द्रौपदी मुर्मू बनीं भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति, 25 जुलाई को होंगी राष्ट्रपति पद की शपथ

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दिल्ली ब्यूरो: एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (NDA Candidate Draupadi Murmu) ने एक ऐसा इतिहास रचा है कि देश में हर तरफ उन्ही की चर्चा हो रही है. देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति (First Tribal Woman President) बनने जा रही द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के चेहरे को आगे कर बीजेपी (Bhartiya Janta Party) ने विपक्षी एकता में बड़ी सेंधमारी की है. वोटिंग के दौरान मुर्मू के पक्ष में 14 राज्यों के 121 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इन राज्यों में क्रॉस वोटिंग ज्यादा हुई है. जहां पर कांग्रेस की सरकार सत्ता में है. इसके साथ ही 17 सांसदों ने भी इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है.

आइए जानते है इन 8 राज्यों में कैसे हुई क्रॉस वोटिंग…

शुरुवात करते है पूर्वोत्तर भारत से जहां असम राज्य में 6 प्रतिशत आबादी आदिवासी समाज की है. राज्य की कई सीटों पर आदिवासी समाज का प्रभाव है. असम विधानसभा में कुल 39 विधायक है. इसमें से 25 कांग्रेस के है, जिसमें से 22 विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है. इससे साफ है जाहिर होता है कि असम के विधायक यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे. जिस वजह से उन्होंने मजबूर होकर क्रास वोटिंग की.

इसके बाद राजस्थान की बात, जहां पर कुल 200 विधानसभा सीटें है. जिसमें से द्रौपद्री मुर्मू के पक्ष में 75 वोट ड़ाले गए. जबकि, यहां बीजेपी के पास कुल 70 विधायक है. ऐसे में पांच वोट अधिक मिले है. बताया जा रहा है कि नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने पहले ही यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट न डालने को कहा था.

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अब बात करते है मध्य भारत यानि मध्य प्रदेश की जहां पर कुल 230 विधानसभा सीटें है. जिसमें से 47 सीटें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है और यहां पर कांग्रेस और विपक्ष के पास कुल 100 विधायक है. जिसमें कुल 79 वोट पड़े. बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में 146 वोट मिले. कहा जा रहा है कि 19 विधायकों ने क्रॉस वोट की. आपको बता दें कि अगले साल 2023 में यहां विधानसभा चुनाव होने है. जिसके लिहाज से कांग्रेस के लिए यह अच्छा संकेत नही है.

मध्य प्रदेश के आलावा छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव अगले साल 2023 में होने है. इस राज्य में आदिवासी समाज की संख्या अधिक है. यहां वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. कांग्रेस के कुल 69 विधायक है. इसमें से 6 वोट मुर्मू के पक्ष में डाले गए. कहा जा रहा है कि 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.

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अगर महाराष्ट्र की बात करें तो यहां पर शिवसेना के उद्धव ठाकरे के गुट ने पहले ही भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया था. इसके बावजूद महाराष्ट्र में 16 विधायकों की ओर से क्रॉस वोट करने की बात कही जा रही है. ऐसे में साफ है कि आदिवासी महिला के नाम पर कांग्रेस और एनसीपी अपने विधायकों को भी एकजुट नही कर पाई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में 2017 विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस विधायकों के टूटने का सिलसिला जारी है. कहा जा रहा है कि 2022 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में जो विधायक बचे हुए है. उनमें से कई विधायकों ने मुर्मू के नाम पर वोट डालें. गुजरात में 30 से 40 विधानसभा सीटों पर आदिवासी समाज का प्रभाव है.

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अब बात करते है झारखंड की, जहां पर द्रौपदी मुर्मू बतौर राज्यपाल रह चुकी है. इस राज्य के लिए कहा जा रहा है कि यहां पर विधायकों के मुर्मू के व्यक्तिगत रिश्ते भी है. वैसे भी यह राज्य आदिवासी बहुल है. बावजूद इसके कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार चलाते हुए भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुर्मू के पक्ष में वोटिंग करने का ऐलान किया था. 82 सीटों वाले विधानसभा में कुल 72 वोट द्रौपदी मुर्मू को मिले.

आखिर में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करते है. आपको बता दें कि यूपी में पहले दिन से यह तय था कि राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग होगी. यहां पर विपक्ष के कुल 12 विधायकों की ओर से क्रॉस वोटिंग की गई. समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव, बसपा सुप्रीमों मायावती और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर ने पहले ही अपना पक्ष रखा था कि वह यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट नही करेंगे.

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