UGC दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों की सरकारी नौकरियों पर डालने वाली थी डाका, प्रतिरोध के बाद देनी पड़ी सफाई

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UGC Controversy : यूजीसी (University grants commission) द्वारा दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण पर डाका डालने की पूरी तैयारी कर ली गयी थी, जिस पर सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। विपक्ष द्वारा भी इसके खिलाफ आवाज उठायी तो बैकफुट पर आकर यूजीसी को इस पर सफाई देनी पड़ी।

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अपने मसौदा दिशा-निर्देश में कहा था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए रिजर्व खाली पदों पर पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में वे पद अनारक्षित घोषित किए जा सकते हैं। इस मसौदे के बाद भारी हंगामा खड़ा हो गया और अब सफाई में कहना पड़ रहा है कि यह सिर्फ मसौदे तक सीमित था, अंतिम नियम पुस्तिका में ‘कोई अनारक्षित’ से संबंधित सेक्शन नहीं होगा।

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने अपने एक्स हैंडल पर सफाई में एक पोस्ट लिखी है और कहा है, ‘स्पष्ट करना है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों ;सीईआईद्ध में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई अनारक्षित नहीं किया गया है और ऐसा कोई पद अनारक्षित नहीं होने जा रहा है। सभी संस्थान के प्रमुखों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी में बैकलॉग सभी पद ठोस प्रयासों से भरे गए हैं। नवंबर 2023 में श्उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए अंतिम मसौदा दिशानिर्देश, 28 जनवरी की समय सीमा के साथ, प्रतिक्रिया के लिए सभी संस्थानों के प्रमुखों को वितरित किए गए थे।

 

 

अपने एक्स हैंडल में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्रीय शैक्षिक संस्थान ;शिक्षक संवर्ग में आरक्षणद्ध अधिनियमए 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती में सभी पदों के लिए सीईआई में आरक्षण प्रदान किया जाता है।’

इस मसले पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की है, ‘UGC के नए ड्राफ्ट में उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है। आज 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 7,000 आरक्षित पदों में से 3,000 रिक्त हैं, और जिनमें सिर्फ 7.1% दलित, 1.6% आदिवासी और 4.5% पिछड़े वर्ग के Professor हैं।’

राहुल गांधी आगे कहते हैं, ‘आरक्षण की समीक्षा तक की बात कर चुकी BJP-RSS अब ऐसे उच्च शिक्षा संस्थानों में से वंचित वर्ग के हिस्से की नौकरियां छीनना चाहती है। यह सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले नायकों के सपनों की हत्या और वंचित वर्गों की भागीदारी ख़त्म करने का प्रयास है। यही ‘सांकेतिक राजनीति’ और ‘वास्तविक न्याय’ के बीच का फर्क है और यही है भाजपा का चरित्र। कांग्रेस ये कभी होने नहीं देगी – हम सामाजिक न्याय के लिए लड़ते रहेंगे और इन रिक्त पदों की पूर्ति आरक्षित वर्गों के योग्य उम्मीदवारों से ही कराएंगे।’

हालांकि वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल राहुल गांधी की बातों पर असहमति व्यक्त करते हैं। वह कहते हैं कि 2014 से पहले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इससे भी बुरा हाल था। अपने एक्स हैंडल पर राहुल गांधी की टिप्पणी के जवाब में दिलीप मंडल लिखते हैं, ‘’अगर आप इजाजत दें और रिसर्च की मेरी फीस अदा करें तो मैं आपको बता सकता हूं कि 2014 में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के कितने प्रोफेसर थे। बीजेपी से भी बुरा हाल था।आईआईटी में एससी, एसटी आरक्षण लागू करने में कांग्रेस ने 26 साल लगा दिए। पंडित नेहरू ने जीते जी ये आरक्षण लगने नहीं दिया। इंदिरा गांधी ज्यादा उदार थीं।

वह आगे कहते हैं, ‘मंडल कमीशन के कांग्रेस खिलाफ थी. मंडल कमीशन और आरक्षण के खिलाफ संसद में आज तक का सबसे लंबा भाषण राजीव गांधी का है। आप कहेंगे तो भेज दूंगा आपको। उच्च शिक्षा में ओबीसी आरक्षण लगाने में आप लोगों ने लगभग साठ साल लगा दिए, लेकिन अर्जुन सिंह फिर मंत्री नहीं बन पाए।आरक्षण के मामले में बीजेपी का रिकॉर्ड भी खराब है, पर वह आप लोगों से कम शातिर है। आप लोग गुरु हैं इस खेल के, असली रिंग मास्टर। बीजेपी तो अनाड़ी है। बीजेपी का अपराध है सुदामा आरक्षण, पर संसद में आप लोगों ने ईडब्ल्यूएस का समर्थन किया। ये आप दोनों का साझा अपराध है।

बकौल दिलीप मंडल, ‘ 1981 में कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को 50% मुस्लिम आरक्षण जारी रखने दिया। एससी, एसटी, ओबीसी का ख्याल ही नहीं किया, तो इन सबका भुगतना पड़ेगा अब।’

UGC ने जारी किया जो मसौदा, क्या थे उसमें दिशा निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश का मसौदा जारी किया था। इसमें प्रस्तावित था कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं।

नए मसौदा दिशा-निर्देशों के तहत एससी, एसटी या ओबीसी के लिए रिजर्व रिक्ति को एससी या एसटी या ओबीसी अभ्यर्थी के अलावा किसी अन्य अभ्यर्थी द्वारा नहीं भरा जा सकता है। इसमें कहा गया है, ‘हालांकि, एक रिजर्व रिक्ति को अनरिजर्व करने की प्रक्रिया का पालन करके अनारक्षित घोषित किया जा सकता है। इसके बाद इसे अनरिजर्व रिक्ति के रूप में भरा जा सकता है।’ इसमें कहा गया है, ‘डायरेक्ट भर्ती के मामले में रिजर्व रिक्तियों को अनरिजर्व घोषित करने पर प्रतिबंध है। हालांकि ग्रुप ‘ए’ सर्विस में जब कोई रिक्ति सार्वजनिक हित में खाली नहीं छोड़ी जा सकती, ऐसे में इस तरह के दुर्लभ और असाधारण मामलों में संबंधित यूनिवर्सिटी रिक्ति के रिजर्वेशन को रद्द करने का प्रस्ताव तैयार कर सकता है।

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