मजदूरों के लिए क्या सोचते थे बाबा साहब

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मजदूर दिवस के इस अवसर पर आज हम बात करेंगे बाबा साहब भीम राव अंबेडकर द्वारा मजदूरों के लिए के लिए दिए गए योगदान पर, बता दें कि, डॉ. अम्बेडकर वायसराय परिषद में श्रम सदस्य के रूप में भी कार्यरत रहे थे। भारत में मजदूरों को कई विशेष अधिकार दिलाने में बाबा साहब अंबेडकर का अहम योगदान है, जिन्होंने 8 घंटे के कार्य दिवस को भारत में लागू किया।

 

डॉ. अम्बेडकर वायसराय परिषद में श्रम सदस्य के रूप में कार्यरत (Image : social media)

आपको बता दें कि पहले, एक दिन में मजदूरी या काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को औपचारिक रूप से दिन में 14 घंटे काम करने का नियम था, जिसमें बाबा साहब अंबेडकर ने बदलाव कर इस अवधि को 14 घंटे से कम में सुनिश्चित किया।

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बाबा साहब अंबेडकर ने 27 नवंबर, 1942 को नई दिल्ली में ‘भारतीय श्रम सम्मेलन’ के 7वें सत्र में 8 घंटे के कार्य दिवस को भारत में लागू की मांग रखी, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली।

सभी महिला और पुरुष श्रमिकों को डॉ. अम्बेडकर का विशेष रूप से आभारी होना चाहिए, क्योंकि बाबासाहेब अम्बेडकर ने भारत में महिला श्रमिकों के लिए कई कानून बनाए, जैसे- ‘खान मातृत्व लाभ अधिनियम’, ‘महिला श्रम कल्याण कोष’, ‘महिला और बाल श्रम सुरक्षा अधिनियम’, ‘महिला श्रम के लिए मातृत्व लाभ’, और ‘कोयला खदानों में भूमिगत कार्य पर महिलाओं के रोजगार पर प्रतिबंध की बहाली’ आदि।

 

डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए ‘स्वास्थ्य बीमा’ प्रदान करने की मांग की थी। (Image : google)

 

डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए ‘स्वास्थ्य बीमा’ प्रदान करने की मांग की थी, जिसके बाद से श्रमिकों को कई स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई जैसे कि- कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल, चिकित्सा अवकाश, काम के दौरान लगी चोटों के कारण होने वाली शारीरिक अक्षमता, कामगारों के मुआवजे प्रदान करना आदि।

बाबासाहेब अम्बेडकर ने इन सभी अधिनियमों को श्रमिकों के लाभ के लिए ही अधिनियमित किया था। बता दें कि, इस अधिनियम को पारित करने की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि भारत कर्मचारियों की भलाई के लिए ‘बीमा अधिनियम’ लागू करने वाला पूर्वी- एशियाई देशों में पहला देश था।

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डॉ. अंबेडकर ने ही सभी श्रमिकों के लिए साप्ताहिक छुट्टी की सुविधा प्रदान करवाने के लिए मांग की थी। आज वर्तमान समय में संस्थानों में मिल रही ‘लीव बेनिफिट’ का श्रेय बाबा साहब को जाता है। साथ ही औपचारिक ‘वेतनमान का संशोधन’ का श्रेय भी बाबा अंबेडकर साहब को जाता है।

केवल यही नहीं बल्कि ‘कोयला, अभ्रक खान भविष्य निधि’ योजना को लागू करने में भी डॉ. अम्बेडकर का योगदान महत्वपूर्ण था। उस समय, कोयला उद्योग ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 31 जनवरी, 1944 को श्रमिकों के लाभ के लिए कोयला खान सुरक्षा (स्टोइंग) संशोधन विधेयक बनाया। वहीं, 8 अप्रैल 1946 को, वे ‘अभ्रक खान श्रम कल्याण कोष’ लाए, जिसने श्रमिकों को आवास, पानी की आपूर्ति, शिक्षा, मनोरंजन और सहकारी व्यवस्था की। इसके अलावा डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर ने बी पी आगरकर के मार्गदर्शन में ‘श्रम कल्याण कोष’ से उत्पन्न होने वाले महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह देने के लिए एक सलाहकार समिति की स्थापना भी की। बाद में उन्होंने जनवरी, 1944 में इसे लागू भी कर दिया।

 

बाबा साहब अंबेडकर का मजदूरों के लिए के लिए योगदान (Image : dalit times)

 

 

 

वर्तमान समय में मिल रही अनेकों ‘श्रमिकों कल्याण सुविधाओं’ का श्रेय महान समाज सुधारक डॉ अंबेडकर को ही जाता, जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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