PM मोदी का दावा ‘दलित-आदिवासी हमारी गरीब समर्थक योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी’, जानिये क्या हैं वो योजनायें

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प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना खासतौर पर दलितों को केंद्र में रखकर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनायी गयी है। इसके तहत उन गांवों को आदर्श गांवों में विकसित किया गया, जिनकी आबादी में 50 प्रतिशत जनसंख्या दलितों की है। इन दलित बाहुल्य गांवों में दलित परिवारों के लिए आवास, सड़कें, बिजली, रोजगार और सुरक्षा के लिए मोदी सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जाती है…

मोदी सरकार सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में बता रही हैं प्रेमा नेगी

Modi govt schemes for Dalit-Tribal and OBC : चुनावों में अब मात्र कुछ दिन का समय शेष रह गया है, पिछले 10 साल से देश में भाजपानीत नरेंद्र मोदी सरकार सत्तासीन है। पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि ‘दलित, ओबीसी और आदिवासी उनकी सरकार की गरीब समर्थक योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। पिछले 10 वर्षों में सबसे बड़ी उपलब्धि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है।’ हमारे देश में लगभग 80 फीसदी एससी/एसटी/ओबीसी हैं, तो जाहिर सी बात है कि केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हीं को सबसे ज्यादा मिला होगा। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा दर्जनों कल्याणकारी योजनायें चलायी गयी हैं, मगर कई योजनायें ऐसी हैं, जिनका सीधा असर गरीब-वंचित-दमित-दलित-पिछड़े वर्ग पर सीधे-सीधे पड़ रहा है। आइये जानते हैं उन महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में।

प्रधानमंत्री जनधन योजना
अपने पहले कार्यकाल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त के अवसर पर प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी, जिसके जरिये देश के सभी लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इस योजना के तहत अब तक देश के 50 करोड़ से भी ज्यादा लाभार्थियों को बैंकिंग सुविधा सरकार द्वारा दी गयी है और इनमें बहुतायत संख्या दलित-पिछड़े-आदिवासियों की है। पीएमजेडीवाई के तहत खुले एकाउंट की संख्या मार्च 2015 तक जहां मात्र 14.72 करोड़ थी, वहीं 2023 में बढ़कर 50.09 करोड़ पहुंच गयी थी। वित्त मंत्रालय द्वारा दी गयी सूचना के मुताबिक लगभग 56 प्रतिशत जनधन खाताधारक महिलाएं हैं और तकरीबन 67 प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। सरकार द्वारा पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कुल 33.98 करोड़ ‘रुपे कार्ड’ जारी किए गए हैं।

आयुष्मान भारत योजना
मोदी सरकार की बहुत महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल है आयुष्मान भारत योजना। 23 सितंबर 2018 को मोदी सरकार द्वारा लॉन्च की गई आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब वर्ग के एक परिवार को पांच लाख रुपये तक का बीमा दिया जाता है। इस योजना का मकसद है बीपीएल कार्डधारक गरीबों को मुफ्त इलाज मिल सके। विभिन्न आंकड़े कहते हैं कि देश में गरीबों में बहुतायत दलित-पिछड़े-आदिवासी शामिल हैं, इसलिए इस योजना का लाभ भी इन्हीं लोगों को सबसे ज्यादा मिल रहा है।

एक आंकड़े के मुताबिक देशभर में बीपीएल कार्डधारक गरीब परिवारों की संख्या करीब 10 करोड़ है, यानी लगभग 50 करोड़ लोगों को इस योजना के माध्यम से मुफ्त इलाज मिलता है। वर्ष 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में 3.69 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं औरअब तक 61,501 करोड़ रुपये का मुफ्त इलाज किया जा चुका है। सबसे बड़ी बात यह है कि गरीब वर्ग जिनमें खासतौर पर दलित-आदिवासी शामिल हैं, वह कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज महंगा होने के कारण जान गंवा देते थे, मगर अब आयुष्मान कार्ड के माध्यम से वह भी यह महंगा इलाज करा पाने में सक्षम हैं। जाहिर तौर पर इस वर्ग में इन महंगी बीमारियों के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा भी घटना होगा।

स्वच्छ भारत मिशन
मोदी सरकार की एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना में शामिल है स्वच्छ भारत मिशन, जिसके माध्यम से सरकार द्वारा हर द्वार पर शौचालय बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है और इसका भी सबसे बड़ा लाभार्थी दलित—पिछड़ा और आदिवासी वर्ग है। प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन योजना की शुरुआत की थी। पांच साल के लिए शुरु किये गये इस मिशन का उद्देश्य था शहरी भारत को कचरा मुक्त बनाना और देश को ओडीएफ यानी Open Defecation Free करना।

स्वच्छ भारत मिशन का देश पर एक व्यापक असर हुआ है। देश के लगभग एक लाख गांव खुले में शौच करने से मुक्त हो चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर के सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ग्रामीण भारत में 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019 यानी महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती तक स्वयं को ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित कर दिया था। 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत के समय जहां मात्र 38.7 प्रतिशत ग्रामीणों के पास शौचालय की सुविधा थी, आज यह बढ़कर 99.1 प्रतिशत हो गई है। गोवा और ओड़ीशा को छोड़कर अन्य राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण अंचल खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। भारत के नगरों में भी स्थिति बहुत सुधर चुकी है।

स्वच्छ भारत मिशन का एक बड़ा लाभ यह हुआ है कि मैला ढोने की प्रथा से जुड़े दलित इससे लगभग मुक्त हो चुके हैं और सरकार उन्हें रोजगार के अन्य अवसर उपलब्ध कराने का आश्वासन देती है। हालांकि जमीनी हालात अभी बहुत ज्यादा नहीं सुधरे हैं, मगर मैला प्रथा से जुड़े परिवारों को जरूर इस अभियान के कारण लगभग मुक्ति मिली है। स्वच्छता मिशन का परिणाम है कि हर रोज हजारों की संख्या में दलित परिवारों के लिए शौचालयोंं का निर्माण हो रहा है। 10 अप्रैल 2018 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में तीन लाख से अधिक गांवों में 6.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका था।

प्रधानमंत्री आवास योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना भी पीएम मोदी के कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके माध्यम से वंचित वर्ग जिसमें दलित—आदिवासी—पिछड़े बहुतायत में शामिल हैं, लाभान्वित हुए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी तथा ग्रामीण दोनों वर्ग के लोगों के लिए है। इस योजना का लाभ उन लोगों को मिलता है जिनके पास कच्चे मकान हैं, जिनके पास अपनी छत नहीं है। इतना ही नहीं कम आय वाले लोगों को सरकार द्वारा होम लोन में भी सब्सिडी दी जाती है। इस योजना के तहत गरीबों को मकान बनवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सहायता उपलब्ध करवायी जाती है। हालांकि इस योजना का लाभ सभी जातियों को मिलता है, मगर चूंकि छतविहीन लोगों में ज्यादातर आबादी दलितों—आदिवासियों और पिछड़ों की है, इसलिए लाभ भी सबसे ज्यादा इन्हीं को मिल रहा है। इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 25 जून 2015 को किया गया था।

एक आंकड़े के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा 11 सितंबर 2023 तक इस योजना के तहत 1.18 करोड़ शहरी आवास और 2.94 करोड़ ग्रामीण आवास आवंटित किए जा चुके हैं। शहरी इलाकों में भी कम आय वाले नौकरीपेशा लोग इस योजना का लाभ उठाकर होम लोन ले रहे हैं।

उज्ज्वला योजना
प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल की एक बहुचर्चित योजना में शामिल है उज्ज्वला योजना, हालांकि इस योजना को लेकर संशय बरकरार रहता है, मगर इसमें कोई शक नहीं है कि इस योजना के माध्यम से महिलाओं को धुएं से एक हद तक मुक्ति मिली है। इस योजना के तहत मोदी सरकार द्वारा बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को फ्री गैस कनेक्शन बांटे गए। इससे सबसे बड़ा फायदा उन गरीब महिलाओं को हुआ, जो धुएं में खाना बनाने को मजबूर थीं। मई 2016 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ग्रामीण और वंचित परिवारों के लिए एलपीजी जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत की गई थी। पीएम मोदी ने इस योजना की शुरुआत एक मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में की थी। ये कार्यक्रम उन लोगों के लिए आरंभ किया गया जो ईंधन के रूप में जलावन लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले आदि जैसे पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन का उपयोग कर रहे थे। इसके पीछे की वजह बताते हुए सरकार ने कहा कि पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन के उपयोग से ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यहां भी इस दलितों—आदिवासियों-पिछड़ों को सबसे ज्यादा इस योजना का लाभ मिला है, क्योंकि आमतौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े यही वर्ग हैं तो जाहिर तौर पर इस वर्ग की महिलाओं को इस योजना ने धुएं से मुक्ति दिलाने का काम किया है जिससे वह कई रोगों से बचेंगी।

हालांकि इस बीच एलपीजी की बढ़ती कीमतों के कारण इस योजना पर सवाल उठते रहते हैं, मगर बहुतायत महिलायें लकड़ी का इस्तेमाल बंद कर चुकी हैं। इस योजना के तहत मार्च 2020 तक वंचित परिवारों को 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य मोदी सरकार द्वारा रखा गया था। प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 7 सितंबर 2019 को आठ करोड़ वें एलपीजी कनेक्शन को सुपुर्द किया था। इस योजना से एलपीजी कवरेज एक मई 2016 को 62% से बढ़कर एक अप्रैल 2021 तक 99.8% हो गई। बाद में पीएमयूवाई योजना के तहत 1.6 करोड़ एलपीजी कनेक्शन का अतिरिक्त आवंटन करने के लिए उज्ज्वला 2.0 योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के महोबा से किया था। एक आंकड़े के मुताबिक 10 अप्रैल 2018 तक देश के 712 जिलों में 3 करोड़ 57 लाख 10 हजार 876 गैस कन्केशन गरीब-दलित परिवारों को दिये गये थे और 31 मई 2023 तक प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत कुल 9,58,59,418 कनेक्शन जारी कर दिये गये थे।

सुकन्या समृद्धि योजना
मोदी सरकार की सुकन्या समृद्धि योजना भी महिला सशक्तीकरण की एक प्रमुख योजना में शामिल है। देश की बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी और तरक्की के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2015 में सुकन्या समृद्धि योजना लॉन्च की थी। पैसे के अभाव के कारण जो परिवार अपने बच्चों खासकर बच्चियों को शिक्षा से वंचित कर रहे थे, उन्हीं को केंद्र में रखकर सरकार द्वारा सुकन्या समृद्धि योजना लेकर आयी थी। इस योजना में निवेश कर बेटी की पढ़ाई से लेकर शादी तक के खर्चे के पैसे परिजन बहुत छोटी—छोटी बचत के माध्यम से जोड़ सकते हैं।

सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 10 वर्ष से कम उम्र की बेटियों का खाता माता-पिता के नाम पर खुलता है। इस योजना के तहत पोस्ट ऑफिस या बैंक में जाकर खाता खुलवा सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना 21 साल में मैच्योर होती है, मगर लड़की की उम्र 18 साल होने के बाद पढ़ाई के लिए इस खाते से राशि निकाली जा सकती है। पूरी रकम 21 साल के बाद ही मिलती है।

पीएम किसान सम्मान निधि
यह योजना छोटे और सीमांत किसान परिवारों यानी जिनके पास दो हेक्टेयर तक जमीन है, को ध्यान में रखकर मोदी सरकार द्वारा लॉन्च की गयी थी। जाहिर तौर पर इसके भी सबसे बड़े लाभार्थी दलित—पिछड़े-आदिवासी हैं, क्योंकि वही सबसे कम जोतों के मालिक हैं। इस योजना के तहत सरकार किसान परिवारों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद तीन किश्तों में देती है। केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली इस सहायता से छोटे किसानों को काफी फायदा हुआ है इसके जरिए किसान आसानी से अपनी फसल तैयार कर पाते हैं। खाद, बीज, पानी और अन्य खर्चों में भी इस धनराशि से जाहिर तौर पर मदद मिलती है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानी फ्री राशन योजना के सबसे बड़े लाभार्थी दलित-पिछड़े-आदिवासी हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ यानी पीएमजीकेएवाई को 5 साल के लिए आगे बढ़ाने का फैसला किया था। 1 जनवरी 2024 से 5 साल तक 81.35 करोड़ लोगों को फ्री राशन मिलता रहेगा। गौरतलब है कि कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने गरीबों को राहत देने के लिए इस यो​जना की शुरुआत की थी। इस योजना में लाभार्थियों को चावल, गेहूँ और मोटा अनाज/पोषक अनाज दिया जाता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में से एक है। मीडिया से मुखातिब होते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “देश के मेरे परिवारजनों में से कोई भी भूखा नहीं सोए, हमारी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। अपनी इसी भावना को ध्यान में रखते हुए हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले 5 वर्षों तक बढ़ा दिया है। यानी मेरे गरीब भाई-बहनों के लिए वर्ष 2028 तक मुफ्त राशन की व्यवस्था निरंतर जारी रहेगी। इसका फायदा करीब 81 करोड़ देशवासियों को मिलेगा। मुझे विश्वास है कि हमारा यह प्रयास उनके जीवन को अधिक से अधिक आसान और बेहतर बनाएगा।”

पीएम विश्वकर्मा योजना
लोहार, सुनार, कुम्हार, बढ़ई, चर्मकार, दर्जी समेत 18 पारंपरिक कार्यों से जुड़े कारीगरों को केंद्र सरकार की पीएम विश्वमर्गा योजना के तहत ट्रेनिंग दी जाती है और इस दौरान उन्हें पांच सौ रुपये प्रतिदिन भत्ता और टूल किट खरीदने के लिए 15 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। कारीगरों को इस योजना के तहत पांच प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का कर्ज भी केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के कारण दलित-पिछड़े और आदि​वासी युवा न सिर्फ रोजगार से जुड़े हैं, बल्कि स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित हुए हैं।

विश्वकर्मा स्कीम का फायदा देश भर में 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के साथ बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कुम्हार, दर्जी, मूर्तिकार, कपड़े धोने वाले, माला बनाने वाले, चिनाई करने वाले और अन्य भी कई प्रकार के श्रमिकों को होगा। केंद्र सरकार के मुताबिक विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य है कारीगरों और शिल्पकारों को ‘विश्वकर्मा’ के रूप में मान्यता देकर उन्हें योजना के अंतर्गत सभी लाभों के लिए पात्र बनाना। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार ने 13000 करोड़ रुपये का बजट बनाया है। कारीगरों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन देकर सरकार का उद्देश्य उन सभी कारीगरों के काम को बढ़ावा देकर उन्हें उन्नत बनाना है।

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना
यह योजना खासतौर पर दलितों को केंद्र में रखकर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनायी गयी है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत उन गांवों को आदर्श गांवों में विकसित किया गया, जिनकी आबादी में 50 प्रतिशत जनसंख्या दलितों की है। इन दलित बाहुल्य गांवों में दलित परिवारों के लिए आवास, सड़कें, बिजली, रोजगार और सुरक्षा के लिए मोदी सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी गयी है। राज्यों के Scheduled Castes Sub Plan के लिए Special Central Assistance के रूप में केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों द्वारा दलितों के लिए बनाये गये Sub Plan में 100 प्रतिशत का अंशदान करती है। अब इस योजना के तहत प्रत्येक ग्राम में 20 लाख रुपये तक के कार्य ग्रामसभा के अनुमोदन के आधार पर किए जा सकते हैं।

दलित युवाओं के लिए पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत 
प्रधानमंत्री मोदी ने दलित युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने के लिए देश में पहली बार वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Fund for Scheduled Castes) की शुरुआत की थी। मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2015 को Venture Capital Fund for Scheduled Castes योजना शुरू की थी। इसमें उन कंपनियों को 20 लाख से 15 करोड़ का लोन दिया जाता जिसमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक दलित स्वामित्व होता है।

दलित उद्यमियों के उद्यम को कर्ज लेने के लिए 5 करोड़ रुपये तक की गांरटी देने के लिए भी देश में पहली बार मोदी सरकार ने “Credit Enhancement Guarantee Scheme for Scheduled Castes” की शुरुआत की थी। जुलाई, 2014 के अपने पहले बजट में मोदी सरकार ने 200 करोड़ रुपये की धनराशि इस योजना के लिए जारी की थी। इसके तहत विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के जरिए स्टार्टअप को ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। इस योजना को 6 मई 2015 से लागू किया गया था।

दलितों को उद्योग-धंधे लगाने के लिए सहायता
प्रधानमंत्री मोदी ने दलित समाज को आर्थिक रुप से मजबूती प्रदान करने के लिए कई योजनाओं की तरह मुद्रा योजना की भी शुरुआत की थी। 31 मार्च 2017 तक दलितों के लिए 2,2500,194 मुद्रा खाते खुले, जो कुल मुद्रा खातों का 57 प्रतिशत है। इस माध्यम से समुदाय के लोगों को 67,943.39 करोड़ का लोन आवंटित किया गया था। साथ में ही उद्यमियों को हरसंभव मदद देने के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की गई थी। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी नीति बनाई है कि सार्नजनिक उपक्रम अपनी खरीदारी का 4 प्रतिशत सामान अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों से खरीदें।

दलित उत्पीड़न कानून को संशोधित करके सख्त बनाया
देश में पहले से चले आ रहे दलित उत्पीड़न कानून 1989 को प्रधानमंत्री मोदी ने संशोधित करके और अधिक सख्त बनाया था। इस सख्त कानून को 26 जनवरी 2016 को मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया। इस संशोधन से दलितों को त्वरित न्याय दिलाने की मोदी सरकार की मुहिम को बल मिला था। कानून में दलित उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई करने के लिए विशेष अदालतों के गठन और सरकारी वकीलों की उपलब्धता को सुनिश्चित कर दिया गया था। नये कानून में यह भी सुनिश्चचित कर दिया गया कि आरोपपत्र दाखिल होने के दो महीने के अंदर न्याय दे दिया जाए। नये कानून के तहत दलितों को मिलने वाली सहायता राशि को स्थिति के अनुसार 85,000 रुपये से 8,25,000 रुपये तक कर दिया गया। NCRB 2016 की रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों को सुरक्षा देने में पूर्ववर्ती सरकारों से काफी अच्छा काम किया है।

दलितों के अंतरजातीय विवाह करने पर आर्थिक सहायता
अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के लिए सरकार एक स्कीम चला रही है, जिसके तहत अगर कोई दलित से अंतरजातीय विवाह करता है तो उस नवविवाहित युगल को मोदी सरकार द्वारा 2 लाख 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। ये आर्थिक सहायता डॉ. अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज के तहत दी जाती है। ये स्कीम साल 2013 में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जिसे मौजूदा मोदी सरकार में भी जारी है। इस स्कीम का उद्देश्य समाज से जाति व्यवस्था की बुराई को खत्म करना है। साथ ही इस कुरीति के खिलाफ साहसिक कदम उठाने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करना भी है। दूसरी शादी करने पर इस योजना का लाभ नहीं मिलता। इस योजना का लाभ उठाने के लिए नवदंपती को अपने क्षेत्र के सांसद या विधायक की सिफारिश के साथ आवेदन को भरने के बाद डॉ अंबेडकर फाउंडेशन को भेजना होता है, जिसके बाद राज्य सरकार या जिला प्रशासन आवेदन को डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन को भेज देते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए दंपती में से कोई एक दलित जाति से होना चाहिए और दूसरा दलित समुदाय से बाहर का होना चाहिए। शादी को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत रजिस्टर किया जाना जरूरी है, जिसके लिए नवदंपती को एक हलफनामा दायर करना होता है। आवेदन भरकर शादी के एक साल के अंदर डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन को भेजना होता है। मोदी सरकार ने दलितों के अन्तरजातीय विवाह के लिए पूरे देश में एक समान आर्थिक सहायता 2.5 लाख रुपयों की थी, जबकि इससे पहले राज्यों द्वारा दलितों को अन्तरजातीय विवाह के लिए अलग-अलग राशि दी जाती थी। मोदी सरकार के हर साल इसके लिए आवंटन धन बढ़ा है। 2015-16 में जहां 120 करोड़ रुपये दिये, वहीं 2016-17 में 228.49 करोड़ रुपये और 2017-18 में 31 दिसबंर 2017 तक 300 करोड़ रुपये दिये गये। इसका लाभ लेने वाले दलित युवकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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