पहले 50 फिसदी थी। इस 50 फिसदी में SC, ST और OBC को  आरक्षण दिया गया था। लेकिन हमारी सरकार ने संविधान के 103वें संशोधन, अधिनियम 2019 के तहत EWS को 10 फिसदी आरक्षण देकर इस आँकड़े को 60 फिसदी कर दिया। हालांकि हमारे संविधान के अनुच्छेद 15(4) औऱ 16(4) के तहत आरक्षण का आँकड़ा सिर्फ 50 फिसदी है।

जनरल कैटेगरी की तरफ से 30 फिसदी आरक्षण की बात तब कही गई जब हाल ही में मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने EWS को दिए गए आरक्षण पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से पहले सरकार के EWS को आरक्षण देने के फैसले पर जांच की बात कही।

 

EWS वो वर्ग है जो आर्थिक रूप से कमज़ोर है लेकिन इसमें सिर्फ सामान्य वर्ग के लोग यानी जनरल कैटेगरी के लोग आते हैं। आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग मे SC, ST और OBC की कोई भागी दारी नहीं है। जब सरकार EWS को आरक्षण दे रही थी तब दलितो और पिछड़ो के लिए आवाज़ उठाने वाले पत्रकार दिलीप मंडल ने इसका भी विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि, यह पहला कानून है जिसे संसद के दोनो सदनों में पेश होने, राष्ट्रपति के अनुमोदन और गजट छपने मे सिर्फ 4 दिन का समय लगा। EWS आरक्षण के बिल को पेश करते समय सरकार ने लाभार्थियों का कोई आंकड़ा नहीं दिया।

आरक्षण कोई कार्यक्रम या गरीबी उन्मूलन का तरीका नहीं है। आरक्षण मुख्यधारा में उस वर्ग का प्रतिनिधित्व की बात करता है जिसे मुख्य धारा से अलग रखा गया। आरक्षण किसी चोट का मरहम नहीं है जिसे जब चाहा किसी की झोली में डाल दिया गया। ये भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर के संघर्षों का परिणाम है जो दलितो, पिछड़ो औऱ हाशिए पर डाल दिए गए वर्ग के अधिकरों की बात करता है। उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की बात करता है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

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