बिकरू कांड की दूसरी बरसी पर शहीद परिवारों का दर्द, दो साल के बाद भी न मिली नौकरी और न ही बनी सड़क

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लखनऊ ब्यूरो: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में साल 2020 में हुए बिकरू कांड (Bikru Kand) को आज पूरे दो साल हो गए है, कानपुर के चौबेपुर में दो और तीन जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे (Gangster Vikas Dubey) के घर पर दबिश देने गए पुलिसवालों पर अंधाधुन गोलियां चलाई गई, जिसके आठ पुलिसवाले शहीद हुए थे, दो साल बीत जाने के बाद भी शहीदों परिवारों के साथ जो वादे राज्य सरकार ने किए थे, वह अभी तक अधूरे है.

शहीद कांस्टेबल राहुल कुमार और सुल्तान

गाजियाबाद जिले के रहने वाले शहीद कांस्टेबल राहुल कुमार की पत्नी दिव्या का कहना है कि शहीदों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, दिव्या की माने तो डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को ओएसडी के पद पर तैनाती दे दी गई, गोरखपुर कांड में पुलिस की पिटाई से जान गंवाने वाले मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी को भी ओएसडी पद मिल गया, लेकिन हम लोगों से लिखित परीक्षा और दौड़ कराई जा रही है.

दिव्या की तरह झांसी के रहने वाले शहीद कांस्टेबल सुल्तान की पत्नी उर्मिला का कहना है कि दो साल के बाद भी उन्हें नौकरी नही मिली, हमें फिजिकल और रिटेन पास करने के बाद नौकरी देने की बात कही जा रही है, वह कहती है कि पति की शहादत के बाद मानसिक तनाव के चलते लिखित और शारीरिक परीक्षा पास कराना कैसे संम्भव है.

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शहीद दरोगा अनूप कुमार सिंह

यूपी के प्रतापगढ़ जिले के निवासी शहीद दरोगा अनूप कुमार सिंह की पत्नी नीतू सिंह को भी अभी तक नौकरी नही मिली है, उनका कहना है कि राज्य सरकार शहीदों की शहादत की बेकद्री कर रही है, इसलिए दो साल के बाद भी नौकरी नही मिल पाई है.

आठ पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

कानपुर में हुए बिकरू कांड में कुल आठ पुलिसकर्मीयों ने अपनी जान गवाई थी, दो-तीन जुलाई की रात चौबेपुर स्थित विकास दुबे के घर पर दबिश देने गए आठ पुलिसवालों पर दुबे ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई, जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार एवं बबलू कुमार शहीद हुए थे.

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