चेन्नई में एक 37 साल के दलित युवक की सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान दम घुटने से मौत हो गई। इस मामले को अब दलित कार्यकर्ताओं ने मिलकर उठाया है और दलित अधिकार आंदोलन की नेता ने इस मामले में कहा है कि ”सिर पर मैला ढोना” कानून के खिलाफ है। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।
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क्या था पूरा मामला :
जानकारी के मुताबिक 37 साल के मोहनसुंदरलिंगम रामनाथपुरम के थियागी गांव के रहने वाले हैं। मोहनसुंदरलिंगम 8 फरवरी गुरुवार के दिन कोयंबटूर में सोवरीपलायम के पास कन्नबीरामन मिल रोड में एक अपार्टमेंट के सीवेज टैंक की सफाई कर रहे थे। सीवेज टैंक की सफाई के दौरान उनके दो साथी राजू और गुना सीवेज के अंदर गए लेकिन राजू सीवेज टैंक के नीचे गिर गया। तभी मोहनसुंदरलिंगम भी टैंक के अंदर राजू को बचाने के लिए गए। राजू को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया लेकिन मोहनसुंदरलिंगम गिर गए जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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दलित संगठन ने मामला उठाया :
इस घटना से दलित संगठन आहत है और उन्होंने मोहनसुंदरलिंगम की मौत का मामला उठाया है। कार्यकर्ता और दलित अधिकार आंदोलन की नेता मीनाकुमारी सुनील ने आईएएनएस को बताया, ”सिर पर मैला ढोना” कानून के खिलाफ है। हम उन लोगों को अदालत लेकर जाएंगे जिन्होंने उस युवक से ऐसा करवाया है।”
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दलित अधिकार आंदोलन की नेता का बयान :
मीना कुनारी ने कहा, ”मैला ढोने की प्रथा काफी साल पहले ही कानून के जरिए समाप्त की जा चुकी है। अब जो लोग भी ऐसे कार्यों में किसी को भी शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “कई वकीलों ने कोयंबटूर जनरल हॉस्पिटल में जाकर मृतक के परिवार से मुलाकात की है। जहां आज शव का पोस्टमार्टम किया जाना है। इसके साथ ही वकीलों ने मृतक के परिवार को आश्वासन दिलाया है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, वकीलों ने मृतक के परिवार को यह भी आश्वासन दिलाया कि हम आपके साथ खड़े हैं।”
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कड़ी कार्रवाई :
दलित कार्यकर्ता ने आईएएनएस को बताया कि मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम और अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अनुसार, जिन लोगों ने मृतक और उनके साथियों को मैला ढोने के काम में लगाया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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