उत्तर प्रदेश: जालौन में गर्भवती दलित महिला की डिलीवरी में सरकारी नर्स की लापरवाही, बच्चे की मौत

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उत्तर प्रदेश के जालौन मे समुदायिक स्वास्थय केंद्र में दलित महिला के साथ लापरवाही का मामला सामने आया है। घटना बीते नवंबर महिने की बाताई जा रही है। जहाँ जालौन के थाना कोतवाली कोंच उरई गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्स विद्या देवी निरंजन ने गर्भवती दलित महिला औऱ उसके पति को स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा न होने की बात कही और डिलीवरी के लिए अपने घर चलने के लिए कहा। घर पर डिलीवरी के लिए नर्स ने दलित दंपति से 5 हज़ार रुपए मांगे। वहीं घर पर डिलीवरी के वक्त नर्स ने महिला के पेट पर गलत तरीके स दबाव दिया जिसके कारण बच्चे क गर्भाशय में ही मौत हो गयी।

जालौन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने पीड़ित (Image: dalittimes)

क्या है पूरी घटना:

सोशल मीडिया पर पीड़ित का पुलिस की लिखा गया शिकायत पत्र शेयर किया जा रहा है। जिसमे पीड़ित का कहना है कि नवंबर महीने में उसकी पत्नी ज्योति की डिलीवरी होनी थी। डिलीवरी के लिए 1 नवंबर को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए लेकिन वहां की नर्स विद्या देवी निरंजन ने कहा कि वो डिलीवरी अपने घर पर करती है वहां सारी सुविधाएं हैं।

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वहीं स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का अभाव है। इसके लिए वो 5 हज़ार रुपए चार्ज करेगी। पीड़ित ने नर्स पर भरोसा कर उसे 5 हज़ार दे दिए और अपनी पत्नी को भी उसके घर लेकर चला गया। जहां नर्स ने गर्भवती महिला के पेट पर लापरवाही दिखाते हुए अनावश्यक दबाव बनाया और बच्चें का हाथ बाहर निकल गया इसके बाद नर्स ने कहा कि जल्दी कहीं और ले जाना पड़ेगा।

मुश्किल से बची महिला की जान:

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पीड़ित के मुताबिक नर्स के कहने पर वह अपनी पत्नी को उरई के काव्या हॉस्पिटल ले गया जहां चेकअप के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की गर्भाशय में ही मौत हो चुकी है। पेट से मरे हुए बच्चे को निकालने के लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। ऑपरेशन किया गया और मृत बच्चे को बाहर निकाला गया। इस बीच दलित महिला की जान बाल बाल बची। महिला को हॉस्पिटल में 4 दिन तक एडमिट रहना पड़ा। वहीं जब गलत तरीके से डिलीवरी करने वाली बात पीड़ित ने नर्स के घर जाकर कही तो नर्स पीड़ित को जातिसूचक गालियां देते हुए उसे जान से मारने की धमकी देने लगी

बहरहाल, मामले का संज्ञान लेते हुए जालौन पुलिस ने प्रभारी निरीक्षक कोंच को आवयश्क कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में हुई ऐसी घटना बताती है कि दलितों और गरीबो के लिए न तो सरकारी योजनाओं का कोई लाभ है और न ही उनकी जान की कीमत।

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