केरल : कन्नूर जिले के पय्यानूर के पास कट्टमपल्ली में एक दलित महिला चित्रलेखा लगभग दो दशकों से न्याय के लिए लड़ रही है। दरअसल, चित्रलेखा अपनी आजीविका के लिए ऑटोरिक्शा चलाती थी। लेकिन उनके दलित होने की बजह से उनकी आजीविका का साधन यानी उनका ऑटो उनसे छीन लिया गया है। साल 2005 में सीपीएम कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले में चित्रलेखा का ऑटो आग के हवाले कर दिया गया। चूंकि चित्रलेखा की आजीविका का साधन उसका ऑटो जल चुका है तो चित्रलेखा के सामने रोज़ी रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। वह 2005 से न्याय के लिए प्रदर्शन कर रही हैं।
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दलित महिला का ऑटो चलाना मंजूर नहीं :
दक्षिण भारत के जाने माने मीडिया संस्थान मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, चित्रलेखा दलित समुदाय से आती हैं वही उनके पति श्रीशांत थिया समुदाय से आते हैं। श्रीशांत ऑटो चालक थे औऱ मनोरमा एक निजी अस्पताल में नर्स थीं। वडकारा में दोनों को एक दूसरे से प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली।
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दलित समुदाय की लड़की से शादी करने पर श्रीशांत के परिवार और समाज के लोगों ने श्रीशांत और चित्रलेखा का बहिष्कार कर दिया। ऐसे में दोनों के सामने आजीविका का सवाल खड़ा हो गया। जिसके बाद चित्रलेखा ने ऑटोचालक बनने का फैसला किया। लेकिन कट्टमपल्ली में सीटू से जुड़े अन्य ड्राइवर उनके खिलाफ़ हो गए। चित्रलेखा की जाति की बजह से उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाने लगा।
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दलित महिला का ऑटो जलाकर आजीविका छीन ली गई :
चित्रलेखा और उनके पति श्रीशांत ने ऑनमनेरमा से बात करते हुए बताया कि वह जहाँ रहते हैं वो CPM का गढ़ है जहाँ जाति को लेकर साल 2004 में ऑटो चालकों ने दलित महिला का कथित सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया।
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कथित तौर पर सीपीएम की ट्रेड यूनियन सीटू से जुड़े ऑटो चालकों द्वारा उन पर और उनके परिवार पर कई बार हमले भी किए गये 31 दिसंबर 2005 को उनके घर के पास खड़े उनके ऑटोरिक्शा को कथित तौर पर सीपीएम कार्यकर्ताओं ने आग लगा दी थी। हालांकि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन गवाहों के मुकरने के बाद उसे छोड़ दिया गया। लगभग दो दशकों से दलित महिला जाति के आधार पर उसके साथ हुए दुर्व्यवहार औऱ उसकी आजीविका छीने जाने के खिलाफ़ न्याय के लिए लड़ रही है।
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पुलिस जांच नहीं कर रही :
पीड़ित दलित महिला का कहना है कि सीपीएम गिरोह द्वारा ऑटो जलाए जाने के बाद हमने अपनी आजीविका खो दी है। ऑटो उनके परिवार की आय का एकमात्र स्रोत था और अब उनका परिवार आत्महत्या के कगार पर है। उनका आरोप है कि इस मामले मे पुलिस बिल्कुल भी जांच नहीं कर रही है, वह तब तक विरोध जारी रखेंगी जब तक उनके परिवार को न्याय नहीं मिल जाता।
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चित्रलेखा ने पुलिस से दोषियों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यवाही करने का आग्रह भी किया है। वहीं पुलिस ने आरोपों से इनकार किया है। वालापट्टनम के SHO एम टी जैकब ने कहा कि वे ‘आरोपी को पकड़ने की पूरी कोशिश’ कर रहे हैं। लेकिन हमें अभी तक उनके बारे में कोई विशेष सबूत नहीं मिले है।”
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