हरदोई में पुलिसकर्मियों द्वारा दलित बहनों के रेप मामले में नौ महीने बाद भी मुख्य आरोपी फ़रार

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उत्तर प्रदेश के हरदोई में अप्रैल महीने में दो दलित नाबालिग लड़कियों के साथ तीन पुलिस कर्मियों ने रेप की वारदात को अंजाम दिया था। घटना के 7 महीने बाद दो आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन एक मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। 8 महीने बाद पीड़ित परिवार का आलम ये है कि बच्चीयों के इलाज में घर और ज़मीन दोनों बिक गयी। एक बच्ची की हालत स्थिर है तो दूसरी अभी तक उस घटना के सदमे से बाहर नहीं निकल पाई है। 8 महीनों से पीड़ित परिवार न्याय की आस में कोर्ट के चक्कर लगा रहा है।

क्या थी पूरी घटना:

14 अप्रैल 2022 का दिन था। पीड़ित दलित परिवार लखनऊ- शाहजहाँपुर रोड़ पर किराये की ज़मीन पर ढाबा चलता था। 14 तारीख को ढाबे पर दोनों लड़कियां और उनकी माँ थी। पिता किसी ज़रूरी काम से वहीं पास में गया था। उसी शाम दो सिपाही मनोज और प्रियांशु के साथ सब इंस्पेक्टर संजय सिंह उनके ढाबे पर आए और दोनों लड़कियों को ऑर्डर देने के लिए बुलाया। पुलिस वालों ने शराब लाने को कहा था तो लड़की ने जवाब देते हुए कहा कि यहाँ शराब नहीं, खाना मिलता है, खाने का ऑर्डर दीजिये। इस पर तीनों को गुस्सा आ गया और पुलिस वालों ने दोनों लड़कियों को मारना शुरू कर दिया। बीच बचाव के लिए जब मां आई तो उसे रिवॉल्वर दिखा कर डरा दिया।

प्रतीकात्मक तस्वीर

 

तीनों पुलिसकर्मी लड़कियों को ढाबे के पीछे ले गए और तीनों ने बारी बारी दोनों के साथ रेप किया। लड़कियों की चीख सुनकर पिता भी ढाबे पर आ गया। पुलिस वालों के जाने के बाद जब दलित दंपती ढाबे के पीछे गया तो दोनों लड़कियों को खून और मिट्टी में लथपथ पाया। पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत करने से पहले दोनों बेटियों का इलाज करवाना ज़्यादा ज़रूरी समझा और हरदोई के प्राइवेट अस्पताल में बेटियों को एडमिट करवा दिया।

पिहानी थाना क्षेत्र का मामला:

14 अप्रैल 2022 को हरदोई में दलित बहनों के साथ हुई रेप की वारदात पिहानी थाना क्षेत्र के जिहानीखेड़ा चौकी की है। तीनों आरोपी मनोज और प्रियांशु जिहानीखेड़ा चौकी में सिपाही थे और संजय सिंह जिहानीखेड़ा चौकी में सब-इंस्पेक्टर के पद पर थे।

प्रतीकात्मक तस्वीर (dalit times)

 

नवंबर महीने में हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एसपी राकेश द्विवेदी को फटकार लगाई थी जिसके बाद पुलिस ने दोनों सिपाहियों मनोज और प्रियांशु को गिरफ़्तार कर लिया था। हालांकि गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद आरोपी सब इंसपेक्टर संजय सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

“सोते वक्त बेटियों की चीख सुनाई देती है”

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित परिवार को 8 महीने बाद भी न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे है। पीड़िताओं के पिता कहते हैं कि वो आज भी सो नहीं पाते, उन्हें उस वक्त की अपनी बेटियों की चीख सुनाई देती है जब खुद को बचाने के लिए वो पापा-पापा चिल्ला रहीं थी। उनकी दोनों बेटियों की ये चीत्कार उन्हें आज भी सुनाई देती है। रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित परिवार ने दोनों बेटियों का हरदोई से लेकर शाहजहाँ पुर के कई प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराया।

Rape
प्रतीकात्मक तस्वीर (dalit times)

 

एक बेटी की हालत अब पहले से बेहतर है लेकिन दूसरी अब भी उस सदमे को भुला नहीं पाई है। उसके इलाज के लिए पिता ने खेत भी बेच दिए लेकिन उसकी तबियत आज भी खराब रहती है। घटना के बाद जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस का मामला होने के कारण जिस जमीन पर ढाबा था उसके मालिक ने ज़मीन वापस ले ली है। फ़िलहाल पीड़ित परिवार हरदोई छोड़कर लखीमपुर खीरी आ गए हैं। वहीं थोड़ी सी ज़मीन लेकर उस पर ढाबा शुरू किया है। उससे जो कमाई होती है उसे बेटियों के इलाज में लगा देतें हैं।

4 महीने बाद दर्ज हुई थी एफआईआर:

घटना में पीड़ित पक्ष दलित है और आरोपी कानून के रखवाले इसलिए जिले के थाने पर मामले की रिपोर्ट 4 महीने तक दर्ज नहीं कि गयी। पीड़िताओं की मां 4 महीने तक थाने के चक्कर लगाती रही। हार के पीड़ित परिवार ने लखनऊ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद 21 अगस्त 2022 को पुलिस ने मामले में एफआईआर लिखी। लेकिन यहाँ जवाबी कटघरे में कानून के सिपाही खड़े थे इसलिए यहाँ भी मामले में ढील देने की कोशिश की गई एफआईआर में कहीं भी POCSO एक्ट का ज़िक्र तक नहीं किया गया। 8 महीने बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति विवेक कुमार की खंडपीठ द्वारा एसपी राकेश द्विवेदी को फटकार लगाने के बाद दो आरोपी प्रियांशु और मनोज की गिरफ्तारी की गई हालांकि एक मुख्य आरोपी अब भी फरार चल रहा है।

(रिपोर्ट में पीड़ित पक्ष की पहचान उजागर नहीं कि गयी है)

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