Election 2024 : ‘हमारे बच्चों के हाथ में कटोरा नहीं-कलम दो’ दलित महिलाओं की मोदी सरकार को खुली चुनौती

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दलित महिलाएं कहती हैं, मायावती देश की शोषित पीड़ित दलित जनता को जिल्लत भरी जिंदगी से निकालकर मान-सम्मान की जिंदगी जीते देखना चाहती हैं, जिन्होंने देश को आगे बेहतर से बेहतर बनाने के लिए देश की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार उपलब्ध कराया है…

वरिष्ठ पत्रकार अजय प्रकाश की ग्राउंड रिपोर्ट

Election 2024 : ‘हमें आप नौकरी दीजिए, यदि परिवार में एक व्यक्ति की नौकरी लगेगी तो वह पूरे परिवार को पाल लेगा और पढ़ा लिखा देगा, हमें फ्री में कुछ नहीं चाहिए!’ जी हां ये पुकार एक ही नहीं बल्कि कई बेरोजगार दलित महिला की है, जो फ्री में कोई चीज़ नहीं लेना चाहती बस रोज़गार और आत्मनिर्भर बनना चाहती है!

गाजियाबाद में बसपा के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद की रैली में बड़ी संख्या में दलित महिलायें पहुंची थीं। सरकार को चुनौती देते हुए दहाड़ीं कि हमारे बच्चों को कटोरा नहीं कलम दो, बहिन कुमारी मायावती के कारण दलित महिलाएं आज बोल पाती हैं, अपने हकों के लिए लड़ पाती हैं।

दलित महिलाएं बताती है कि बहनजी (मायावती) देश की शोषित पीड़ित जनता को जिल्लत भरी जिंदगी से निकालकर मान-सम्मान की जिंदगी जीते देखना चाहती हैं, जिन्होंने देश को आगे बेहतर से बेहतर बनाने के लिए देश की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार उपलब्ध कराया है। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करते हुए अपने शासनकाल में बहन मायावती ने 2006 इंटर कॉलेज, 7 मेडिकल कॉलेज, 5 इंजीनियरिंग कॉलेज, 2 होमियोपैथिक कॉलेज, 24 पॉलिटैक्निक कॉलेज, 2 पैरामेडिकल कॉलेज, 5549 से अधिक प्राइमरी स्कूल, 100 से अधिक इंडस्ट्रियल ट्रेनिग इंस्टीयूट (ITI) का निर्माण कराया था।

दलित महिलाओं ने तत्कालीन सत्तासीन सरकार पर आरोप लगाया कि शिक्षा का निजीकरण दलितों को अनपढ़ बनाने की साजिश है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हम दलितों के हाथ से शिक्षा के हथियार को वर्तमान सरकार छीनना चाहती है। सरकारें चाहती है कि न हम पढ़ें, न हम अपने अधिकार जानें। न ही हम अधिकार मांगें। न ही अधिकार पाकर दहाड़ें, क्योंकि हम मोदी मोदी का नारा नहीं लगाती, हम सिर्फ अपने अधिकार पाना चाहती हैं। शिक्षा के हथियार को हमारे हाथ से छीनने वाली सरकार का हम मुंह नोच लेंगे। फिर चाहे रोजगार छीनने वाली सरकार हो या रेलवे और शिक्षा का निजीकरण करने वाली सरकार हो। मताधिकार से हम उन सबको सबक सिखा देंगे। आख़िर सरकारें कब तक जनता को बुद्धू बना सकती हैं। हम इस लोकतांत्रिक देश में बहनजी (मायावती) की थमाई हुई कलम से अपना भविष्य लिखेंगे।

दलित महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि पेट की भूख से तृप्त जनता को 100, 200 रूपए देकर बरगलाया जाता है और चुनावों में मोदी मोदी के नारे लगवा लिए जाते हैं। मोदी सरकार पर व्यापारियों की सरकार होने का आरोप लगाते हुए दलित महिलायें कहती हैं, मोदी सरकार सिर्फ़ व्यापारियों के लिए काम करती है और हिंदू-मुस्लिम करके देश की जनता को जाति धर्म के नाम पर बांटती है। दलित महिलाएं यह भी आरोप लगाती है कि अबकी बार 400 और 500 पार का नारा लगाना भाजपा बंद कर दे, क्योंकि वह ईवीएम पर पूरी सेटिंग करके बैठी है। अगर सच्चाई जाननी है तो एक सब्जी वाले से पूछिए वो भी बताएगा कि वो सरकार से कितना परेशान है।

महिलायें कहती हैं, अगर ऐसा नहीं है तो ईवीएम की जगह एक बार मोदी सरकार बैलेट पेपर पर चुनाव करवा कर देख ले। मोदी मोदी के झूठे नारे लगने बंद हो जाएंगे और झूठ से पर्दा उठ जाएगा।

बात करें बहुजन समाज पार्टी की जनता के बीच पकड़ की तो वह लगातार बनी हुई है। सीएसडीएस लोकनीति के आंकड़ों के अनुसार यूपी में बीएसपी के जनाधार की बात करें तो पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी, मगर 19.77 प्रतिशत वोट मिले थे। उसके बाद 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की और उसने बढ़त हासिल करते हुए 22.23 प्रतिशत वोट हासिल किये थे। उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने पिछली बार के मुकाबले शानदार प्रदर्शन करते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की और पार्टी को 19.26 प्रतिशत वोट मिले। हालांकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी को केवल एक सीट पर जीत मिल सकी थी और 12.88 प्रतिशत वोट मिले थे, मगर इस बार जिस फॉर्म में बसपा दिख रही है उससे उम्मीद है कि इस लोकसभा चुनाव में दलितों खासकर यूपी में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी।

विश्लेषकों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती ने इंडिया गठबंधन का हिस्सा न बनकर होशियारी का काम किया है, अगर वह इंडिया का हिस्सा बन जाती तो एक बड़ा वोटबैंक उससे दूर हो जाता। हो सकता है बसपा इस बार कमाल कर पाये। आकाश आनंद चुनावी रैलियों में जिस अंदाज में नजर आ रहे हैं और दलितों में उनकी जिस तरह पैठ बढ़ रही है, उससे बसपा कोई चमत्कार कर पाये, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

(प्रस्तुति : दिपाली)

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