राजस्थान : कांग्रेस के राज में दलित उत्पीड़न से जुड़े 90 फ़ीसदी मामलों में नहीं मिलती सज़ा

Share News:

ये बात हम सभी जानते हैं कि राजस्थान अभी चुनावी राज्य है। 23 नवंबर को यहाँ 200 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। जिसका रिजल्ट 3 दिसंबर को आएगा। और 3 दिसंबर को ही पता चलेगा कि किस उम्मीदवार की किस्मत का ताला खुलेगा और किसके ताले की चाबी खो जाएगी। यानी किसे हार से संतोष करना पड़ेगा। बहरहाल, ये तो हुई चुनावी अपडेट जो मुझे आपको देनी थी। लेकिन अब बात मुद्दे की करते हैं।

 

यह भी पढ़ें :मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के लिए पंजाबराव देशमुख और अंबेडकर ने उठाए थे ये कदम

NCRB की रिपोर्ट:

NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकोर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि देश में सबसे ज्यादा दलितों के साथ जो अपराध होते हैं वो राजस्थान में होते हैं। NCRB के पिछले 5 सालों का अगर रिकोर्ड उठा कर देखा जाए तो 2016 से 2021 तक राजस्थान में दलितों के साथ अत्याचार बढ़ा है। वहीं ताज्जुब की बात ये है कि बढ़ते मामलों के बावजूद जो दोष सिद्धी है जो सजा की दर है उसमें लगातार गिरावट आई है।

 

यह भी पढ़ें :शिक्षा के लिए कलाम और डॉ अम्बेडकर के योगदान को जानते हैं आप ?

 

इन बीते 5 से 6 सालों में राजस्थान में कितने दलित उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए हैं और कितनों में सज़ा मिली है अब वो सुनिए:

 

साल 2016 में 6,329 मामले दर्ज किए गए जिनमें से केवल 680 मामलों में सज़ा हुई यानी 5,649 मामले अब भी ऐसे हैं जिनमें न्याय नहीं मिला है।

 

ASHOK GEHLOT, RAJSTHAN CHIEF MINISTER IMAGE CREDIT BY GOOGLE

 

यह भी पढ़ें :सरकारी और प्राइवेट नौकरी करने वालों को डॉ अम्बेडकर की ये बातें याद रखनी चाहिए

साल 2017 में 5,222 मामले दर्ज हुए जिनमें आज भी 3,377 मामले ऐसे है जिनमें दोष सिद्ध नहीं हुआ है। केवल 1,845 मामलो में ही सज़ा हुई है।

2018 में 5,563 मामले दर्ज हुए थे और जिनमें आज भी 4,851 मामलो में दोष सिद्ध नहीं हुआ है।

 

यह भी पढ़ें :दलित की जमीन पर कब्जा, दी जान से मारने की धमकी

 

2019 में 8,418 मामले दर्ज किए गए थे और केवल 1,121 मामलों में ही दोषियों को सज़ा मिली है। 7,297 केस की फाइलें आज भी धूल खा रही है।  बात 2020 की करें तो इस साल 8,744 मामले राजस्थान में दलित उत्पीड़न के दर्ज किए गए थे।

 

यह भी पढ़ें :नीतीश कुमार ने दलितों का किया अपमान, संवैधानिक पद के लायक नहीं

जिनमें से सिर्फ 686 मामलो में सज़ा हुई है। 8058 मामले आज भी न्याय के लिए लाइनों में हैं। वहीं राजस्थान में दलित उत्पीड़न में 2020 की तुलना में साल 2021 में 24% की वृद्धि हुई। यहां एक साल में कुल  2121 मामले दर्ज किए गए हैं।

 

PRIYANKA GANDHI, INDIAN POLITICIAN IMAGE CREDIT BY GOOGLE

 

दलितों पर अत्याचार चरम पर है: 

 

बता दें कि ये जो आँकड़ा अभी आपको मैंने बताया वो NCRB का है। जो राजस्थान सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है। लेकिन अशोक गहलोत सरकार आंखें मूदें बैठी है। इतिहास गवाह है कि अशोक गहलोत कभी पीड़ित दलित के घर नहीं गए। उन्हें सांतवना देने नहीं गए।

 

यह भी पढ़ें :बिहार: नीतिश सरकार बढ़ाएगी आरक्षण का दायरा, 50 से 75 फीसदी हो जाएगा आरक्षण ?

हाल ये है कि 2021 में जब यूपी चुनावों में प्रियंका गांधी यूपी में रैलियाँ कर रही थी तब राजस्थान का दलित यूपी में जाकर न्याय की गुहार लगा रहा था कि देखो हम उस राज्य से आपके पास आएं है जहाँ आपकी सरकार है और दलितों पर अत्यचार चरम पर है लेकिन सरकार हमारी सुद तक नहीं ले रही है।

 

यह भी पढ़ें :मध्यप्रदेश की चुनावी रैली में BSP सुप्रीमों मायावती ने विपक्षियों के सारे कारनामें गिना दिए

देश भर में चर्चित घटनाएँ: 

 

अब उन मामलो को भी आप सुनें जिनकी चर्चा देश भर में हुई लेकिन न्याय के लिए आज भी वो पीड़ित परिवार दर दर की ठोकरें खा रहा है। अगस्त 2022 में जालौर में इंद्र मेघवाल 9 साल का बच्चा जिसकी हत्या उसके अध्यापक ने इसलिए कर दी क्योंकि उसने अध्यापक की मटकी से पानी पी लिया था। मामले में 1063 पेजों की चार्जशीट दाखिल हुई लेकिन जातिवाद का कारण उस मटकी को ही चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया।

 

यह भी पढ़ें :तमिलनाडु : जातिवादियों ने पहले जाति पूछी, फिर मारा-पीटा, रात भर बंधक बनाया, मुहँ पर किया पेशाब

मार्च 2022 पाली में जितेंद्र मेघवाल की मूछे रखने पर जातिवादियों ने हत्या कर दी थी। पिछले साल इसी नवंबर के महीने में 3 नवंबर को अजमेर में ओम प्रकाश रैगर ने जातिवदियो की प्रताड़ना से तग आकर आत्महत्या कर ली थी। दिसंबर 2022 मे सिरोही में कार्तिक भील की  हत्या कर दी गई। कार्तिक  सामाजिक आंदोलनकारी थे। उनका परिवार आज भी अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए सिरोही जिला कलक्टर कार्यालय के बाहर धरना देकर बैठा है 

 

यह भी पढ़ें :तेलंगाना में बसपा की दूसरी लिस्ट में कौन कौन शामिल ?

DAUSA DSTRICT OF RAJSTHAN, IMAGE CREDIT BY GOOGLE

 

 

न्याय का अधिकार नहीं:

अब दिवाली से दो दिन पहले राजस्थान के दौसा में राहुवास गांव में 4 साल की मासूम बच्ची के सब-इंस्पैक्टर ने हैवानियत की। लेकिन अशोक गहलोत सरकार इस मामले पर भी चुप है। दौसा के पीड़ित परिवार से हमने बात की है जिसकी वीडियो हमारे यूट्यूब पर मौजूद हैं। ये घटनाएँ बता रही है कि राजस्थान मे दलित होना गुनाह है औऱ अगर यहाँ उनके साथ अत्याचार होता है या संगीन जुर्म होता है तो उन्हें न्याय की उम्मीद करने का कोई अधिकार नहीं है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *