अखिलेश यादव के “पिछड़े, दलित और अल्पसंख्क ही हमारे भगवान” वाले बयान में कितनी सच्चाई ?

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लोकसभा के चुनाव आने वाले हैं। इन चुनावों के लिए पार्टियां अभी से तैयारी में लगी हैं। खुद को दूसरी पार्टी से बेहतर दिखाने के लिए पार्टियां अभी से तमाम तरह के दांवे करने में लगी हैं। मंगलवार 9 जनवरी को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ”किसी का कोई भगवान हो, हमारा भगवान पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) है।” अखिलेश यादव ने यह तक कह डाला हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए ’80 हराओ भाजपा भगाओ’ के नारे पर काम कर रही हैं। यूपी में BJP के हारते ही BJP केंद्र से गायब हो जाएगी।

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BJP पार्टी पर निशाना:

आपको बता दें कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह तक कह डाला कि उत्तरप्रदेश की BJP पार्टी पीडीए (पिछड़ा,दलित,अल्पसंख्यक) की विरोधी है। उनका यह भी कहना है कि BJP पार्टी विकसित भारत संकल्प यात्रा कर रही है लेकिन क्या अभी तक बेरोजगारों को नौकरी मिली? क्या आरक्षण सही तरीके से लागू हुआ? इन सभी मुद्दों को लेकर अखिलेश यादव ने BJP पर निशाना साधा।

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PRESIDENT OF SAMAJWADI PARTY, AKHILESH YADAV

पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी:

लेकिन सवाल है कि जो अखिलेश यादव दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक को लेकर BJP पर निशाना साध रहे हैं उनका दामन भी साफ़ नहीं है। ऐसा बीएसपी सुप्रीमों मायावती  का कहना है। दरअसल, सोमवार 8 जनवरी को बीएसपी सुप्रीमों  मायावती ने एक के बाद एक पांच ट्वीट कर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी दलित, अति-पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी हैं।

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सपा का जातिवादी एजेंडा:

BSP सुप्रीमों मायावती ने यह भी कहा कि सपा पार्टी जिस पार्टी से गठबंधन करने की बात करती है उसे पहले ही BSP पार्टी से दूर रहने की नसीहत दे डालती है। ताकि सपा पार्टी के काले कारनामें सामने न आ जाए। BSP सुप्रीमों ने यह भी कहा कि चुनावों से पहले ही सपा पार्टी दलितों, पिछड़ो और अल्पसंख्यकों का समर्थन करती है लेकिन चुनाव खत्म होते ही अपने दलित विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ जाती है।

अखिलेश यादव द्वारा बदले गए यूपी के जिलों के नाम (Image credit : AAJ TAK)

 

मायावती ने अखिलेश यादव को 1995 के गेस्ट हाउस कांड की भी याद दिलाई थी। वैसे बता कि समाजवादी पार्टी  की जब यूपी में सरकार थी तब भी उसका जातिवादी रवैया देखने को मिला था। अखिलेश यादव ने अपने 2012 से 2017 के कार्यकाल में 9 ऐसे जिलों के नाम बदले जिनका नाम दलित महापुरूषों के नाम पर था। उदाहरण के लिए  प्रबुद्ध नगर का नाम बदलकर शामली कर दिया गया ,भीम नगर का नाम संभल, पंचशील नगर का नाम बदलकर हापुड़, माहामाया नगर का नाम बदलकर हाथरस, ज्योतिबा फुले नगर का नाम बदलकर अमरोहा कर दिया गया। वहीं कांसीराम नगर का नाम बदलकर कासगंज कर दिया था। अखिलेश ने अपनी सरकार में सभी उन जिलों के नाम बदले जो मायावती द्वारा दिए गए थे।

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